अपने स्वर्गीय बेटे को एक अनोखी श्रधांजलि देते मुंबई के तन्ना दंपत्ति

दुसरो की मदद करने वाला, नेक दिल और दयालु निमेश तन्ना एक फोटोग्राफर था ! अगस्त 2011 का वह एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था जब किसी मीटिंग में जाने के लिए निमेश घर से निकला और फिर कभी अपने घर वापस न आया ! ट्रेन की ट्रैक के समीप लगे एक पोल से उस वक़्त उसका सर टकरा गया जब उसने अपना सर बाहर देखने के लिए निकाला ! चलती ट्रेन से निमेश गिर पड़ा और वहीँ उसकी मृत्यु हो गयी !

इस घटना को चार साल बीत चुके हैं फिर निमेश के बचपन के मित्र किन्तन पारेख उसे भुला नहीं पाते है उनकी आवाज़ में आज भी निमेश को याद करते हुए वही दर्द जीवित है !

आँखों में आसूं लिए निमेश के मित्र किन्तन बताते हैं -

” हम बचपन से ही सबसे अच्छे मित्र थे ! हम दोनों शुरू से ही एक ही स्कूल और उसके बाद एक ही कॉलेज में एक साथ पढ़े ! यही नहीं हमने एक ही कंपनी में नौकरी भी ज्वाइन की परन्तु बाद में निमेश फोटोग्राफी में अपना कैरियर बनाने का फैसला किया ! उस रात हमने साथ ही फिल्म देखने का कार्यक्रम बनाया था पर मुझे नहीं पता था की निमेश लौट कर कभी नहीं आने वाला !”

दुखी मन से किंतन उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि “जब रेलवे अधिकारियो का उन्हें फ़ोन आया था कि CST रेलवे ट्रैक के पास एक शव मिला है उस वक़्त निमेश के माता पिता उनके साथ ही थे और निमेश का फ़ोन न लगने के कारण वह पहले से ही काफी चिंतित थे ! निमेश के पिताजी तो दिल के मरीज भी है यही सोच कर मैंने उन्हें निमेश के इस दुनिया में न होने की खबर न बता कर मात्र इतना बताया कि निमेश का एक्सीडेंट हो गया है और वह घायल है, परन्तु हम लोग जैसे ही दुर्घटना स्थल पर पहुंचे निमेश के पिताजी बिलकुल टूट गए उन्हें इस बात पर बिलकुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि उनका एकमात्र पुत्र अब इस दुनिया में नहीं रहा !”

जब हम निमेश का मृत शरीर ले कर घर पहुचे तो उसके सैंकड़ो दोस्त उसकी माँ के साथ घर पर थे ! वह बहुत ही भला और लोकप्रिय लड़का था जिस से सब बहुत प्यार करते थे !

प्रदीप तन्ना एवं दमयंती तन्ना के लिए इस घटना से उबर पाना बेहद कठिन था ! इस दम्पति की ज़िन्दगी बिलकुल रुक सी गयी ! अभी वे इस दुःख से उबर भी नहीं पाए थे कि उनको एक और बड़ा झटका लगा ! प्रदीप की मुलुंड में स्थित मिठाई की दूकान को उसके सहयोगी ने धोखे से हड़प लिया था ! इस दुखद घडी में तन्ना दंपत्ति का साथ निमेश के बचपन के मित्र किंतन ने दिया ! उसने प्रदीप के सामने एक नया बिज़नेस शुरू करने का प्रस्ताव रखा ! किन्तन ने अपना पारिवारिक बिज़नेस छोड़ कर तन्ना परिवार का साथ देने का फैसला किया ! इन दोनों ने मुलुंड में एक नयी मिठाई की दूकान खोल ली !

अब तन्ना परिवार धीरे धीरे फिर से अपने पाँव पर खड़ा होने लगा और इन लोगों ने अपने दिवंगत पुत्र की याद को एक अनोखे तरीके से जीवित रखने का विचार किया !

