सतत परिवर्तन की दिशा में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय - डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर
विश्व पर्यटन दिवस, जिसे प्रतिवर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है,
वैश्विक स्तर पर पर्यटन के महत्व और उसकी भूमिका पर चिंतन करने का अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन ने इसका विषय “पर्यटन और
सतत परिवर्तन” घोषित किया है। यह थीम केवल एक नारा भर नहीं, बल्कि
21वीं सदी की सबसे बड़ी आवश्यकता का प्रतिबिंब है—कैसे पर्यटन को आर्थिक विकास का साधन बनाते हुए हम पर्यावरणीय संतुलन, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक समावेशन सुनिश्चित कर सकते हैं। इसी उद्देश्य के साथ हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला का यात्रा, पर्यटन एवं आतिथ्य प्रबंधन संकाय (NAAC A+ मान्यता प्राप्त, 3.42 CGPA) 22 से 27 सितंबर
2025 तक विश्व पर्यटन दिवस सप्ताह के उपलक्ष्य में अपनी वार्षिक विशिष्ट गतिविधियों की श्रृंखला का आयोजन कर रहा है।
विश्वविद्यालय नेतृत्व की दृष्टि और मार्गदर्शन, यह समारोह माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सत प्रकाश बंसल के गतिशील
नेतृत्व में आयोजित हो रहा है। पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में उनका अंतरराष्ट्रीय
ख्याति प्राप्त योगदान, विश्वविद्यालय के लिए निरंतर प्रेरणा का
स्रोत रहा है। उनकी दृष्टि ने न केवल इस संस्थान को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया
है, बल्कि इसे पर्यटन शिक्षा, अनुसंधान और नीति संवाद का अग्रणी केंद्र भी बनाया है। विश्वविद्यालय का यह
आयोजन उनके उस विचार को मूर्त रूप देता है कि शिक्षा केवल ज्ञान का संग्रह नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के साथ संवेदनशील जुड़ाव का माध्यम भी होनी चाहिए।
संकाय की डीन प्रोफेसर सुमन शर्मा का अकादमिक
मार्गदर्शन इस समारोह की शैक्षणिक गहराई का आधार है। सतत
विकास के ढाँचों
के साथ शिक्षण पद्धति को एकीकृत करने की उनकी दृष्टि ने कार्यक्रमों को और अधिक
समृद्ध बनाया है। प्रोफेसर संदीप
कुलश्रेष्ठ, निदेशक,
पारिस्थितिक, साहसिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक पर्यटन संवर्धन
केंद्र, अपने करिश्माई व्यक्तित्व और गहन अनुभव
के साथ आयोजन को पारिस्थितिक व सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ते हैं। इसी तरह
विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आशीष नाग का
सहभागी दृष्टिकोण और सामुदायिक जुड़ाव की उनकी विशेषता ने आयोजन को और अधिक
प्रासंगिक व सार्थक बना दिया है।
इस समारोह के
संयोजक प्रोफेसर देबाशीष साहू और सह-संयोजक प्रोफेसर अमित गंगोटिया, अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट नेतृत्वकर्ता
हैं। उनकी टीमवर्क, युवा संकाय, शोधार्थियों और छात्रों के सहयोग से यह सुनिश्चित हो रहा है कि पर्यटन सप्ताह 2025 विश्वविद्यालय कैलेंडर के सबसे व्यापक और बहुआयामी आयोजनों
में से एक बने।
पर्यटन सप्ताह : परंपरा और
नवाचार का संगम, विश्वविद्यालय
में पर्यटन सप्ताह मनाने की परंपरा एक दशक से अधिक पुरानी है। यह केवल औपचारिक
आयोजन भर नहीं, बल्कि अनुभवात्मक शिक्षा की उस दृष्टि का
हिस्सा है जिसमें छात्र कक्षा के ज्ञान को वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोड़ते
हैं। इस बार का समारोह और भी विशेष है क्योंकि यह न केवल संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन की वैश्विक थीम को प्रतिध्वनित करता है, बल्कि भारत की “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना और हिमाचल प्रदेश की उभरती हुई पर्यटन सतत विकास
पहचान से भी सीधा जुड़ाव रखता है।
ग्रीक पुरातत्वविद् जॉर्ज एंटोनियो का विशेष व्याख्यान, सप्ताह भर चलने वाले समारोह का सबसे प्रतीक्षित आकर्षण 23 सितंबर को आयोजित होने वाला प्रसिद्ध
ग्रीक पुरातत्वविद् जॉर्ज एंटोनियो का अतिथि व्याख्यान है। एंटोनियो ने
पुर्तगाल के अल्टर डू चाओ में 1954 में खोजे गए उस
मोज़ेक पर विशेष शोध किया है, जिसमें सिकंदर
महान और महाराजा परमानंद चंद (पोरस) के बीच लड़े गए पौराणिक हाइडेस्पेस युद्ध का चित्रण है। यह मोज़ेक, जिसे मेडुसा के घर में खोजा गया था,
सिकंदर महान को
दर्शाने वाले तीन रोमन मोज़ाइक में से एक है और हाइडेस्पेस युद्ध का एकमात्र दृश्य
प्रस्तुत करता है। जॉर्ज एंटोनियो का शोध केवल पुरातत्व तक
सीमित नहीं है; यह ग्रीस,
पुर्तगाल और
हिमाचल प्रदेश के बीच ऐतिहासिक संबंधों की एक अद्भुत कड़ी प्रस्तुत करता है। उनका
व्याख्यान छात्रों को न केवल वैश्विक पुरातत्व से परिचित कराएगा बल्कि इस तथ्य को
भी रेखांकित करेगा कि हिमाचल प्रदेश की भूमि विश्व इतिहास की धारा में किस तरह
संभावित रूप से जुड़ी रही है। यह व्याख्यान सांस्कृतिक पर्यटन की उस शक्ति को
उजागर करेगा जो अतीत और वर्तमान के बीच एक सेतु बनाता है और सतत परिवर्तन की ओर एक
गहरी समझ विकसित करता है।
शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का विस्तार, इस सप्ताह की गतिविधियाँ विविध और
बहुआयामी होंगी। स्थानीय ऐतिहासिक स्थलों
पर विरासत पथ का आयोजन किया
जाएगा जिससे प्रतिभागियों को प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर मिलेगा कि किस प्रकार
विरासत संरक्षण स्थानीय पहचान और अर्थव्यवस्था दोनों को सशक्त करता है। स्थिरता के
संदेश को सामाजिक स्तर पर पहुँचाने के लिए छात्र नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करेंगे। इन नाटकों का विषय होगा—कचरा प्रबंधन, पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली
और ज़िम्मेदार यात्रा की आदतें। इस पहल का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और संवाद को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, विशेष संगोष्ठी का आयोजन 26 सितंबर को किया जाएगा, जिसमें शिक्षाविद्, शोधकर्ता, नीति निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ एक साथ
आएंगे और इस पर चर्चा करेंगे कि पर्यटन को कैसे आर्थिक समृद्धि, पारिस्थितिक संतुलन, सतत विकास और सांस्कृतिक निरंतरता के बीच संतुलन
बनाते हुए सतत बनाया जा सकता है। छात्रों के लिए भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी,
जहाँ वे पर्यटन
के भविष्य और उसमें स्थिरता की भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इससे उनकी
वाक्पटुता, विश्लेषणात्मक दृष्टि और नेतृत्व क्षमता
का विकास होगा।
अनुभवात्मक शिक्षण, व्यावहारिकता
की ओर कदम, पर्यटन शिक्षा
की सबसे बड़ी शक्ति यह है कि यह सिद्धांत को व्यवहार से जोड़ती है। इसी उद्देश्य
से छात्रों को अपशिष्ट उपचार संयंत्र
का शैक्षणिक दौरा कराया जाएगा, ताकि वे समझ
सकें कि चक्रीय अर्थव्यवस्था में अपशिष्ट प्रबंधन की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। वृक्षारोपण अभियान विश्वविद्यालय द्वारा
गोद लिए गए गाँव में आयोजित होगा, जो पर्यावरण
संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी का प्रतीक होगा। इसी प्रकार, ऐतिहासिक कोटला
किले का भ्रमण छात्रों को
स्थानीय समुदाय के साथ संवाद करने और विरासत संरक्षण की व्यावहारिक चुनौतियों को
समझने का अवसर देगा।
हितधारकों का सम्मेलन, विचारों का
संगम, पर्यटन सप्ताह
का एक अन्य प्रमुख आकर्षण हितधारकों का
सम्मेलन होगा। इसमें पर्यटन उद्योग के पेशेवरों,
शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जाएगा। यह
सम्मेलन एक ऐसा मंच बनेगा जहाँ विविध दृष्टिकोण मिलेंगे और पर्यटन के भविष्य के
लिए ठोस नीतियाँ व रणनीतियाँ उभरेंगी। सम्मेलन का उद्देश्य सहयोगात्मक ढाँचे तैयार
करना और सहभागी भावना के साथ पर्यटन को सतत परिवर्तन की ओर अग्रसर करना है। शिक्षा से
नेतृत्व तक, भविष्य की तैयारी, विश्वविद्यालय का यह आयोजन केवल वर्तमान का उत्सव नहीं है, बल्कि भविष्य की तैयारी भी है। इस सप्ताह के माध्यम से छात्रों को उस सोच और
दृष्टि से परिचित कराया जाएगा, जिसकी उन्हें
अपने करियर में आवश्यकता होगी। उद्देश्य यह है कि वे केवल अकादमिक रूप से सक्षम न
रहें, बल्कि सामाजिक रूप से जिम्मेदार और
पर्यावरणीय दृष्टि से जागरूक भी बनें।
विश्व पर्यटन
दिवस 2025 “पर्यटन
और सतत परिवर्तन” के अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय का यह सप्ताह भर चलने वाला
समारोह इस विश्वास को मजबूत करता है कि पर्यटन
जब स्थिरता पर आधारित हो, तो वह न केवल आर्थिक समृद्धि का साधन
बनता है, बल्कि समाज को अधिक समावेशी, सांस्कृतिक रूप
से जीवंत और पर्यावरणीय रूप से संतुलित बनाने की क्षमता भी रखता है। यह आयोजन शिक्षा, अनुसंधान और सामुदायिक सहभागिता के त्रिकोणीय मॉडल का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो छात्रों को भविष्य के पर्यटन पेशेवरों के रूप में तैयार करेगा। जैसे-जैसे दुनिया सतत परिवर्तन की ओर बढ़ रही है,
यह समारोह एक
प्रेरणादायी घोषणा-पत्र है कि पर्यटन वास्तव में एक
परिवर्तनकारी शक्ति है।
डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर
निदेशक - तिब्बत अध्ययन केंद्र
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्ववि
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