अरुणांचल में संघ कार्य


संघमुक्त भारत का नारा देने वाले महानुभाव पहले देख समझ तो लें कि आखिर संघ कर क्या रहा है, और भारत को संघ मुक्त करना क्या देशहित में है ? सुदूर पूर्वोत्तर में, राजनैतिक महत्वाकांक्षा से कोसों दूर संघ स्वयंसेवक जो कर रहे हैं, उसे जानकर किसे उनसे लगाव नहीं हो जाएगा ? प्रस्तुत है अरुणांचल प्रदेश में संघ कार्य विस्तार पर एक रिपोर्ट –

अरुणांचल प्रदेश अपनी भौगौलिक संरचना के कारण भारत के लिए अत्याधिक महत्व का है ! तीन देशों की सीमाएं अरुणांचल प्रदेश से लगती हैं ! म्यांमार, भूटान और चीन ! इनमें से चीन तो अरुणांचल प्रदेश पर लगातार अपना दावा ही जताता रहता है ! अतः राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अरुणांचल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है ! ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को आखिर रा.स्व. संघ कैसे अछूता छोड़ सकता था ? आज वहां 50 से अधिक शाखाएं चल रही हैं, इसके अतिरिक्त मिलन और मंडलियाँ भी संचालित हो रही हैं ! 

अरुणांचल प्रदेश के लोगों की देशभक्ति संदेह से परे है, उसे और बल देने का कार्य संघ कर रहा है ! चीन तिब्बत में क्या कर रहा है और चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र पर बनाए गए बड़े बांधों से इस क्षेत्र को कैसे हानि है, आदि विषयों पर लगातार जन जागरण कार्य किया जा रहा है, जिसकी प्रतिक्रिया भी जबरदस्त मिली है । 

अरुणांचल में संघ कार्य का प्रारम्भ बड़े ही रोचक ढंग से हुआ ! 1960 के बाद से, आरएसएस ने एक कार्यक्रम चलाया “भारत मेरा घर” ! इसके अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्रों के शिक्षकों और वंचित वर्ग के छात्रों को देश के विभिन्न हिस्सों में पर्यटन हेतु ले जाया जाता था ! 

इसी क्रम में २९ अप्रेल २००९ चैत्र नवरात्री पर तीन से नौ वर्ष की आयु की ९ निर्धन कन्याएं ग्वालियर आईं ! सरस्वती नगर शिशुमंदिर में इनके अध्ययन की व्यवस्था की गई ! नवरात्रि पर आने के कारण समाज ने इन बच्चियों को मां कामाख्या के रूप में ग्रहण कर आत्मीय स्वागत किया ! किसी ने कूलर दिया तो किसी ने फ्रिज ! नवरात्रि पर कन्याभोजन कार्यक्रम में खीर पूड़ी के लिये आत्मीय आग्रह आने लगे ! शिशु मंदिर के आचार्य दीदियों ने भी विशेष ध्यान देकर पढ़ाई के साथ अल्पाहार, भोजन, स्वास्थ्य इत्यादि की चिंता की ! योग गीत नृत्य चित्रकला आदि के प्रशिक्षण की विशेष व्यवस्था उत्साही जनों द्वारा की गई ! 

२०१० में पुनः ९ बच्चियां ग्वालियर पधारीं ! ग्वालियर वासियों ने स्वयं को कृत कृत्य मानकर उनका भी स्वागत किया ! इन बच्चियों के सर्वांगीण विकास की बानगी यह है कि बच्चियों ने धनवाद वा पुणे में आयोजित होने बाली ताईक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लेकर स्वर्ण वा कांस्य पदक जीतने का गौरव प्राप्त किया है ! सामाजिक समरसता का यह एक अनूठा और अनुकरणीय उदाहरण है !

इस कार्यक्रम के माध्यम से आरएसएस का संपर्क बढ़ा व 1990 में संघ की शाखाएं भी लगना प्रारम्भ हो गईं ! 2013 में अरुणाचल प्रदेश के नौ जिलों से 23 शिक्षकों के एक समूह ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के इस कार्यक्रम के तहत महाराष्ट्र का भी दौरा किया।

1993 में अरुणाचल विकास परिषद के बेनर तले स्वदेशी आंदोलन प्रारम्भ हुआ, जिसे स्थानीय लोगों का भरपूर समर्थन मिला । भारत-चीन युद्ध के 50 साल बाद नवंबर 2013 में संस्कार भारती द्वारा 1962 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरुप ईटानगर के इंदिरा गांधी पार्क में ''सरहद को स्वरांजलि” का आयोजन किया गया ! सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत की सहभागिता इस कार्यक्रम में हुई ! एक व्हील चेयर पर शहीद जसवंत सिंह की चोरानवे वर्षीय माँ लीलादेवी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी अधिक भावना प्रधान और गरिमामय बना दिया ! वे मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देहरादून से विशेष रूप से पधारीं ! सेवा भारती द्वारा अरुणाचल के वंचित छात्रों को शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निबाही जा रही है । निशुल्क कोचिंग कक्षाओं के माध्यम से सिविल सर्विसेस के लिए गणित आदि विषयों में छात्रों की मदद की जा रही है ।

शहीद जसवंत सिंह को जानिये
भारतीय वीर जवान जसवंत सिंह जिसे शहीद होने के बाद भी मिलती है पदोन्नति और अवकाश

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें