क्लेप्टोक्रेट क्लब – अरुण जेटली


एक राजनेता जो देश के संसाधन चुराने पर आमादा होता है, उसे क्लेप्टोक्रेट कहा जाता ही | दुर्भाग्य से देश में ऐसे क्लेप्टोक्रेट की भरमार हो गई है | अपनी रुग्णता के बावजूद भारत के जागरुक सुपुत्र श्री जेटली ने इसी विषय को रेखांकित किया है | प्रस्तुत है उनके नवीनतम ब्लॉग का त्वरित अनुवाद !

सीबीआई द्वारा कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ पर ममता बनर्जी द्वारा व्यक्त असहमति की सीमातीत प्रतिक्रिया ने सार्वजनिक प्रवचन के कई मुद्दों को चिह्नित किया है। इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है “क्लेपटोक्रेट क्लब” द्वारा भारत के शासन पर कब्जा करने की इच्छा । 

चिट फंड धोखाधड़ी और इसकी जांच 

पश्चिम बंगाल के चिट फंड फ्रॉड की जानकारी 2012-13 में सामने आई। इसके बाद इसकी जाँच सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सौंप दी । इन जांचों की कोर्ट ने ही निगरानी की। सीबीआई ने पूछताछ की और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया। इनमें से कई को जमानत मिल गई । अगर किसी पुलिस अधिकारी से भी पूछताछ की आवश्यकता है, तो यह "सुपर इमरजेंसी", "संघवाद पर हमला" या "संस्थानों का विनाश" कैसे हो जाता है? मुख्यमंत्री की घृणित और अपमानजनक प्रतिक्रिया के पीछे क्या रणनीति है? प्रत्येक विपक्षी दल से जुड़े अन्य नेताओं को धरने में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने में उनकी क्या रणनीति है? यह मानना ​​एक भारी भूल होगी कि वे यह सब इसलिए कर रही हैं, क्योंकि नियमित जांच में एक पुलिस अधिकारी को शामिल किया गया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया है, ताकि उनके व अन्य विपक्षी नेताओं के बड़े बड़े घोटालों पर से लोगों का ध्यान हट जाए, तथा वे भारत के विपक्ष की मुख्य नायिका के रूप में स्वयं को दर्शा सकें । उनके भाषणों में प्रधान मंत्री मोदी पर हमला होता है, लेकिन उनकी परोक्ष रणनीति अपने कुछ अन्य प्रतिद्वंदी सहयोगियों को ठिकाने लगाकर स्वयं को केन्द्रीय भूमिका में लाने की होती है । 

क्या कोई राज्य देश के संघीय ढाँचे पर आक्रमण कर सकता है? 

संघवाद कोई नारा नहीं है। यह केंद्र-राज्य संबंधों का एक नाजुक संतुलन है। हमारा संवैधानिक ढांचा केंद्र और राज्य के बीच कार्यों के बंटवारे को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। यह एक दूसरे के अतिक्रमण की अनुमति नहीं देता है। केंद्रीय एजेंसियां ​​और संगठन हैं जो राज्यों में वैध जांच करते हैं। आज पश्चिम बंगाल राज्य में सीबीआई के अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर कानूनी रूप से अपराध की जांच से बल पूर्वक और हिरासत में लेकर रोका जा रहा है। यह संघवाद पर हमला करने वाली राज्य सरकार के कामकाज के तरीके का स्पष्ट चित्रण है। 

क्या कोई राज्य सरकार आयकर विभाग को एक राज्य में कर एकत्र करने से रोक सकती है? क्या कोई अन्य राज्य सरकार एनआईए को राज्य में स्थित आतंकवादी को गिरफ्तार करने के लिए आगे बढ़ने से रोक सकती है? क्या प्रवर्तन निदेशालय को किसी राज्य में रह रहे तस्कर या मनी-लॉन्ड्रर की जांच या गिरफ्तारी से रोका जा सकता है? जाहिर तौर पर इसका जवाब नहीं है। यदि इनमें से कोई भी दिखाई दे रहा है, तो यह राज्य द्वारा संघवाद पर हमला करने का मामला होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जिम्मेदारी के निर्वहन से केंद्रीय जांच एजेंसी को रोका जाना संघवाद पर सीधा हमला है। 

नया क्लेप्टोक्रेट क्लब 

आधुनिक तकनीक से अनुचित मौद्रिक लेन-देन का पता लगाना बहुत आसान हो गया है और अवैध गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है। इससे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की सभी जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार सहित वित्तीय अपराधों का खुलासा करने में सक्षम हो गई हैं । 

जब ममता बनर्जी ने धरने पर बैठने का फैसला किया तो उन्हें कई विपक्षी दलों का समर्थन मिला। उनके बीच एक महत्वपूर्ण समानता है। वे सभी विपक्ष में हैं और सत्ता में रहने की ख्वाहिश रखते हैं। उनमें से अधिकांश, या उनके सहयोगियों पर या तो मुकदमा चलाया जा रहा है या उनकी जांच की जा रही है, और कुछ मामलों में तो भ्रष्टाचार के अपराधों के लिए दोषी भी ठहराया जा चुका है। बिहार के उनके सहयोगी प्रमाणित दोषी है। आंध्र प्रदेश के मित्र ठेकदारों और मनी लौंडरर्स की पार्टी संचालित करते है। उत्तर प्रदेश के उनके दोनों दोस्त भ्रष्टाचार की निंदनीय विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिसके दिमाग से वे चलती है, दिल्ली सरकार के उस अराजक भाई के मंत्रीमंडल सहयोगियों के पैनी स्टॉक कंपनियों की जानकारी सामने आ चुकी है। हैरत की बात है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने भी सारदा के स्वघोषित घोटालेबाज के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर समर्थन देने की बात की है । यह महाशय कांग्रेस पार्टी के उस पहले परिवार से संबंधित है, जहां परिवार के अधिकांश सदस्य जमानत पर हैं। 

यह पहले से ही जाना माना तथ्य है कि विपक्ष एक गैर-वैचारिक अल्पकालिक गठबंधन करने जा रहा है। भारत अस्थिरता बर्दाश्त नहीं कर सकता। अतः यह भी स्पष्ट है कि अगला चुनाव मोदी बनाम अराजकता होगा । ममता बनर्जी की नवीनतम कलाबाजी भारतीय विपक्ष की मानसिकता और वे कैसी सरकार देंगे इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है । लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन लोगों ने पश्चिम बंगाल के धरने का समर्थन किया है, वे ऐसे हैं जो आर्थिक अनियमितता, आपराधिक कदाचार और यहां तक ​​कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से जूझ रहे हैं। क्या "नया भारत" कभी भी इस क्लेपटोक्रेट क्लब द्वारा संचालित किया जा सकता है?
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