लगता है कि भविष्य में लोकगाथाओं के नायक बन जायेंगे – अजीत डोभाल !



हाल ही में opindia.com पर एडीटर नूपुर शर्मा का एक आलेख प्रकाशित हुआ था - Ajit Kumar Doval: The man, the legend, the folklores and India’s security | आलेख पढ़ने से ऐसा लगता है, मानो कोई थ्रिलर उपन्यास पढ़ रहे हों | उस लेख के कुछ अंशों का यह अनुवाद पढकर आप ही बताईये कि मैं सही कह रहा हूँ या गलत – 

देश के इस सबसे अच्छे जासूस को लेकर अनेक किंवदंतियां प्रचलित है। यह कहना कठिन है कि उनमें से कौन सी सत्य है और कौनसी महज मिथक, और शायद यही एक खुफिया अधिकारी की सबसे बड़ी संपत्ति होती है। कोई भी नहीं जानता कि वह कहाँ है, या वह कहाँ जा रहा है। अभी कल ही कुख्यात इस्लामिक स्टेट के भारतीय आतंकी मॉड्यूल को ध्वस्त करने वाले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, 73 वर्षीय अजीत डोभाल के नाम बेशुमार करतब हैं। 

जैसा की सभी जानते हैं कि कल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 17 स्थानों पर एनआईए के साथ-साथ यूपी आतंक-निरोधी दस्ते और दिल्ली पुलिस की विशेष छापेमारी में 'हरकत उल हरब-ए-इस्लाम' से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है । 

छापे के दौरान जब्त की गई वस्तुओं में 25 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, जैसे पोटेशियम नाइट्रेट, अमोनियम नाइट्रेट, सल्फर, 12 पिस्तौल, 150 हथगोले, 1 देश निर्मित रॉकेट लांचर, 112 अलार्म घड़ी, मोबाइल फोन सर्किट, बैटरी शामिल हैं। 51 पाइप, रिमोट कंट्रोल कार ट्रिगर स्विच, रिमोट स्विच के लिए वायरलेस डिजिटल डोरबेल, स्टील कंटेनर, बिजली के तार, 91 मोबाइल, 134 सिम कार्ड, 3 लैपटॉप, चाकू, तलवार, आईएसआईएस से संबंधित साहित्य और लगभग 7.5 लाख रु. नकद । 

एनआईए के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोग दिल्ली के आसपास कई आतंकवादी हमले करने की योजना बना रहे थे। 

केरल कैडर के सेवानिवृत्त IPS अधिकारी, अजीत डोभाल आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के मुद्दों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार हैं। डोभाल के इर्द-गिर्द की कहानियां किसी रोमांचक उपन्यास से कम नहीं हैं । वे 7 साल तक मुस्लिम बनकर पाकिस्तान में छुपकर रहे । इसका वर्णन करते हुए उन्होंने एक बार बताया था कि पाकिस्तान में रहते हुए, एक सफेद दाढ़ी वाले पाकिस्तानी ने उन्हें हिंदू के रूप में पहचान लिया था, क्योंकि उनके कान में एक छेद था। किन्तु उस व्यक्ति ने उन्हें एकांत में बताया कि वह स्वयं भी मूलतः एक हिन्दू ही है, और अपने पूरे परिवार की हत्या के बाद पाकिस्तान में विवश होकर रह रहा है। 

डोभाल को लेकर एक किवदंती उनके ऑपरेशन दाऊद की है। हालांकि इस कहानी की कभी पुष्टि नहीं की गई है, और शायद कभी की भी नहीं जाएगी। 2005 में, दाऊद की बेटी माहरुख की शादी पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे जुनैद के साथ मक्का में हुई थी, जबकि रिसेप्शन ग्रैंड हयात होटल दुबई में होना था। कहा जाता है कि उस समय छोटा राजन गिरोह के कई लोगों को एक गुप्त स्थान पर प्रशिक्षित किया गया था। जब डोभाल के निर्देशन में दाउद को निबटाने की योजना बनाई जा रही थी, तभी दाऊद की हितैषी पुलिस ने उस ठिकाने पर छापा मारा जहाँ छोटा राजन गिरोह के शार्पशूटर फ़रीद तनाशा और विक्की मल्होत्रा ​​ मौजूद थे । मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी धनंजय कमलाकर ने उन लोगों के हथियार छीन लिए । डोभाल हक्केबक्के रह गए और उनकी योजना असफल हो गई । कुछ लोगों का मानना है कि यह इसलिए हुआ, क्योंकि डोभाल अपने स्तर पर यह ऑपरेशन कर रहे थे, उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार से इसकी कोई मंजूरी नहीं ली थी । जबकि अन्य लोगों का मानना है कि गृह मंत्रालय के पास खुफिया ऑपरेशन से दूरी बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। कुछ भी हो डोभाल की दाऊद को खत्म करने की कसम अधूरी रह गई । 

