भोजपुरी अश्लील गानों के माध्यम से समूचे ब्राह्मण समाज को अपमानित करने वाले अजय लाल जैसे लोगों पर हो कानूनी कार्यवाही |

सस्ती लोकप्रियता की चाह में भारत में भारतीय संस्कृति का तिरस्कार बदस्तूर जारी है | ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के जौनपुर से सामने आया है जिसमे भोजपुरी गायक अजय लाल यादव एवं जे के यादव फिल्म्स के द्वारा एक गाने में ब्राह्मणों एवं नारी जाति के लिए बेहद ही अश्लील एवं आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है जिसके बाद सम्पूर्ण देश के ब्राह्मणों में आक्रोश उत्पन्न हो गया है | 

जब यह मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के लोगों के संज्ञान में आया तो कुछ जागरूक युवाओं ने अजय लाल यादव एवं जे के यादव फिल्म्स के विरुद्ध कार्यवाही करने की गुहार जिला प्रशासन से लगायी | इन युवाओं ने पुलिस अधीक्षक के नाम का एक आवेदन थाना प्रभारी शिवपुरी को देने का प्रयास किया तो उन्होंने इन युवाओं को कोर्ट की शरण में जाने को कहकर मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया | 


यह है मामला -

विगत दिनों सोशल नेटवर्किंग साइट पर जौनपुर (उत्तरप्रदेश) निवासी भोजपुरी गायक अजय लाल यादव ने अपने एक भोजपुरी गाने का फोटो शेयर किया जिसमें ब्राह्मण समाज एवं नारियों के लिए बेहद अपमानजनक भाषा का उपयोग किया गया | इस फोटो में लिखा कि "पांडेय जी की बेटी है चुम्मा चिपक के लेती है" | इस फोटो को जैसे ही लोगों ने देखा अजय लाल के प्रति पूरे देश में आक्रोश बढ़ना प्रारम्भ हुआ | मामले को तूल पकड़ता देख अजय लाल ने फेसबुक के माध्यम से माफ़ी मांगी | फेसबुक के माध्यम से किसी समुदाय विशेष के साथ साथ नारियों के प्रति अपनी घटिया सोच को सार्वजानिक कर ने के बाद फेसबुक पर ही माफी मांग लेने से क्या सब कुछ सामान्य हो जायेगा ? 

ऐसा नहीं है कि अजय लाल ने ऐसा घटिया कृत्य पहली बार कारित किया है बल्कि इससे पहले भी कई बार सनातन संस्कृति को दूषित करने के उद्देश्य से भाभी देवर के पवित्र रिश्तों को तारतार करने वाले गाने, घटिया फोटो भी अजय लाल के द्वारा फेसबुक एवं ट्विटर के माध्यम से समय समय पर पोस्ट किये जाते रहे है, जो उनकी घिनौनी सोच को जाहिर करते है | ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होना अत्यंत आवश्यक है, नहीं तो ऐसे लोग सनातन संस्कृति में अपने अश्लील जहर से प्रदूषण फैलाते रहेंगे | 

भोजपुरी गानों में अश्लीलता की भरमार 

भोजपुरी में अश्लील गानों का इस कदर बोलबाला हो गया है कि विवाह के समय शहर में अलग-अलग जगहों से गुजरते हुए भोजपुरी की भाषाई ऑडियो संस्कृति से भी दो चार होना पड़ रहा है। सुनने के बाद तो खुद में इतनी शर्मिंदगी महसूस होती है कि लगता है क्या करें । डीजे के नाम पर दिल दहला देने वाली कर्कश और कर्ण कटु आवाज से होने वाला ध्वनी प्रदूषण और ऊपर से अश्लील गानों पर नशे में झूमते लोग । जिन अश्लील भोजपुरिया गानों पर ठुमके लगाये जाते हैं वे महिलाओं के कानों में भी पड़ते ही हैं, लेकिन कोई आवाज नहीं उठाता है। सुबह उठो तो यात्री बस में ये गाने सुनने को मिल जायेंगे। भोजपुरी गाने जैसे - जिला टॉप लागे लू, चुम्मा मांगेला मस्टरवा जैसे तमाम वाहियात गाने हमारे समाज में जहर घोल रहे है | आप यात्रा के दौरान बसों में बजने वाले इन गानों को सुनते हुए अपने गंतव्य के स्थान पर, एक अलग ही दुनिया में चले जाते हैं। हमारी जागरूकता के अभाव में यह अश्लील दुनिया चुपचाप फलफूल रही है। इसका अपना एक स्वतंत्र बाज़ार है। भोजपुरी गानों की अश्लीलता और भौंडापन गंभीर समस्या है। ऐसा भी नहीं है कि भोजपुरी के सारे गाने ऐसे ही हों, पर भोजपुरी सिनेमा इस जाल में पूरी तरह फंस चुका है। ऐसा लगता है कि सरकार से लेकर समाज तक को इससे कोई सरोकार ही नहीं है। 

स्मरणीय है कि पूर्व में बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को सरकार द्वारा मिलने वाली प्रोत्साहन राश‍ि ड्रेस और साईकिल को लेकर हाई स्कूल मे पढ़ने वाली संगीता ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व प्रशासन से अनुरोध करते हुए कहा था कि सीएम अंकल या तो अश्लील गानों को बंद करा दें या अपनी साइकिल वापस ले लें। संगीता ने यह मांग उठायी थी परन्तु तब भी न तो कोई समाजसेवी संगठन आगे आया था और न ही सरकार ने कोई आश्वासन दिया था ।

भोजपुरी की मशहूर गायिका इन्दू सोनाली व सुर संग्राम के विजेता आलोक राज ने भी भोजपुरी गानों में अश्लीलता के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेंसर बोर्ड को जिम्मेदार बताया था और कहा था कि सेंसर बोर्ड को इस तरह के गानों पर रोक लगानी चाहिए | सच यह है कि भोजपुरी पर जान-बूझ कर ओढ़ी हुई अश्लीलता का कलंक लगा हुआ है। इसके चलते भोजपुरी जैसी बड़े पैमाने पर बोली जाने वाली भाषा को गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसमें शक नहीं कि अश्लीलता बिकती है क्योंकि यह इंसान की एक नैसर्गिक ज़रूरत को पूरा करने में सहायक होती है। लेकिन क्या हमें इन पशु-सम लक्षणों से ऊपर उठ कर कलात्मक सुंदरता की खोज नहीं करनी चाहिए? 

अश्लीलता को गीत-संगीत में पिरो कर बेचने से केवल कुछ ही लोगों का भला हो रहा है (क्योंकि उन्हें पैसा मिल रहा है) लेकिन साथ ही एक भरा-पूरा समाज इस तरह की संस्कृति के चलते विकृत होता जा रहा है। अतः भोजपुरी बोलने वाले प्रबुद्ध लोगों का कर्तव्य बनता है कि वे अपनी भाषा पर लगे इस कलंक मिटाने के लिए प्रयास करें। साथ ही संस्कृति मंत्रालय को भी इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है | 

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