औरंगजेब की पत्नी कृष्ण दीवानी ताज बीबी की कहानी !



छैल जो छबीला, सब रंग में रंगीला
बड़ा चित्त का अड़ीला, कहूं देवतों से न्यारा है।
माल गले सोहै, नाक-मोती सेत जो है कान,
कुण्डल मन मोहै, लाल मुकुट सिर धारा है।
दुष्टजन मारे, सब संत जो उबारे ताज,
चित्त में निहारे प्रन, प्रीति करन वारा है।
नन्दजू का प्यारा, जिन कंस को पछारा,
वह वृन्दावन वारा, कृष्ण साहेब हमारा है।।

ताज बीबी के इस ललित छंद की जितनी भी व्याख्या की जाये, वह अधूरी ही होगी | अकबर की हिन्दू पत्नी जोधाबाई को तो बहुत लोग जानते हैं, किन्तु औरंगजेब की मुस्लिम पत्नी भी भगवान कृष्ण की भक्ति में तल्लीन हुईं, जिसका नाम ताज बीबी था | ताजबीबी के पिता अलीखान पठान औरंगजेब के अधीनस्थ एक अधिकारी थे, व उनपर वृन्दावन के महावन इलाके की सुरक्षा का दायित्व था। इनकी समाधि आज भी ब्रजभूमि की रमन रेती से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है और कृष्ण भक्ति की गाथा कह रही है |

इनके विषय में कथा है कि एक बार ताज बीबी काबा शरीफ की यात्रा पर चल पड़ीं | मार्ग में एक पड़ाव ब्रज में पड़ा | घंटे घड़ियालों की अवाज सुनकर ताज बीबी ने लोगों से पूछा कि यह क्या है | दीवान ने कहा यहां कुछ लोगों का छोटा खुदा रहता है | ताज ने आग्रह किया कि वह छोटा खुदा से मिलकर ही आगे चलेंगी | किन्तु मंदिर में प्रवेश करना चाहा तो पंडों ने उन्हें रोक दिया | इस पर ताज वहीं बैठकर गाने लगीं | कहते हैं ताज की भक्ति से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने इन्हें साक्षात दर्शन देकर कृतार्थ किया | 

सारे पुरुषार्थों के सार, प्रेम मूर्ति आनंदघन नन्द के फरजंद को पाकर अलमस्ती और बेफिक्री से सराबोर हो चुकीं ताज बीबी गोस्वामी विट्ठलनाथ जी की सेविका बन गईं। मीरा बाई की अनुगामिनी बनकर इन्होंने कृष्ण की भक्ति में 200 से ज्यादा कविताएं, छंद और सवैये लिखे जो आज भी पुष्टिमार्गीय मंदिरों में गाए जाते हैं | 

मुल्लाओं ने शरअ की दुहाई दी तो उन्होंने उत्तर दिया –

अब शरअ नहीं मेरे कुछ काम की, श्याम मेरे हैं, मैं मेरे श्याम की |
बृज में अब धूनी रमा ली जायेगी, जब लगन हरि से लगा ली जायेगी |

और आगे वे कहती हैं –

अल्ला बिस्मिल्ला रहमान औ रहीमी छोड़, 

पुर वो शहीदों की चर्चा चलाऊँगी |

सूथना उतार, पहन घाघरा घुमावदार, 

फ़रिया को फार शीश चुनरी चढ़ाऊंगी ||

कहत है ताज कृष्ण सों पैजकर, 

वृन्दावन छोड़ अब कितहूँ न जाउंगी |

बांदी बनूंगी महारानी राधा जू की, 

तुर्कनी बहाय नाम गोपिका कहाउंगी ||

स्वाभाविक ही धर्मांध मुल्ला मौलवियों ने विरोध भी किया, पर उनसे बेपरवाह ताज ने कहा -

सुनो दिल जानी, मेरे दिल की कहानी तुम,

दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूंगी मैं।

देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूं भुलानी,

तजे कलमा-कुरान सारे गुननि गहूंगी मैं।।

नन्द के कुमार, कुरबान तेरी सुरत पै,

हूं तो मुगलानी, हिंदुआनी बन रहूंगी मैं।।

उन्होंने चेतावनी भी दी  –

क्यों सताते हो मुझे पछताओगे |
दिलजलों की आह से जल जाओगे ||

पुरातत्व विभाग की उपेक्षाओं के कारण इनकी समाधि अब तक वीराने में कांटों के वन से घिरी हुई पड़ी थी | किन्तु समय बदला और खँडहर होते जा रहे इस स्मारक का योगी सरकार ने हाल ही मे जीर्णोद्धार कराकर आकर्षक स्वरुप प्रदान किया है। यहां उनकी मूर्ती भी लगाईं गई। पूर्ण विकसित यह इलाका अब एक आकर्षक पर्यटक स्थल बन चुका है।इतना ही नहीं तो 7 जून 2022 को उत्तरप्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ जब मथुरा के दो दिवसीय दौरे पर गए, तो इस दौरान वे ताज बीबी के स्मारक पर भी पहुंचे और उन्हें श्रद्धासुमन समर्पित किये । 

आप भी अब जब कभी मथुरा वृंदावन जाएँ, गोवर्धन की परिक्रमा लगाएं, इन कृष्ण दिवानी ताज बीबी की समाधि के दर्शन भी अवश्य करें, निष्चित जानिये, आनंद घन श्री कृष्ण चंद व राधा रानी की और अधिक कृपा की अनुभूति होगी।