छत्तीसगढ़ के राजिम स्थित राजीवलोचन मंदिर, जहाँ हर रात आते है भगवान् विष्णु !


राजिम में महानदी के तट पर छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर स्थित है जहाँ पर भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं ! यहाँ पर महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण यह स्थान छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है ! राजीवलोचन में भगवान विष्णु के आने के प्रमाण भी बताए जाते हैं ! मंदिर में हर रात्रि को भगवान के लिए गद्दी, चादर आदि से एक बिस्तर लगाया जाता है ! उसके पास एक कटोरी में तेल भी रखा जाता है। इसके बाद पुजारी मंदिर के पट बंद कर देते हैं ! आश्चर्यजनक रूप से जब अगले दिन मंदिर के पट खोले जाते है तब न तो कटोरी में रखा तेल मिलता है एवं बिछाए गए बिस्तर पर सलवटें मिलती है !

बिस्तर पर मिली सलवटों को देख ऐसा महसूस होता है जैसे रात्री के समय यहाँ कोई सोने के लिए आया हो ! श्रद्धालु मानते है कि आज भी भगवान विष्णु यहां आते हैं नित्य तेल से मालिश करते हैं और उसके बाद यहीं शयन करते हैं !

इस घटना की सत्यता को जाचने हेतु मंदिर के गेट पर ताला भी लगाया गया, गेट पर कड़ा पहरा भी दिया गया, परन्तु इसके बावजूद भी अगले दिन कटोरी में से तेल नदारद मिला और बिस्तर पर भी सलवटें पायी गयी ! 

प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि के बीच यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है इस मेले को राजिम कुंभ के नाम से जाना जाता है ! माघ पूर्णिमा को भगवान राजीव लोचन का जन्मदिन माना जाता है ! श्रधालुओं का विश्वास है कि माघ पूर्णिमा के सुबह यहाँ स्थित त्रिवेणी संगम में स्नान करने से लोगों की व्याघ्र-बाधाओं एवं पापों से मुक्ति मिल जाती है !

गर्भगृह में राजीवलोचन यानी विष्णु की मूर्ति सिंहासन पर स्थित है ! यह प्रतिमा काले पत्थर की बनी चतुर्भुज आकार की है ! इसके हाथों में शंक, चक्र, गदा और पद्म है ! इसकी लोचन के नाम से पूजा होती है ! मंदिर के दोनों दिशाओं में परिक्रमा पथ और भंडार गृह बना हुआ है ! महामंडप को 12 प्रस्तर खंभों के सहारे बनाया गया है ! गर्भगृह के द्वार पर दाएं बाएं और ऊपर चित्र हैं इनपर सर्पाकार मानव आकृति अंकित है और मिथुन की मूर्तियां हैं ! मंदिर में आकर्षक मिथुन मूर्तियां दीवारों पर उकेरी गई हैं ! इनके वस्त्र अलंकरण भी आकर्षक हैं !


राजीव लोचन मंदिर में क्षत्रिय पुजारी करते है पूजा 

राजीव लोचन मंदिर में वैसे तो अन्य मंदिरों की भाँती देखरेख के लिए ट्रस्ट मौजूद है परन्तु राजा रत्नाकर के समय से ही इस मंदिर में क्षत्रिय पुजारी मंदिर में नियुक्त हैं ! ये क्षत्रिय पुजारी जनेउ धारण करते हैं ! स्तुति पाठ के लिए ब्राह्मण पुजारी भी तैनात किए जाते हैं पर मुख्य पूजा क्षत्रिय पुजारी ही कराते हैं ! मंदिर में प्रसाद के तौर पर चावल का निर्मित पीड़िया भी उपलब्ध होता है !

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