क्या संजय जोशी बापस गुजरात संभालेंगे ?

शिवपुरी प्रवास के दौरान श्री संजय जोशी के साथ तत्कालीन जिलाध्यक्ष श्री नरेंद्र बिरथरे व स्मृति चिन्ह भेंट करते हरिहर शर्मा 

पेशे से मैकनिकल इंजीनियर, संजय जोशी किसी जमाने में इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाते थे ! किन्तु बाद में उन्होंने अपना जीवन आरएसएस को समर्पित कर दिया ! संघ की सादा जीवन जीने वाली शैली के मूर्तिमंत स्वरुप संजय जी से मेरा पहला परिचय गांधीनगर गुजरात के व्हीआईपी रेस्ट हाउस में हुआ ! बात संभवतः 1999 – 2000 की रही होगी ! संजय जोशी उन दिनों गुजरात भाजपा के संगठन मंत्री हुआ करते थे !

मैं “परिमल” नामक एक एनजीओ का सचिव था तथा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), के अहमदाबाद स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से ग्रामीण विकास प्रकल्प की जानकारी लेना चाहता था ! केंद्र में अटल जी की सरकार थी, अतः स्वाभाविक ही मुझे सहयोग की आशा भी थी ! मध्यप्रदेश भाजपा के तत्कालीन कार्यालय प्रमुख श्री प्रभात झा जी ने एक पत्र गुजरात के एक विधायक के नाम लिख दिया ! पत्र में मुझे सहयोग देने का आग्रह किया गया था !

एक अतिशय सामान्य भाजपा कार्यकर्ता के रूप में अहमदाबाद पहुंचकर मैंने उन विधायक महोदय को फोन किया तथा उन्हें बताया कि मैं प्रभात जी का पत्र लेकर मदद की प्रत्याशा में आया हूँ ! विधायक जी ने कहा कि वे गांधीनगर के व्हीआईपी रेस्ट हाउस में चल रही एक मीटिंग में हैं, अतः मैं वहीं पहुँच जाऊं ! मुझे थोड़ी निराशा हुई, किन्तु और कोई चारा भी तो नहीं था ! पहुँच गया गांधीनगर !

किन्तु वहां जाकर मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही, जब मुझे ज्ञात हुआ कि व्हीआईपी रेस्ट हाउस के गेट पर मेरे आगमन की पूर्व सूचना थी ! मुझे अत्यंत सम्मान के साथ रेस्ट हाउस के एक कक्ष में पहुँचाया गया, चाय पिलाई गई ! शीघ्र ही विधायक महोदय वहां आये तथा बताया कि इस समय एक महत्वपूर्ण बैठक समाप्त हुई है, तथा अब लंच चल रहा है ! 

उन्होंने मुझे कहा कि काम की बात बाद में होगी, पहले चलिए भोजन कीजिए ! मैंने आनाकानी की तो वे बोले काम तो भोजन के दौरान ही होगा ! संकोच के साथ मैं उनके साथ चल दिया ! क्या आप विश्वास करेंगे कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल, केन्द्रीय कपड़ा मंत्री काशीराम राणा, गुजरात संगठन मंत्री संजय जोशी सहित अनेकों नेतागण वहां हाथ में प्लेट लिए खड़े खड़े भोजन कर रहे थे ! विधायक जी ने आग्रह पूर्वक पहले तो एक प्लेट मेरे हाथ में थमाई, और फिर लेजाकर संजय जी के पास खडा कर दिया ! उन्होंने संजय जी को बताया कि मैं मध्यप्रदेश से आया हूँ ! सहज भाव से संजय जी ने मुझसे मेरा काम पूछा और भोजन की प्लेट बगल में रखकर तुरंत ही नावार्ड मुख्यालय को फोन लगा दिया ! आत्मीयता पूर्ण मुस्कान के साथ मेरी ओर देखकर बोले – भोजनोपरांत आप जाकर मिल लें, सारी जानकारियाँ मिल जायेंगी !

यह मेरी संजय जी से पहली मुलाक़ात थी ! उसके बाद अनेकों बार उनसे भेंट का अवसर मिला, और हर बार उन्होंने मुझे पहचाना !

आज सोचता हूँ कि क्या अन्य प्रदेशों में भी बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं के साथ इतना ही आत्मीयतापूर्ण व्यवहार होता होगा ? मुझे नहीं लगता ! यह तो संजय जी जोशी के संगठन कौशल से गढ़े वहां के कार्यकर्ताओं की खूबी है, जिसके कारण इतने लम्बे समय से वहां भाजपा सत्तारूढ़ है ! आज जब बीबीसी की रिपोर्ट पढी कि वर्तमान मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल गुजरात में पुनः संजय जी की सक्रिय भूमिका चाहती हैं, तो मन को अतीव प्रसन्नता हुई !

आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तो उनके सगठन मंत्री काल में महासचिव के रूप में काम कर चुके हैं और उनकी क्षमताओं को बखूबी जानते हैं ! यह अलग बात है कि शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह के बाद उनके रिश्तों में कुछ खटास आई, किन्तु दोनों ही संगठन हित को प्रमुखता देने वाले कार्यकर्ता हैं, अतः निश्चय ही “बीती ताहि बिसार दे”, वाली उक्ति के अनुसार आगे बढ़ेंगे !

आईये एक पूर्वावलोकन पिछली घटनाओं का कर लेते हैं ! 1995 में सत्ता को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला बीच खींचतान शुरू हुई ! सत्ता पलट के इरादे से शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी के कई विधायकों के साथ मध्य प्रदेश के खजुराहो एक फाइव स्टार रिसोर्ट में डेरा डाल दिया ! गौरतलब है कि इस दौरान मध्यप्रदेश में स्वनामधन्य दिग्विजय जी की सरकार थी ! उनकी रणनीति के अनुसार बाद में वाघेला कांग्रेस में शामिल हो गए ! 

इस पूरे घटनाक्रम के बीच केशुभाई पटेल के हाथों से मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई और सुरेश मेहता गुजरात के नए मुख्यमंत्री बने ! किन्तु एक बार फिर केशुभाई पटेल 1998 में भारी बहुमत से जीतकर राज्य के मुख्यमंत्री ! स्वाभाविक ही पार्टी की इस जीत का श्रेय संजय जोशी जी को मिला ! उनके संगठन कौशल की भूरिभूरि प्रशंसा हुई !

अब एकबार फिर पटेल आन्दोलन की तपिस को कम करने के लिए अगर गुजरात में पुनः संजय जी की आवश्यकता महसूस की जा रही है, तो यह स्वागत योग्य है !



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