रायसेन - संघ कार्य से जली हिन्दू चेतना की मशाल



* उन दिनों रायसेन में एंड्रयू नामक जिलाधिकारी पदस्थ थे ! ईसाई मिशनरियों के मददगार की भूमिका निबाहते हुए उन्होंने सियरमऊ में १३ एकड़ भूमि ईसाईयों को आबंटित कर दी ! जहां जमीन दी गई, बहां पहले से ही कुछ पुरानी मूर्तियाँ बिखरी हुई थीं ! एक बाबडीनुमा गड्ढा भी था ! भूमि आवंटित होते ही ईसाईयों ने निर्माण कार्य हेतु नीव खुदाई कार्य प्रारम्भ कर दिया ! खुदाई में गणेश जी की एक भव्य प्रतिमा तथा एक पक्की बाबड़ी निकली ! साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी निकलीं ! गणेश जी की प्रतिमा को एक ओर रखबाकर उन्होंने निर्माण कार्य जारी रखा ! मजदूरों से सूचना मिलने पर एक सजग ग्रामीण ने रायसेन आकर संघ के पदाधिकारियों को जानकारी दी ! 

तत्कालीन जिला प्रचारक श्री सौदान सिंह व विश्व हिन्दू परिषद् के श्री जे.पी.पाटकर एडवोकेट सियरमऊ पहुंचे ! उस जगह और प्रतिमा को देखकर उन्हें उसके पुरातत्व महत्व का आभास हुआ ! उन्होंने ग्रामवासियों को समझाया कि यह कोई धार्मिक स्थल प्रतीत होता है ! किसी प्राचीन मंदिर के अवशेष निकल रहे हैं ! यह आपके गाँव का मंदिर हैं तथा इसकी रक्षा वा संरक्षण की जिम्मेदारी भी आपकी ही है ! गाँव के गौरव का विषय मान ५०० ग्रामवासियों ने एकत्रित होकर बह निर्माण कार्य रुकबाया ! गणेश जी की प्रतिमा को यथास्थान रखकर भजन पूजन शुरू कर दिया ! इसके साथ ही आसपास के गाँव बालों को सूचना मिलने पर वे भी इस अभियान में सम्मिलित हो गए ! आन्दोलन तीव्र से तीव्रतर होता गया ! मजबूर होकर प्रशासन ने बाबड़ी तथा आसपास की ३ एकड़ जमीन का आवंटन रद्द किया ! 

ग्रामवासियों तथा नगर वासियों के सहयोग से उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण हुआ और क्षेत्र के लोग भी मिसनरियों के षडयंत्र से परिचित हो गए ! लोगों के आग्रह पर विद्या भारती ने बहां एक विद्यालय और छात्रावास शुरू किया जो उस क्षेत्र में जन जागरण का केंद्र है ! इस प्रकार स्वयंसेवकों की सक्रियता वा सजगता से पुरातत्व महत्व का एक स्थल नष्ट होने से बचा तथा मिशनरियों के कुचक्र के प्रति जन जागरण हुआ !

* सिलवानी तहसील का एक ग्राम है नकटुआ ! यह ग्राम ईसाईयों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था, जिसके माध्यम से वे धर्मांतरण का कुचक्र चलाया करते थे ! अन्य जगहों की ही तरह यहाँ भी वे भोले भाले ग्रामीणों को अपने जाल में फंसा रहे थे ! किन्तु विद्या भारती द्वारा संचालित एकल विद्यालयों के प्रारम्भ होने से लोगों को जानकारी मिली कि ये लोग उन्हें भरमा रहे हैं और उन्होंने ईसाईयों के केंद्र का बहिष्कार करना शुरू कर दिया ! एकल विद्यालय के अंतर्गत गाँव के ही किसी स्थानीय युवक को प्रशिक्षण देकर विद्यालय का संचालन सोंपा जाता है ! एकल विद्यालयों की सक्रियता के बाद क्षेत्र में हिंदुत्व का जागरण हुआ जिससे ईसाई केन्द्रों पर कौए बोलने लगे ! विवश होकर ईसाईयों को अपना केंद्र ही बंद करना पडा !

* सिलवानी तहसील के कस्वे बमोरी में पुलिस थाना पुराने किले परिसर में स्थित है ! थाणे के पीछे ही एक मस्जिद भी है ! ८० के दशक में थाना परिसर में स्थित एक पुराने शिव मंदिर को प्रशासन ने तुडवा दिया ! इस घटना के विरोध में सम्पूर्ण क्षेत्र में एक जन आंदोलन उठ खडा हुआ ! बमोरी कसबे के बाज़ार आठ दिन तक पूरी तरह बंद रहे ! इसके बाद एक समझौते के अंतर्गत मंदिर पुनर्निर्माण के नाम पर बहां एक टीनशेड लगाकर मूर्ती स्थापित कर दी गई ! किन्तु कुछ दिनों बाद ही षडयंत्रकारियों ने बहां से मूर्ती गायब कर दी ! मूर्ती पुनः रखी गई किन्तु पुनः गायब कर दी गई ! बार बार मूर्ती रखी जाती और बार बार मूर्ती गायब कर दी जाती ! 

इससे परेशान होकर प्रशासन ने मध्य मार्ग निकाला तथा मूर्ती को थाने में रखवा दिया ! अब हर वर्ष शिवरात्री के दिन बह मूर्ती थाने में से निकालकर मंदिर में रखी जाती है ! बहां दिन भर पूजन अर्चन के बाद शाम ७ बजे वापस उसे थाने पहुंचा दिया जाता है ! प्रारम्भ में आतंक और भय के कारण केवल संघ स्वयंसेवक ही शिवरात्री को पूजन हेतु बहां पहुंचाते थे किन्तु कुंडाली शाखा के स्वयंसेवकों ने सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर, धीरे धीरे जन सामान्य को भी खासी संख्या में बहां पहुँचने को प्रेरित किया है ! अब तो भजन पूजन कीर्तन पूजा आदि से बहां शिवरात्री पर दिन भर मेले जैसा माहौल रहता है !

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें