तानाशाह कमलनाथ और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय



सिख दंगो के आरोपी मुख्यमंत्री कमलनाथ शिक्षाविदों पर प्रतिशोध की भावना से कार्यवाही कर रहे हैं | इतना ही नहीं तो वे एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान को राजनीतिक प्रतिशोध में घसीट रहे हैं |

20 अप्रैल, शनिवार दोपहर 12:00 बजे होटल पलाश में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में राज्यसभा सांसद श्री राकेश सिन्हा ने यह आरोप लगाया | भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और शिक्षकों के विरुद्ध बिना जाँच और अप्रमाणित आरोपों पर FIR दर्ज कराने के विरोध में ‘अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम’ की ओर से प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया था ।

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राकेश सिन्हा ने कहा कि इस सरकार ने तानाशाही मानसिकता से ग्रस्त होकर यह कदम उठाया है और  राकेश सिन्हा ने यह स्पष्ट किया कि उनके ऊपर लग रहे सभी आरोप निराधार हैं और उन्होंने अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान उल्लेखित सभी शर्तों का पालन किया है।

प्रो. सिन्हा ने अन्य सभी शिक्षकों पर लगे आरोपों पर बात करते हुए कहा कि कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनते हीं एक पत्रकार से बात करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के शिक्षकों पर कार्यवाही करेंगे और इससे स्पष्ट है कि यह कार्यवाही किसी जांच और शिकायत के आधार पर नहीं बल्कि सुनियोजित ढंग से इसलिए की है क्यूंकि वह एक ऐसे शैक्षणिक संस्थान को बर्दास्त नहीं कर सकते जहाँ सभी विचार समान रूप से उपस्थित हों। 

इस विषय पर पत्रकारों से बात करते हुए प्रो. सिन्हा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के अन्दर भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के दमनकारी नीतियों का विरोध हो रहा है और कांग्रेस के 7 विधायकों ने उनसे संपर्क करके यह कहा है कि वह इस कदम से सहमत नहीं हैं, प्रो. सिन्हा ने यह भी कहा कि वह 3 और विधायकों से भी संपर्क में हैं।

प्रो सिन्हा ने जांच समिति पर बात करते हुए कहा कि उचित यही है कि एक पूर्ण और पक्षपातरहित जाँच की जाए, क्योंकि संबंधित व्यक्ति विश्वविद्यालय के प्राध्यापक हैं और अत्यन्त जिम्मेदार नागरिक हैं। गुरुजनों पर की जा रही अवैधानिक कार्यवाही से छात्रों पर बुरा असर पड़ रहा है एवं गुरुजनों की गरिमा धूमिल हो रही है।

म. प्र. शासन एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कदम से राजनैतिक प्रतिशोध की गंध आती है। ‘इस संदर्भ को देखते हुए’ हमें संदेह है कि कोई भी जांच कमेटी जो विश्वविद्यालय द्वारा अपने कदम को तर्कसंगत सिद्ध करने के लिए स्थापित की जाती है या की जाएगी, वह पर्याप्त रूप से पक्षपातरहित और वस्तुनिष्ठ होगी। इससे विश्वविद्यालय और सरकार की विश्वसनीयता और छवि और भी अधिक धूमिल हो जाएगी। 

उन्होंने वर्तमान कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी प्रश्न खड़ा किया, उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के संचालन के लिए एक अधिनियम है जिसके अनुसार कुलपति की नियुक्ति महापरिषद हीं कर सकती है लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महापरिषद के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए गलत ढंग से कुलपति की नियुक्ति की है। शिक्षकों पर FIR और जांच के मामले में भी विश्विद्यालय के अधिनियम, महापरिषद और विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष (माननीय उपराष्ट्रपति) के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।

प्रो सिन्हा ने सरकार द्वारा बनाई गई जांच समिति पर भी प्रश्न उठाया, उन्होंने कहा यह कैसी जांच समिति थी जिसमें दो कांग्रेस के प्रवक्ता शामिल थे। इससे भी स्पष्ट है कि जांच समिति की मंशा और जांच की दिशा क्या रही होगी। राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय की स्वायत्ता पर सीधा प्रहार किया है। किसी भी प्रकार की जांच के लिए एक प्रक्रिया है, जो विश्वविद्यालय के अधिनियम में दी गयी है, जिसकी इस प्रकरण में पूरी तरह अनदेखी की गई है।

इस प्रेस वार्ता में ‘अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम’ के भोपाल प्रतिनिधि मंडल से प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज (वरिष्ठ साहित्यकार),श्री कैलाशचन्द्र पंत (संचालक, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, मध्यप्रदेश),डॉ. देवेन्द्र दीपक (पूर्व निदेशक, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश) ,प्रो. कुसुमलता केडिया (प्रख्यात अर्थशास्त्री एवं पूर्व निदेशक गांधी विद्या प्रतिष्ठान, बनारस), डॉ. कपिल तिवारी (वरिष्ठ साहित्यकार),डॉ. विनय राजाराम (वरिष्ठ शिक्षाविद),श्री ओ.पी. सुनोरिया (सेवानिवृत्त न्यायाधीश),श्री राजेंद्र शर्मा (प्रधान संपादक, स्वदेश भोपाल समूह),श्री रमेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) भी मौजूद थे। प्रेस वार्ता से पूर्व उक्त प्रतिनिधि मंडल ने माननीय राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगे रखी और विरोध दर्ज करवाया।

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