क्या है स्वाइन फ्लू ? कैसे करैं इससे बचाव ?


सर्दियों के जाते-जाते स्वाइन फ्लू का संक्रमण एक बार फिर जोर मार रहा है। ‌अब तक इस मौसम में देश में स्वाइन फ्लू के कई मामले सामने आ चुके हैं। चिकित्सकों का मानना है कि अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इस संक्रमण से बचने में आसानी हो सकती है।

यह एक श्वास का रोग है जो इन्फ्लुएंजा वायरस एच1 एन1 के कारण होता है, इसी वजह से इसे स्वाइन फ्लू कहते हैं। वैसे तो यह वायरस पहले सूअरों में ही संक्रमण फैलाते था लेकिन पिछले कुछ सालों से इस संक्रमण के मामले हमारे बीट तेजी से बढ़े हैं। 

पहचानें स्वाइन फ्लू के लक्षण

यह वैसे तो साधारण फ्लू की तरह ही होता है लेकिन अगर अधिक समय तक आपको ये समस्याएं हों तो इन लक्षणों को पहचानें और तुरंत उपचार करवाएं। इसके प्रमुख लक्षण हैं।

- खांसी, सर्दी, जुकाम व नाक बहना।- सांस लेने में बहुत अधिक तकलीफ होना।- बहुत अधिक कमजोरी, बेचैनी व चिड़चिड़ापन महसूस होना।- आलस आना या बेहोश हो जाना।- लंबे समय तक तेज बुखार रहना।- छाती, गले या पेट में दर्द होना ।- गले में खराश या उल्टी-दस्त की शिकायत।- शरीर पर रैशेज होना।- भूख न लगना और कफ बनना। 

ऐसे करें बचाव

- बार-बार हाथों से आंखों, नाक व मुंह को न छुएं।- स्वाइन फ्लू के रोगी से दो से तीन मीटर की दूरी बनाकर रखें।- बार-बार हाथ धोते रहें। - तबियत खराब होने पर घर पर आराम करें और डॉक्टरी इलाज करवाएं।- खांसते या छींकते वक्त मुंह पर रुमाल रखना न भूलें।- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।- घर व आस-पास की जगहों की सफाई पर ध्यान दें।

यह भी आजमायें

थायमॉल, मेंथॉल, कैंफर (कपूर) को बराबर मात्रा में मिला कर तैयार 'यू वायरल' के घोल की बूँदों को अगर रुमाल या टिश्यू पेपर पर डालकर लोग सूंघें तो भीड़ में मास्क पहन कर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

पान के पत्ते पर दवा की तीन बूँदें डालकर 5 दिन तक दिन में दो बार खाने पर स्वाइन फ्लू से बचाव हो सकता है। 

100 मि.ली. पानी में तीन ग्राम नीम, गिलोय, चिरैता के साथ आधा ग्राम काली मिर्च और एक ग्राम सोंठ का काढ़ा बना कर पीना भी काफी लाभदायक रहता है। इन चीजों को पानी के साथ तब तक उबालना है जब तक वह 60 मिली ग्राम न रह जाए। इसे एक सप्ताह के लिए रोज सुबह खाली पेट पीने पर स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए शरीर में जरूरी परिरक्षण क्षमता (इम्यूनिटी) पैदा हो जाएगी। 

त्रिफला, त्रिकाटू, मधुयास्ती और अमृता को समान मात्रा में लेकर उसे एक चम्मच लेने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे बुखार भी कम होता है। 

इस दवा को खाना खाने के बाद दो बार लेने से फायदा होगा। 

रोज सुबह उठकर 5 तुलसी की पत्तियाँ धोकर खाएँ

गिलोए देश भर में बहुतायत से मिलता है। गिलोय की एक फुट लंबी डाल का हिस्सा, तुलसी की पाँच-छः पत्तियों के साथ 15 मिनट तक उबालें। स्वाद के मुताबिक सेंधा नमक या मिश्री मिलाएँ। कुनकुना होने पर इस काढ़े को पिएँ। यह आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को चमत्कारिक ढंग से बढ़ा देगा। हमदर्द, वैद्यनाथ या किसी अच्छी आयुर्वेदिक दवा कंपनी का गिलोय भी ले सकते हैं।

महीने में एक या दो बार कपूर की गोली पानी के साथ निगल लें। बच्चों को केले अथवा उबले हुए आलू में मिलाकर दे सकते हैं। याद रखें कपूर रोज नहीं लेना है, मौसम में एक बार या महीने में एक या दो बार ले सकते हैं।

लहसुन की दो कलियाँ रोज सुबह खाली पेट कुनकुने पानी के साथ जरूर लें। इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति में इजाफा होगा।

रात को सोते समय हल्दी का दूध अवश्य पिएँ। 

ग्वारपाठे का एक चम्मच गूदा रोज पानी के साथ लें। इससे जोड़ों के दर्द कम होने से साथ-साथ रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी। 

रोज प्राणायाम करें। अपने फिटनेस लेवल को बढ़ा कर रखें ताकि किसी भी बैक्टेरिया अथवा वायरस के हमले का सामना कर सकें। श्वास प्रणाली की कसरत से यह तंत्र मजबूत होता है। 

दिन में कई बार अपने हाथ एंटिबायोटिक साबुन से जरूर धोएँ। इसके लिए अल्कोहोलिक क्लींजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

रसदार फलों का सेवन करें। आँवले का सेवन जरूर करें। यह विटामिन सी से भरपूर होता है। डिब्बाबंद आँवले का शरबत भी खरीद सकते हैं।


 


 

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