शिवपुरी का अनोखा कुण्ड, मान्यतानुसार यहाँ नहाने से पति पत्नी के बीच नहीं होते है झगडे !

मध्यप्रदेश की पर्यटन नगरी शिवपुरी जो ग्वालियर से महज १२० किमी की दूरी पर स्थित है ! वैसे तो शिवपुरी में कई दर्शनीय पर्यटन स्थल है परन्तु इन्ही दर्शनीय पर्यटन स्थलों में से एक पर्यटन स्थल के बारे में विचित्र की मान्यता है ! मान्यतानुसार इस पर्यटक स्थल पर स्थित कुंड में नवदंपत्ति के स्नान करने से कभी भी झगडा नहीं होता है !

शिवपुरी के तमाम दर्शनीय पर्यटक स्थलों में से एक “भदैया कुंड” पर वैसे तो हर मौसम में आवाजाही लगी रहती है परन्तु बारिश के मौसम में यहाँ पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ पड़ती है ! कारण है यहाँ का दिल को खुश कर देने वाला नजारा ! बारिश के मौसम में यहाँ ऊपर से गिरता वॉटरफॉल का नजारा अद्भुत होता है ! ऊपर से गिरता हुआ पानी एक कुंड में एकत्र होता है और कहा जाता है कि इस कुंड में जो नवदंपत्ति स्नान करते है उनमे कभी झगड़ा नहीं होता है ! 

लोगों का मानना तो यह भी है कि जिन पति पत्नी के बीच रिश्ते मधुर न हो तो उनके द्वारा इस कुंड में स्नान करने से उनके रिश्तो में मधुरता आ जाती है ! यही कारण है कि जहां नवदम्पति सुखी दाम्पत्य जीवन की शुरुआत करने की तमन्ना से यहां आते हैं वहीं बुजुर्ग दम्पत्ति लम्बे समय के वैवाहिक जीवन में कभी-कभी होने वाली छोटी-मोटी खटपट को भी जड़ से उखाड़ फेंकने की इच्छा से भदैया का सहारा लेते हैं !

इस कुंड का पानी है गुणकारी 

करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराने इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इस प्राकृतिक पानी के स्‍त्रोत में काफी गुणकारी खनिज लवण है ! प्राचीन मान्‍यताओं और कई चिकित्‍सीय गुणों के कारण यहां के पानी से स्‍नान करने को बेहतर उपचार माना जाता है ! माना जाता है कि यदि किसी को त्‍वचा सम्‍बंधी रोग हो तो इस जल में स्‍नान करने से लाभ मिलता है !

कुंड का पानी चिकित्‍सीय शक्तियों से भरपूर माना जाता है ! इस कुंड की सैर का सबसे अच्‍छा समय मानसून के दौरान होता है क्‍योंकि इस दौरान कुंड में पानी काफी मात्रा में होता है और भरा हुआ कुंड शहर से थके हारे आने के बाद आंखों को सुखद माहौल प्रदान करता है ! गौरतलब है कि भदैया कभी सिंधिया राजवंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी और राजवंश ने ही यहां कुंड का निर्माण कराया था !

बनाया जाता था सोडा वाटर जो जाता था ग्वालियर स्थित महल 

बताया यह भी जाता है कि कभी इसके पानी से सोडा वाटर बनाकर ग्वालियर महल भी भेजा जाता था, पर्यटक ग्राम (टूरिस्ट विलेज)  में पुरानी छोटी ऊंची इमारत उसी सोडा वाटर फेक्टरी की ही है ! 

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