अगर शराब में सोडे की जगह सत्ता मिलाई जाए तो कहानी बनती है - पोंटी चड्ढा जैसी दुखांत !



पिछले दिनों ईओडब्यू् ने मनप्रीत सिंह उर्फ़ मोंटी चड्ढा को नई दिल्लीं के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया है। धोखाधड़ी के मामले में आरोपी मोंटी फुकेट भागने की तैयारी में था। खुफिया जानकारी के आधार पर पहले ही पुलिस अलर्ट पर थी। अतः वह भागने में सफल न हो सका ।

किसी थ्रिलर से कम रोचक नहीं है, मोंटी चड्ढा और उसके पिता पोंटी चड्ढा की जीवन कहानी | गुरदीप सिंह उर्फ पोंटी चड्ढा का जन्म मुरादाबाद में हुआ था व उसके पिता कुलवंत सिंह शहर में कच्ची शराब बेचने वाले एक ठेके के सामने नमकीन बेचने का खोंचा लगाते थे। वहां माल बेचते-बेचते उन्होंने नमक और शराब पर मानो अनुसंधान कर डाला। 

अपनी क्षमता, दक्षता व योग्यता के आधार पर उसी दुकान का लाइसेंस हासिल किया जिसके आगे वे खोचा लगाते थे। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका बेटा पोंटी चड्ढा बहुत योग्य साबित हुआ। बचपन में पतंग उड़ाते समय उसका मांझा बिजली के तारो में जाने के कारण करंट लगने का शिकार हो गया था व अपना एक हाथ गंवा चुका था। इसके बावजूद उसने आसमान छूने का लक्ष्य बनाए रखा और उत्तर प्रदेश में सरकार किसी की भी क्यों न रही हो, शराब के धंधे में हमेशा उसकी ही चली। 

समाजवादी पार्टी से लेकर बसपा सरकार तक उसकी जेंबो में समाई रहीं। हर सरकार के साथ-साथ उसका व्यापार बढ़ता गया। पहले उसने शराब के धंधे पर एकाधिकार जमाया और उसे तैयार करने वाली डिस्टलरी पर कब्जा जमाता गया। मायावती सरकार ने उसे औने-पौने दामों पर कुछ बीमार चीनी मिले बेच दी। वह बहुत सस्ती में शराब खरीद कर अच्छी कीमत पर बेचने लगा। 

एक समय तो ऐसा भी आ गया जबकि उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य बन गया कि सरकारी दुकानो पर शराब की बोतल पर छपे हुए से ज्यादा कीमत पर शराब बेची जा रही थी। फिर उसने शराब के साथ-साथ नमकीन का पैकेट बेचना भी शुरू कर दिया। इसकी अलग से मोटी कीमत ली जाती थी। मगर अपने पिता की याद में इस योग्य बेटे ने हर खरीददार के लिए उसे खरीदना अनिवार्य कर दिया। वह व्यक्ति नहीं व्यवस्था था। सरकारे व अफसर नेता उसकी जेब में पड़े रहते हैं। देखते-ही-देखते उसने मिड-डे मील से लेकर जमीन जायदाद में भी अपने पैर जमाए और दिल्ली की सीमा से सटे नोएडा में सरकार की कृपा से बहुत अच्छी जमीने खरीदी। 

उसने कानपुर में पहला मॉल वेव सिटी बनाया था। आज भी नोएडा के सबसे महंगे व्यवसायिक इलाके में वेव सिटी के नाम से उसकी माल, सिनमा हॉल है। वहां मेंट्रो का एक स्टेशन तक वेव सिटी के नाम पर है। उसने धीरे-धीरे सरकार की मिड-डे योजना पर कब्जा किया और फिर देखते ही देखते फिल्म निर्माण व वेब सिनेमा की श्रृंखला खोल दी। उसने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब में भी अपने कदम जमाए और अफ्रीकी देशा में जमीनें खरीदी। 

एक बार अमर सिंह ने उसके बारे में कहा था कि वह अपनी कमाई में से 70 फीसदी रिश्वत नेताओं को 30 फीसदी सरकारी कर्मचारियों को देता है। देखते ही देखते उसकी धन संपत्ति 30,000 करोड़ की हो गई। वह आईपीएल के मैच स्पांसर बनने लगा। केंद्र में सरकारें गिराने के लिए जाने जाने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने उसका बहुत सकारात्मक इंटरव्यू छापते हुए लिखा था कि अब तो वह शिक्षा के क्षेत्र में कदम बढ़ाने वाला है। 

पोंटी चड्ढा ने यह साबित किया कि अगर शराब में सोडे की जगह सत्ता को मिलाया जाए तो इंसान कितनी प्रगति कर सकता है। उसने साबित किया कि हमारे लोकतंत्र में नेताओं की सेवा करके कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

लेकिन इतना सब करने का नतीजा क्या हुआ ? दिल्ली के छत्तरपुर में स्थित 12 एकड़ के एक प्लाट को लेकर उसका अपने ही छोटे भाई से झगड़ा हो गया व उसने गुस्से में उसे गोली मार दी और भाई के अंगरक्षकों ने उसे गोलियों से भून दिया। और इस तरह दोनों ही भाई सत्ता के नशे का शिकार होकर दुनिया से अलविदा हो गए। 

सब जानते हैं कि खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना है, लेकिन भौतिकता की चकाचोंध में नैतिक अनैतिक का भेद भूलकर हाय पैसा हाय पैसा की जद्दोजहद में डूबी हुई है दुनिया |

साभारआधार  - नया इण्डिया 
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