गणतंत्र दिवस पर विचारणीय एक प्रश्न - हमें क्या चाहिए - लोकतंत्र या राजशाही - संजय अवस्थी



अजीब सा लगता है जब इस देश में हम लोकतंत्र को राजशाही होते देखते हैं।

स्व. मोतीलाल नेहरू(उस समय एकदम खलास मॉडर्न थे,गूगल कहता है मशहूर अदाकारा स्व.नरगिस की माँ, एक नाचने वाली से जन्मी उनकी नाज़ायज सन्तान थीं),कश्मीरी पंडित थे,देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व.जवाहर लाल नेहरु(जो बहुत अल्ट्रा मॉडर्न थे),उनके पुत्र , भी कश्मीरी पंडित हुए। यह पीढ़ी तो पूरी तरह 100% प्रतिशत शुद्ध थी।

एक गुमनाम कांग्रेसी कार्यकर्ता जो पारसी थे,फिरोज ने बीमार कमला नेहरू की अंतिम दिनों में सेवा की,नेहरूजी की बेटी इंदिरा से प्यार हुआ,विवाह हुआ, उस समय के समाज की दकियानूसी को देखते हुए और नेहरुजी के रसूख को देखते हुए,फिरोज को उपनाम दिया 'गांधी', महात्मा गांधी ने।

देश की एक ताकतवर प्रधानमंत्री के पति तो गुमनामी में खो गए। इंदिराजी के पुत्र हुए राजीव और संजय।

क्योंकि पिता की जाति और सरनेम मिलता है तो राजीव और संजय भी पारसी ही होंगे,कश्मीरी पंडित नहीं।

स्व.राजीव ने इटली की सोनिया माईनो से विवाह किया।ईसाई समुदाय में विवाह की पूर्व धर्म परिवर्तन होता है।अतः या तो राजीव ईसाई हुए या पारसी।उनकी संतान वर्तमान कांग्रेस अध्य्क्ष राहुल और कांग्रेस का कथित तुरुप का इक्का प्रियंका या तो ईसाई होंगी या पारसी।

प्रियंका ने शादी की ईसाई रोबर्ट वाडरा से,इसलिये प्रियंका को तो पूर्णतः ईसाई धर्म का होना चाहिए, कश्मीरी पण्डित कैसे?

फिर या तो सरनेम नहीं या एक ही रहता है, तो प्रियंका वाड्रा ही होंगी न कि प्रियंका गांधी वाड्रा।

बिकाऊ मीडिया के राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि प्रियंका के आने से ब्राह्मण समाज,कांग्रेस को समर्थन देगा।क्या समस्त ब्राह्मण समाज इतना अक्ल से पैदल है जो एक ईसाई/कश्मीरी पंडित/पारसी/इटालियन क्रोसब्रीड को ब्राह्मण समझेगा?😊 अगर ऐसा है तो यह समाज, आज जिस रसातल में पहुंचा है वो उससे भी बुरे का हकदार है।

हमारे लोकतंत्र में वोटिंग पैटर्न बड़ा ही विचित्र एवं हास्यास्पद भी है।हम परिपक्व मतदाता नहीं हुए। अभी भी हम अगर किसी खानदान की अभिजात्य सन्तानों को राजकुमार के समान,महिमा मंडित करते हैं, तो हम वही "नीरो बंसी बजा रहा" के युग मे रहेंगे,यहां न कुछ जलेगा, न आग लगेगी।एक ही खानदान राज करेगा,वो एक टुकड़ा फेंकेगा और हम उस टुकड़े और उसके चेहरे में मुग्ध हो,उसी खानदान की सरकार या उसकी गुलाम सरकार बनाते रहेंगे।

देश में दो ही दल हैं जिनकी विचारधारा है, बीजेपी और कम्युनिस्ट। कांग्रेस तो एक समूह था,जो देश को स्वतंत्र करने बना था,कोई विचार धारा नहीं थी।आज तो यह एक परिवार से निर्देशित,सत्ता प्राप्ति हेतु एकत्र हुए गैंग के समान है।

हम चमत्कार चाहते हैं,5 वर्षों में मोदी सब कुछ कर दे।नहीं तो हम किसी को भी देश सौंप देंगे।

अगर सर्वे सही हैं तो यह 26 जनवरी को एक राष्ट्र वादी प्रधानमंत्री की अंतिम सार्वजनिक आधिकारिक उपस्थिति होगी।तैयार रहें, हमने तो देवगौडा, चरण सिंह और गुजराल को प्रधानमंत्री बनते देखा है, कोई ऐसा ही कांग्रेसी बैसाखी वाला व्यक्ति या कोई गांधी( ये परिवार कब तक गाँधी लगाता रहेगा,सुना है प्रियंका के भी दो बच्चे हैं, पुत्र तो 18 का है) प्रधानमंत्री बनेगा।
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