राम - तीन तलाक – कांग्रेसी षडयंत्र कि स्वाभिमान शून्य रहे भारत – दिवाकर शर्मा



अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा जमाने के बाद सबसे पहले जो काम किया, वह था भारत के स्वाभिमान को खंडित करना | अंग्रेज जानते थे कि एक बार व्यक्ति का स्वाभिमान नष्ट हो जाए, तो फिर उसे गुलाम बनाकर रखना कठिन नहीं होता | इसी क्रम में अंग्रेजों ने भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए बेगार प्रथा चालू की, सार्वजनिक रूप से कोड़े लगाने जैसे कुकृत्य किये |

जरा ध्यान दें तो स्पष्ट समझ में आता है कि आजादी के बाद देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज के साथ कमोवेश यही व्यवहार कांग्रेस ने किया | स्वाभिमान विहीन हिन्दू समाज निर्माण का घातक षडयंत्र, बिना इस बात का विचार किये कि यह सीधे सीधे भारत की आत्मा को कुंठित करने जैसा होगा | इस षडयंत्र के तहत हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार आम बात हो गई | कांग्रेस ने हर उस प्रतीक पर प्रहार प्रारम्भ किया, जो हिन्दुओं में तनिक भी स्वाभिमान पैदा कर सकता हो |

इस क्रम में पहला कदम था इतिहास भंजन | भारत के गौरवशाली अतीत को विस्मृत करने का षडयंत्र | भारत में महापुरुषों की अनंत श्रंखला होते हुए भी, भारत के नौनिहालों को पढ़ाया जाने लगा कि भारत में केवल दो महान विभूति हुई, एक अकबर द ग्रेट और दूसरा अशोका दि ग्रेट | एक मुस्लिम तो दूसरा बौद्ध | सनातन हिन्दू धर्म में तो उन्हें कोई महापुरुष नजर ही नहीं आया | 

हिन्दुओं की आस्था के हर प्रतीक को नष्ट करने का षडयंत्र उस समय जग जाहिर हो गया, जब नीचता की हर हद को पार करते हुए, कांग्रेस सरकार ने भगवान श्री राम के अस्तित्व को ही नकार दिया, और वह भी सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा देकर | राम के अस्तित्व का सबसे बड़ा प्रमाण है, समुद्र में बना भारत और लंका को जोड़ने वाला राम सेतु | उसे तोड़ने का षडयंत्र रचना, हिन्दुओं के स्वाभिमान को रोंदना नहीं तो क्या था | रामसेतु को तोड़ने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में कहा गया कि राम के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं है | अतः रामसेतु को राम द्वारा निर्मित मानना कपोल कल्पित है |

थोडी भी राजनैतिक समझ रखने वाला व्यक्ति जानता है कि रामसेतु तोड़ने का उद्देश्य केवल और केवल मुस्लिम तुष्टीकरण, और हिन्दू स्वाभिमान को खंडित करने के ही लिए था | कांग्रेस का मानना था कि संसद पर हमले के आरोपी अफजल को फांसी के बाद मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है | अतः उस नाराजगी को कम करने के लिए हिन्दुओं के मां बिंदु “रामसेतु” को खंडित करने का दांव चला गया | बैसे तो “देश के शत्रु को फांसी से देश का मुस्लिम समाज नाराज होना”, यह मानना ही मानसिक दिवालियापन है, क्योंकि यह एक प्रकार से समूचे मुस्लिम समाज को कठघरे में खड़े करना जैसा है |

खैर कांग्रेस के कदम आत्मघाती सिद्ध हुए, और हिन्दुओं का स्वाभिमान खंडित होने के स्थान पर दूने वेग से उछाह मारने लगा | उन्हें लगा कि कांग्रेस सरकार द्वारा रामसेतु को तोडा जाना ठीक बैसा ही है, जैसे बाबर द्वारा किया गया राम मंदिर का विध्वंश | अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार बाबर की जगह “सोनिया, राहुल, दिग्विजय और चिदंबरम” जैसों ने ले ली है | परिणाम स्वरुप हिन्दू स्वाभिमान का जागरण हुआ और समूचे देश में भाजपा विरोधी पार्टियों की दुर्गति हो गई | मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा केंद्र में सत्तारूढ़ हो गई | इसके बाद हुए अधिकाँश राज्यों के चुनावों में भी भाजपा का विजय रथ सरपट दौड़ता दिखाई दिया |
आसाम से लेकर बंगाल या केरल तक, तुष्टीकरण की अति ने भाजपा को पल्लवित पुष्पित होने का अवसर मुहैया करा दिया ! मध्य क्षेत्र तो उसका गढ़ था ही | आखिर भारत का आम आदमी राष्ट्रहित की अनदेखी कब तक बर्दास्त करता ? आसाम की घुसपैठ समस्या तथा बंगाल व केरल के साम्प्रदायिक उन्माद ने भाजपा के मत प्रतिशत में वृद्धि की ! 

लेकिन इसे कांग्रेस का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उसने अपनी शर्मनाक पराजय से भी कोई सीख नहीं ली | उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव के पूर्व तीन तलाक का मुद्दा गरमाने लगा था | इन चुनावों में भी भाजपा को अप्रत्यासित सफलता प्राप्त हुई | माना गया कि सदियों से बेड़ियों में जकड़ी मुस्लिम महिलाओं के एक वर्ग ने तीन तलाक की कुप्रथा से निजात पाने के लिए भाजपा के पक्ष में मतदान किया | कांग्रेस को मानो सांप सूंघ गया | यह तो सीधे सीधे उसके परंपरागत वोट बेंक में सेंध थी | उत्तरप्रदेश चुनाव परिणाम का सीधा सन्देश यह निकला कि अब तुष्टीकरण की नीति के दिन लद गए | माना जाने लगा कि अब तीन तलाक और हलाला जैसी अमानवीय कुरीतियों का खात्मा होकर रहेगा |

लेकिन तभी नमूदार हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल | उन्होंने तो अति ही कर दी | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि की तुलना इस तीन तलाक की कुप्रथा से कर उन्होंने सारी सीमाएं तोड़ दीं | उन्होंने कहा कि दोनों आस्था से जुड़े प्रश्न हैं, अतः न्यायालय के हस्तक्षेप से परे हैं | भले ही कांग्रेस ने उनके इस कथन को एक वकील के द्वारा अपने मुवक्किल के पक्ष में दी गई गई दलील बताया, किन्तु इससे यह तो सिद्ध हुआ ही कि कपिल सिब्बल तीन तलाक के पक्षधर हैं | रामजन्मभूमि अयोध्या सौ करोड़ हिन्दुओं की आस्था का केंद्र बिंदु है, जबकि तीन तलाक केवल कुछ कठमुल्लों का | चूंकि कांग्रेस ने अभी तक कपिल सिब्बल के कुकृत्य को दलीय अनुशासनहीनता नहीं माना है, अतः माना जा सकता है कि उनका मत ही कांग्रेस का भी परोक्ष अभिमत है |

कितनी हैरानी की बात है कि कांग्रेस अपने इन बचकाने कदमों से अभी तक भाजपा विरोधी वोटों को ही अपने पक्ष में मोड़ने पर ध्यान केन्द्रित करती दिखाई दे रही है, जबकि भाजपा समर्थकों को अपनी ओर आकर्षित किये बिना उसे उसका मूल स्वरुप पुनः प्राप्त नहीं हो सकता ! आखिर गांधी के अभ्युदय में भी उनका संत का चोला, महात्मा की उपाधि और प्रार्थना सभाएं ही थीं ! लेकिन आज की कांग्रेस क्या बापू की तरह "रघुपति राघव राजा राम, ईश्वर अल्लाह एकही नाम, सबको सन्मति दे भगवान्" गा पायेगी ? तुष्टीकरण छोड़कर सबको समान भाव से अपना बनाना कोई आसान काम थोड़े ही है ! 

दिवाकर शर्मा 
संपादक 
क्रांतिदूत डॉट इन 

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें