इस चुनौतीपूर्ण समय में आवश्यक है राष्ट्र का एक ही स्वर - इंद्रेश कुमार जी
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21 अक्टूबर
2016 / रांची
फोरम
फॉर अवेयरनेस ऑफ़ नेशनल सीक्योरिटी (FANS) के
मुख्य संरक्षक और आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इंद्रेश कुमार ने
आज FANS की झारखंड इकाई द्वारा आयोजित “वन नेशन वन वौइस्” कार्यक्रम को संबोधित करते
हुए कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में सभी भारतवासियों की आवाज एक ही होनी चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर उन लोगों को निशाने पर लिया
जो ट्रिपल
तलाक का समर्थन कर रहे हैं, और पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत
मांग रहे हैं ! उन्होंने कहा कि ये लोग भारत के मूल राष्ट्रीय तत्व को नष्ट करने का
प्रयत्न कर रहे हैं ।
झारखंड के एमडी पवन बजाज, केन्द्रीय विश्वविद्यालय (रांची) के कुलपति
नंद कुमार यादव 'इंदु',
छत्तीसगढ़ वक्फ
बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद सलीम अशरफी, FANS के महासचिव गोलक बिहारी, FANS झारखंड के वाइस चेयरमैन डा शाहिद अख्तर,
प्रभात खबर (झारखंड)
के सीनियर संपादक अनुज सिन्हा और कई अन्य जाने माने चिन्तक, विचारक और गणमान्य
व्यक्ति इस कार्यक्रम में उपस्थित थे !
उन्होंने कहा कि 2,100 साल पहले इस्लाम और ईसाईयत का
अस्तित्व नहीं था, अतः नातो मुसलमान थे और न ही ईसाई । लेकिन उसके भी सैंकड़ों
हजारों साल पहले से भारत माता, मदर इण्डिया विराजमान थीं । उन्होंने कहा कि अगर वे
अपने पूर्वजों के विषय में जानकारी लें तो उन्हें समझ में आयेगा कि वे भी राम,
कृष्ण और
पांडवों के बेटे या बेटियां हैं !
श्री
इन्द्रेश कुमार ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की यह कहकर आलोचना की कि वे
लोग मुस्लिम महिलाओं की स्वतंत्रता के रास्ते में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि इन लोगों को समझना चाहिए कि यह विषय नातो सरकार ने उठाया है, नाही
भाजपा या आरएसएस या किसी अन्य संगठन ने ! यह विषय तो मुसलमानों की ही आधी आवादी
(महिलाओं) ने उठाया है, जिन्हें अपने समाज में कहीं न्याय नहीं मिला और विवश होकर
उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया !
उन्होंने
कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड राजनीति से प्रेरित एक एनजीओ समूह है, जो देश के पूरे मुस्लिम समुदाय का
प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता । उन्होंने कहा कि 1972 से
पहले तक तो इसका अस्तित्व ही नहीं था, एक सुबह यह अचानक पैदा हुआ और दावा करने लगा
कि यह भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है ।
उन्होंने
इस अवसर पर लोगों से यह अनुरोध भी किया के इस दीपावली पर चीनी उत्पादों का
बहिष्कार करें, क्योंकि चीन खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है और पाक
प्रायोजित आतंकवाद से लड़ने की भारत के प्रयत्नों में वादायें उत्पन्न कर रहा है ।
इस
विमर्श कार्यक्रम की प्रस्तावना में श्री पवन बजाज ने 'एक राष्ट्र एक स्वर' के बुनियादी अर्थ को स्पष्ट किया !
उन्होंने कहा कि किसी ने मुझसे पूछा कि 'एक राष्ट्र एक स्वर' का अर्थ क्या है ? क्या हरेक को 'जय श्री राम' बोलना होअग ? मैंने उन्हें जबाब दिया
कि मसला यह नहीं है । राष्ट्र किसी भौगोलिक सीमा का नाम नहीं होता । । यह तो उसमें
बसने वाले लोगो, उनकी
संस्कृति, परंपरा,
धर्म, उनके विश्वास और आस्था से बना है। मेरे
लिए, 'एक
राष्ट्र एक आवाज' का
केवल और केवल यह अर्थ है कि अपनी पहचान, जीवन मूल्यों, गौरव और भारतवासियों से
सम्बंधित मुद्दों पर सभी नागरिकों को एक ही आवाज होनी चाहिए ।
उन्होंने
कहा कि देश में राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत, राष्ट्रीय पक्षी और बहुत
सारी बातें एक ही हैं । राष्ट्रीय मुद्दों पर भी इसी एकत्व का विस्तार होना चाहिए।
श्री बजाज ने हाल ही में हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले लोगों की तीखी
आलोचना की । उन्होंने लोगों से यह भी अनुरोध किया कि क्षुद्र राजनीति की खातिर हर मुद्दे
को जाति और धर्म का रंग देना उचित नहीं है ।
इसी
विषय को आगे बढ़ाते हुए प्रभात खबर (झारखंड) के सीनियर संपादक अनुज सिन्हा ने कहा
कि इतिहास बता रहा है कि जब भी आवश्यक हुआ, भारत एक ही स्वर में बोला है । उन्होंने
उदाहरण देते हुए कहा कि 1971 में जब बांग्लादेश आजाद हुआ, उस समय भले ही भाजपा
अस्तित्व में नहीं थी, किन्तु पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा
में विपक्षी जनसंघ का प्रतिनिधित्व करते हुए खुले दिल से तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती
इंदिरा गांधी की प्रशंसा की थी, क्योंकि उनकी नजर में राजनीतिक मतभेदों से ज्यादा
राष्ट्रीय हित महत्वपूर्ण थे । सिन्हा ने कहा कि राजनीतिक मतभेद त्यागकर सर्जिकल
स्ट्राइक जैसे राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर एकजुट रहना चाहिए ।
इस
बीच ट्रिपल तलाक का समर्थन करने वाले और सर्जिकल
स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों पर सबसे करारा प्रहार किया छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के
अध्यक्ष सलीम अशरफी ने । उन्होंने न केवल पाकिस्तान बल्कि आतंकवाद भड़काने वाले
मुसलमानों को मुसलमान मानने से ही इनकार किया । उन्होंने कहा कि जो पाकिस्तान की
गोद में बैठकर नफरत और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, वे मुसलमान हो ही नहीं सकते ।
उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के समय जो पाकिस्तान केवल गुमराह राजनेताओं की एक
जोड़ी की वजह से अस्तित्व में आया, अब दुनिया भर में मानवता के लिए चुनौती बन गया
है। वे हमारी मिश्रित संस्कृति को नष्ट करना चाहते है, जिसे विफल करना जरूरी है ।
उन्होंने देश के मुसलमानों से अपील की कि उदार होकर भारतीय संविधान का सम्मान करें
। कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी और आईएसएम के
प्रोफेसर संदीप कुमार, पुन्दाग भी मौजूद थे।
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समाचार
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