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यूपी में ‘गुप्त मिशन’ शुरू? आरएसएस–योगी मुलाकातों ने बढ़ाई राजनीतिक गर्मी

 

लखनऊ से लेकर अयोध्या तक पिछले दो हफ़्तों में जो कुछ हुआ, उसने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई सनसनी फैला दी है। बंद कमरों में हुई लगातार बैठकों ने एक बड़ा सवाल हवा में तैरता छोड़ दिया है। क्या आरएसएस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2027 के लिए कोई ‘सीक्रेट मास्टर प्लान’ तैयार कर रहे हैं?


सूत्र बताते हैं कि 18 से 26 नवंबर के बीच संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों की यूपी के मंत्रियों, शीर्ष नौकरशाहों और भाजपा नेताओं से गुप्त दौर की मीटिंगें चलीं। इन बैठकों में न कोई मीडिया था, न कोई आधिकारिक बयान। चर्चा के केंद्र में था सरकार की वास्तविक ग्राउंड रिपोर्ट, कमज़ोरियां, और वो ज़रूरी सुधार, जिन पर 2027 से पहले सर्जिकल स्ट्राइक की तरह काम करना है।

इन बैठकों का असली ताप तब बढ़ा, जब 24 नवंबर को अयोध्या में संघ प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाकात हुई। अयोध्या के संघ कार्यालय में हुई यह एक घंटे की बातचीत इतनी चुप्पी में हुई कि बाहर इंतज़ार कर रहे लोग भी दिशा नहीं भांप सके। न कोई फोटो, न कोई बयान सिर्फ़ कयास… और कयास।

राजनीतिक गलियारों में अब सवालों की फुसफुसाहट और तेज़ हो गई है कि क्या भाजपा और आरएसएस यूपी में संगठन और सरकार का संयुक्त ‘रीबूट’ करने जा रहे हैं? क्या परिवर्तन की आहट आने वाले महीनों में दिखाई दे सकती है? या फिर ये सिर्फ़ चुनावी तैयारी नहीं, बल्कि योगी-आरएसएस समीकरण की नई परिभाषा है?

जो भी हो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक शांत तूफ़ान उठ चुका है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि अगले कदम के रूप में कौन-सा पत्ता खोला जाता है और कब।

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