धर्म के नाम पर गुंडागर्दी को प्रश्रय के निहितार्थ – यह शिवपुरी है |


स्वतंत्र भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है | किन्तु शिवपुरी तो आज भी गुलाम ही है, उसमें काहे की आजादी ?
सोशल मीडिया वह मंच है, जिसमें व्यक्ति अपने मित्रों के साथ अपने विचार साझा करता है | किसी को भी उन विचारों से सहमत अथवा असहमत होने का हक़ है | कोई भी अपनी प्रतिक्रिया स्वतंत्र रूप से वहां दे सकता है | किन्तु शिवपुरी के कमालगंज इलाके में जो कुछ हुआ, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं | पान की दूकान संचालित करने वाले एक निहायत ही आम इंसान ने व्हाट्सएप समूह पर एक पोस्ट साझा की | धर्मांध शांति दूतों ने इसे अपनी धार्मिक भावना पर प्रहार मानते हुए, उस नौजवान पर प्राणघातक हमला कर दिया | इतना ही नहीं, उसकी रोजी रोटी का एकमात्र आसरा, उसकी दूकान भी लूट ली गई | गल्ले में रखे पैसे और मोवाईल भी नहीं छोड़ा | जब आसपास से लोग बीचबचाव को आये, तो आक्रमणकारी अपनी अपनी मोटर साईकिल क्रमांक एमपी ३३ एमबी ५४१८ छोड़कर भाग खड़े हुए |

सब कुछ योजनाबद्ध हुआ | जिस समय युवक पर हमला कर उसकी दूकान लूटी गई, उसी समय बड़ी तादाद में शांतिदूत एसपी ऑफिस का घेराव कर व्हाट्सएप पोस्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे | महज कुछ ही घंटों में इतने विशाल रूप में उग्र प्रदर्शन और प्राणघातक हमला दर्शाता है कि शिवपुरी में अंदरखाने बहुत कुछ पक रहा है | इस षडयंत्र के तार कहीं दूर तक जुड़े हो सकते हैं | शिवपुरी के बहाने पूरे प्रदेश की फिजा ख़राब करने का प्रयत्न हो तो कोई हैरत की बात नहीं होगी |

अभी कुछ ही दिन पहले की तो बात है, जब रामनवमी के दिन हिन्दू समाज ने भगवान राम की भव्य शोभायात्रा निकाली थी | उस समय अल्पसंख्यक समुदाय ने भी उस शोभा यात्रा का स्वागत कर साम्प्रदायिक सद्भाव और सौहार्द्र की मिशाल कायम की थी | सभी ने इसे एक सराहनीय पहल माना था | लगता है कि कुछ कट्टरपंथी तत्वों को यह रास नहीं आया, और यह घिनौना षडयंत्र रच दिया गया | क्योंकि अगर दोनों समुदाय मिलजुलकर रहने लगेंगे तो उनकी तो राजनैतिक दूकान ही बंद हो जायेगी | उनके स्वार्थ की रोटियाँ कैसे सिकेंगी ?

सबसे ज्यादा हैरतअंगेज है, प्रशासन का नजरिया | प्रशासन ने आनन फानन में उक्त पोस्ट को धार्मिक भावनाएं भड़काने वाली मानते हुए, मुक़दमा कायम कर लिया | जबकि उससे कहीं बहुत अधिक आपत्तिजनक पोस्ट, हिन्दू भावनाओं को आहत करने वाले कमेन्ट, लगातार प्रसारित किये जाते रहे हैं, किन्तु प्रशासन ने कभी कोई कार्यवाही नहीं की | अगर सोशल मीडिया की पोस्टों के आधार पर इस प्रकार क़ानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ की वृत्ति बढ़ी और प्रशासन का पक्षपातपूर्ण रवैया जारी रहा तो शिवपुरी भी कश्मीर की राह पर चल निकलेगा | क्योंकि यहाँ बैसे भी अफसरों की संविधानेतर राजशाही आज भी कायम दिखाई देती ही है | तो शिवपुरी में भी “आजादी आजादी” के नारे सुनने को तैयार हो जाईये |


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