सऊदी विचारक ने बताया भारत को महान और विशिष्ट देश !



सऊदी अरब के एक जाने माने विचारक और स्तंभकार हैं खलफ अल हरबी । अपने उदार विचारों और विभिन्न मुद्दों पर सोद्देश्य लिखे गए लेखों को लेकर वे अक्सर व्यापक रूप से दुनिया भर में चर्चित रहते हैं ।

लेकिन पिछले दिनों 'सऊदी गजट' में लिखा गया उनका कॉलम विशेष रूप से भारत में रहकर भारत को असहिष्णु बताए वालों के मुंह पर करार तमाचा है । 'भारत - हाथियों की सवारी वाला देश' (India - A country that rides elephants) शीर्षक के अपने कॉलम में, खलफ अल हरबी लिखते हैं: "100 से अधिक धर्मों और 100 से अधिक भाषाओं वाला देश है भारत, इसके बाद भी वहां लोग शांति और सद्भाव से रहते हैं ! यह सब के सामूहिक प्रयत्नों का ही परिणाम है कि वह एक मजबूत राष्ट्र बनता जा रहा है ! सुई धागे से लेकर रोकेट तक, वहां सब कुछ उत्पादन हो रहा है । यहाँ तक कि वह रॉकेट से मंगल ग्रह पर जाने के लिए भी तैयारी कर रहा है ! मुझे कहना होगा कि मुझे थोड़ी जलन भी हो रही है, क्योंकि मैं दुनिया के उस हिस्से में रहता हूँ, जहाँ धर्म और भाषा के नाम पर एक दूसरे को मारा जा रहा है । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया सहिष्णुता के बारे में क्या बोलती है, भारत के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण स्कूल, सदियों से धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक या नैतिक मतभेद की परवाह किए बिना सहनशीलता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाते रहे हैं । 

उन्होंने आगे लिखा कि कई लोगों के मन में भारत की गरीबी और पिछड़ेपन की जो झूठी तस्बीर गढ़ी गई है, उसका वास्तविकता के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है ।

अल-हरबी कहते हैं कि जब तेल का जमाना नहीं आया था, हम अपने आप को गरीब और भारत को समृद्धि और सभ्यता का केंद्र बिंदु मानते थे, किन्तु जैसे जैसे हमारी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है, हमारे मनोमस्तिष्क में भारत की तस्बीर गरीबी और पिछड़ेपन की बन गई ।

यदि हममें थोड़ी भी बुद्धि है तो हम भारत की समृद्धि या गरीबी पर चर्चा करने के बजाय, भारत की इस बात से प्रभावित होते कि वहां के लोग कितने विशाल ह्रदय के हैं, जो परस्पर विरोधी मान्यताओं और विचारों का भी सम्मान करते हैं और लोग बिना किसी डर या चिंता के सड़कों पर घूमते हैं ।

अगर हम एक प्रयोग करे और सारे अरबों को ले जाकर भारत में रखें, तो वहां उनका बहुमत नहीं होगा, इसके बजाय, वे एक निर्भय मानव सागर में विलीन हो जायेंगे । उनकी प्रकृति, प्रवृत्ति और सांप्रदायिक उग्रवाद भी समाप्त हो जायेगा तथा उन्हें अहसास होगा कि दुनिया में कोई भी अपने भाई बहनों की हत्या का औचित्य सिद्ध नहीं कर सकता ।

अल-हरबी ने यह जताने का प्रयत्न किया कि अरब दुनिया में जो भी विविधता और विचारों और विश्वासों के सह-अस्तित्व की भावना है, वह भारतीय संस्कृति के डीएनए से आई है। वे लिखते हैं, "भारत दुनिया में सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र में से एक है। उसकी पहचान कभी धर्म या जाति के भारी अंतर से नहीं हुई । इस देश में नातो गरीब लोगों का तिरस्कार होता और न ही यह अपने अमीर नागरिकों से नफरत करता । यह एक ऐसा राष्ट्र है जिसमें एकसाथ गांधी और ब्रिटिश उपनिवेशवादियों पर गर्व करने वाले बसते हैं । 

भारतीय लोग विशिष्ट है, वे महान हैं । इस तथ्य से कोई ईर्ष्यालु या कृतघ्न व्यक्ति ही इनकार कर सकता है । 

अरबों की समस्या यह है कि वे भारतीयों को अपने पूर्वाग्रहित और धार्मिक मतभेद के दूषित नजरिये से देखते हैं । क्या अरब कभी भारतीयों को समझा सकते हैं कि धार्मिक और नस्लीय असमानताओं ही एक दूसरे को मारने का पर्याप्त कारण है ?

साभार अनुवाद - http://www.news18.com/news/india/famous-liberal-saudi-arabian-columnist-khalaf-al-harbi-calls-india-the-most-tolerant-nation-in-the-world-988106.html
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