ऑपरेशन दाऊद के ही समान डोभाल के “ऑपरेशन राजपक्ष” को लेकर भी यही कहा जाता है कि उसमें भी दिग्गजों की सहमती नहीं थी। कहा जाता है कि अजीत डोभाल ने हाल के चुनावों में राजपक्ष को सत्ता च्युत करने और उसे अस्थिर करने में भूमिका निभाई थी। महिंदा राजपक्ष भारत का मित्र नहीं था और उसका चुना जाना भारत के लिए अच्छा नहीं होता। राजपक्षे ने भारत को सूचित किये बिना दो चीनी पनडुब्बियों को श्रीलंका में डॉक करने की अनुमति दी थी, जबकि श्रीलंका और भारत के बीच हुए स्थायी समझौते के अंतर्गत यह किया जाना चाहिए था, और यही बात डोभाल को खटक गई । 

यह भी कहा जाता है कि श्रीलंका ने रॉ के कोलंबो प्रमुख को निष्कासित कर दिया और आरोप लगाया कि वह राजपक्ष को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्षी मैथ्रिपाला सिरिसेना की मदद कर रहा था । इसके बाद भी राजपक्ष बाद में हुए राष्ट्रपति चुनावों में हार गया। यह माना जाता है कि मैथिपाला सिरिसेना, अजीत डोभाल के इशारे परही राजपक्ष मंत्रिमंडल को छोड़ कर बाहर हुए थे। स्मरणीय है कि चीनी पनडुब्बियों को गोदी में ठहरने की अनुमति के बाद, अजीत डोभाल ने राजपक्ष से मिलने के लिए श्रीलंका की यात्रा की थी । कहने को तो यह भारत के हितों को ध्यान में रखने हेतु उसे मनाने के लिए एक सामान्य बैठक भर थी, किन्तु कहा जाता है कि डोभाल वास्तव में सिरिसेना से मिलने और पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा और पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को उनके समर्थन हेतु तैयार करने ही श्रीलंका गए थे। उन्होंने उस दौरान मुख्य तमिल पार्टी टीएनए के नेताओं से भी मुलाकात की। उन्होंने कथित तौर पर तमिल पार्टी को चुनावों का बहिष्कार न करने के लिए मनाया। ऐसा कहा जाता है कि डोभाल ने विक्रमसिंघे को राजपक्ष के खिलाफ स्वयं चुनाव लड़ने के स्थान पर सिरिसेना के समर्थन हेतु मना लिया | 

मोदी को नफ़रत की हद तक नापसंद करने वाले लोग जिस समय श्रीलंका को 'नियंत्रण' में रखने की प्रधानमंत्री की क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे थे, और आरोप मढ़ रहे थे कि उन्होंने श्रीलंका को चीन के हवाले कर दिया है, उस समय मोदी के सबसे भरोसेमंद लेफ्टिनेंट डोभाल चुपचाप रात दिन काम में जुटे हुए थे, और उसीका नतीजा है कि आज देश को चीन पर बढ़त हासिल है । 