किन्तन के अनुसार

” निमेश बचपन से ही सामाजिक प्रवत्ति का था, जो ज़रुरतमंदो की हरसंभव मदद करता था, पैसे दान करना हो या सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ऐसे कार्यक्रमों में निमेश बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया करता था ! उसके माता पिता ने निमेश के नाम पर एक स्वयं सेवी संस्था शुरू कर उसे श्रधांजलि देने का मन बनाया !”

26 जनवरी 2013 को तन्ना दम्पति ने श्री निमेष तन्ना चैरिटेबल ट्रस्ट (SNTCT) नाम की एक स्वयं सेवी संस्था रजिस्टर की जिसके शुरुवात ज़रुरतमंदो को निशुल्क टिफ़िन सर्विस की सेवा देने के उद्देश्य से शुरू की गयी ! तन्ना दम्पति ने इस कार्य की शुरुवात करीब 30 लोगो का खाना, अपने ही छोटे से किचन से बनाकर की ! आज SNTCT हर रोज़ मुंबई के करीब 100 परिवारों को खाना भेजता है !

दो साल में ऐसा एक भी दिन नहीं है जब तन्ना परिवार ने खाना न पहुँचाया हो ! अभी उनके घर के नज़दीक मुलुंड में वे एक नए किचन से ये काम कर रहे हैं ! अपने 7 स्टाफ के साथ हर रोज़ वे गरीबों के लिए भोजन बनाते हैं ! खाना सही समय पर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे इसके लिए इन्होने मुंबई के प्रसिद्ध डब्बावाला के साथ पार्टनरशिप कर ली है जिससे सही समय पर खाना पहुंचाने में इन्हे मदद मिलती है !

किन्तन बताते हैं

“शुरुवात में टिफ़िन पहुँचाना बहुत ही चुनौती भरा हुआ काम था ! कई बार मुझे और अंकल को खुद ही डिब्बा पहुँचाने जाना पड़ता था, पर ये हर दिन मुमकिन नहीं था क्यूंकि मेरा उस वक़्त खुद का ऑफिस था और अंकल को भी दूकान का ख्याल रखना पड़ता था !”

आदिवासी समुदाय के लिए भी कार्य करता है SNTCT 

आदिवासी समुदाय को समाज की मुख्यधारा से कटा हुआ माना जाता है, इस समुदाय के पास रोज़गार के भी उचित साधन नहीं होते, अतः SNTCT इनके लिए ‘फ़ूड किट’ तैयार करके भेजता है ! इस किट में खाना पकाने की सामग्री होती है जैसे अनाज, चीनी, तेल, आटा आदि ! ट्रस्ट हर महीने के पहले रविवार को 50 आदिवासी परिवार में महीने भर की ये राशन सामग्री बाँट देता है !

इसके अलावा SNTCT, ‘किड्स बैंक’ भी चलाता है, जिसके द्वारा ज़रूरतमंद बच्चो तक कपडे, खिलौने, किताबें, साइकिल आदि भेजे जाते है ! यह ट्रस्ट वृद्धो के लिए दवाईयां भी सप्लाई करता है !

SNTCT मूलतः तन्ना परिवार द्वारा मिठाई की दुकान से कमाए हुए पैसों से चलाया जाता है ! हालाँकि अब इस परिवार को इस नेक काम के लिए अन्य लोगों से भी सहयोग मिलने लगा है !
किन्तन बताते है कि ” निमेश को इस से बेहतर श्रधांजलि नहीं दी जा सकती थी ! उसका दिल बहुत बड़ा था और हम इस ट्रस्ट द्वारा उसे जीवित रखने का प्रयास कर रहे है !”

सभी से प्यार पाने वाला निमेश भले ही अब इस दुनिया में न हो पर फिर भी उनके परिवार और मित्र उन्हें इस नेक कार्य द्वारा जीवित रख रहे हैं !

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