2014 में, तिकरित में 46 नर्स और मोसुल में 39 भारतीय फंसे थे। दोनों शहरों को इस्लामिक स्टेट ने घेर लिया था और लग रहा था कि ये लोग शायद ही बचाए जा सकें । विपक्ष हंगामे पर हंगामा किये जा रहा था। बामपंथी पोर्टल्स अपनी ख़ुशी छुपा नहीं पा रहे थे और व्यंग लेख लिख रहे थे, "हमारे भाइयों को वापस लाने में असफल मोदी और डोभाल " । लेकिन एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद, डोभाल ने स्वयं इराक की यात्रा की। कोई नहीं जानता कि इराक में उन्होंने क्या किया, किससे मिले । लेकिन यह सभी जानते हैं कि उसके बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक आसिफ इब्राहिम को रिहाई के लिए बातचीत हेतु रियाद भेजा गया । डोभाल और इब्राहिम दोनों की यात्राएँ 25 और 26 जून को हुईं और नतीजा सामने है, 6 जुलाई को केरल की नर्सें इराक से कोच्चि नेदुम्बसेरी हवाई अड्डे पर सकुशल आ गईं । 

पश्चिम एशिया पर ध्यान देने के साथ, अजीत डोभाल ने ईरान और इज़राइल की गुप्त यात्राएँ भी की हैं। यह माना जाता है कि डोभाल ने ईरान से संवेदनशील मामलों पर चर्चा की। जैसे कि भारतीय नौसेना के लिए दीर्घकालिक बेस बनाना। यह चर्चा चाबहार बंदरगाह पर प्रगति के अतिरिक्त थी। हालाँकि, इसके विवरण कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए । अधिकारी भले ही इनकार करते रहें, किन्तु माना जाता है कि इज़राइल में डोभाल ने परमाणु सहयोग पर चर्चा की। 

कहा जाता है कि ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान डोभाल गुपचुप स्वर्ण मंदिर में प्रवेश कर गए थे । उन्हें खालिस्तान आतंकवादी कमांडर सुरजीत सिंह पेंटा का सहयोगी एक आईएसआई अधिकारी समझा गया । अजीत कुमार डोभाल ने खुफिया जानकारी इकट्ठा की, जिनकी मदद से खालिस्तानी आतंकवादियों ने घंटों चली घेराबंदी के बाद आत्मसमर्पण कर दिया । 

कहानियाँ और भी हैं। उदाहरण के लिए, अजीत डोभाल द्वारा सेवानिवृत्त अमेरिकी रक्षा सचिव-जनरल जेम्स मैटिस, सेवानिवृत्त होमलैंड सिक्योरिटी जनरल के सचिव जॉन केली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर से 2017 में मुलाकात कर खुफिया सहयोग पर चर्चा की गई, जिसका नतीजा है कि पिछले 4.5 वर्षों में भारतीय जमीन पर कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हो सका है। 

हालांकि डोभाल, बामपंथियों के निशाने पर लगातार रहते आये हैं और यहां तक ​​कि मौके बेमौके पर उनका इस्तीफा भी मांगते रहते हैं, किन्तु अजीत डोभाल ने बार-बार साबित किया है कि राष्ट्र को सुरक्षित रखने में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है । इराक की गुप्त यात्राओं से लेकर चीन को दरकिनार कर श्रीलंका को सहयोगी बनाने तक, डोभाल ने स्वयं को प्रधानमंत्री के लक्ष्य “विकसित भारत – सुरक्षित भारत” के लिए अत्याधिक उपयोगी साबित किया है । 

पिछले कुछ महीनों में, अजीत डोभाल ने भारत में आईएसआईएस पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। सत्ता के गलियारों में लगातार वर्षों से इस खतरे की चर्चा होती रही है । डोभाल की सक्रियता से कई आतंकी योजनाओं को नाकाम कर दिया गया है, गिरफ्तारियां की गई हैं, मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया और खतरों को बेअसर कर दिया गया। भारत में पाकिस्तान आईएसआई जासूसी-तंत्र को कमजोर करने के साथ साथ, डोभाल को देश के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है। इसके अलावा, जब लाल गलियारे से डोभाल को बर्खास्त करने की मांग उठती है, तो यह भी अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रतीत होती है और लगता है कि पावर कॉरिडोर सही रास्ते पर हैं।
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1 टिप्पणियाँ

  1. यह अजित डोभाल के कारनामे जो राष्ट्र भक्ति के साथ राष्ट्र सेवा और कर्तब्य का अपने सूझबूझ से समाधान महानायकों के श्रेणी में रखती है।

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