गेस्ट हाउस कांड स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी से दयाशंकर सिंह - दिवाकर शर्मा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों बवाल मचा हुआ है, कारण है भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी ! दयाशंकर सिंह ने मायावती पर टिपण्णी करते समय जिन शब्दों का उपयोग किया है, उन्हें कहीं से कहीं तक सही नहीं कहा जा सकता ! उनके द्वारा जिन वाक्यों का प्रयोग किया गया है, वह निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है, यही नहीं समाज के हर व्यक्ति को उनके द्वारा उपयोग किये गए शब्दों की निंदा करना चाहिए, और यही किया अरुण जेटली जी ने ! दया के आपतिजनक शब्दों के प्रयोग किये जाने पर, बीजेपी ने बिना किसी दया के उन्हें तत्काल पार्टी से निलंबित कर दिया और अब कार्यवाही पुलिस को करना है ! परन्तु उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों को देखते हुए इस मुद्दे को राजनैतिक रूप दिया जा रहा है और बसपा के द्वारा तीखा हमला बीजेपी पर बोला जा रहा है ! जिस बहुजन समाज पार्टी के लोग बीजेपी पर तीखा हमला महज राजनैतिक कारणों से बोल रहे है उन्हें जरा 2 जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस काण्ड की भी समीक्षा कर लेनी चाहिए ! 

क्या था “गेस्ट हाउस काण्ड”

2 जून 1995 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ के राज्य अतिथि गृह में जो कुछ घटा उसने पूरे देश को स्तंभित कर दिया था ! उस समय उत्तर प्रदेश में एक ऐसा राजनैतिक गठबंधन हुआ था, जिसकी कल्पना अब भविष्य में कही नहीं की जा सकती है ! यह गठबंधन हुआ था सपा और बसपा के बीच ! इस गठबंधन ने चुनावों में विजयश्री प्राप्त की और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने ! परन्तु 2 जून 1995 के दिन आपसी रस्साकस्सी और मनमुटाव के चलते बसपा ने गठबंधन से नाता तोड़ समर्थन वापस ले लिया ! जिसके चलते सरकार अल्पमत में आ गयी ! सरकार को बचाने के लिए जोड़ तोड़ प्रारंभ हो गया, परन्तु बात नहीं बनी जिससे गुस्साए सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचकर कमरा नंबर 1 जहाँ मायावती ठहरी हुई थी, को घेर लिया और कुछ उनके कमरे में घुस गए और कमरा बंद कर लिया ! बताया जाता है कि इन समाजवादियों ने समाजवाद की सारी हदों की सीमाओं को पार करते हुए मायावती को जमकर पीटा बल्कि उनके कपडे तक फाड़ दिए (मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब ‘बहिन जी’ के अनुसार) !

बीजेपी विधायक ने बचाई माया की आबरू 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस ‘काले दिन’ उन्मादी भीड़ के रूप में तथाकथित समाजवादी बदले की भावना में इस हद तक गिर गए थे कि उन्हें यह भी होश नहीं था कि वह जिस से यह अमानवीय व्यवहार कर रहे थे वह एक महिला है ! ऐसे में उन समाजवादी गुंडों से अपनी जान जोखिम में डाल कर दो दो हाथ कर मायावती की जान बचाने वाले शख्स का नाम था ब्रह्मदत्त द्विवेदी ! बीजेपी के विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी गेस्ट हाउस का दरवाजा तोड़ कर मायावती को सकुशल बाहर निकाल कर ले आये वो भी तब जब मायावती की पार्टी के ही नेता उन समाजवादी गुंडों से डर कर भाग गए थे, जिसे स्वयं मायावती ने भी स्वीकार किया ! भारत की राजनीति के माथे पर कलंक रुपी इसी काण्ड को ‘गेस्ट हाउस काण्ड’ कहा जाता है ! 

कैसे बचाया संघी ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती को 

ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी एक स्वयं सेवक थे एवं संघ की शाखा में सिखाई जाने वाली लाठी चलाने में उन्हें महारत हांसिल थी ! ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी ने एक महिला को गुंडों के बीच घिरा हुआ देख अपने उसी शस्त्र (लाठी) को उठाया और हथियारों से लेस समाजवादी गुंडों से भिड गए ! बाद में ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी ! स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी किस कद के नेता थे इसे श्री अमित शाह ने स्वयं का अनुभव कुछ इस प्रकार बताया था - 
वो जव युवा भाजपा मोर्चा में एक कार्यकर्ता हुआ करते थे तब भाजपा की राष्ट्रीय परिषद् की तीन दिवसीय बैठक का आयोजन गांधीनगर में हुआ था| उस दौरान यूपी के कद्दावर भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी बैठक में पहुचे थे| शाह ने बताया कि तब उन्हें द्विवेदी जी का 2.5 दिन खास सहायक बनने का मौका मिला था| उन्हें द्विवेदी जी का ध्यान रखने की जिम्मेदारी दी गयी थी| मगर द्विवेदी जी तो खुद मेरा ध्यान रख रहे थे और बार बार पूछते थे कि कोई तकलीफ तो नहीं है|

गेस्ट हाउस काण्ड के आरोपी को ही दिया मायावती ने टिकट 

ख़ास बात यह है कि गेस्ट हाउस काण्ड के मुख्य आरोपियों में से एक अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना शुक्ला को आगे चलकर मायावती ने अपनी पार्टी का प्रत्यासी बनाया था ! राजनीति में जो न हो जाए कम है ! आज जो जान के दुश्मन हैं, वे कब जान से प्यारे हो जाएं, इसे कोई नहीं जानता ! समाजवादी पार्टी के साथ सियासी सफर शुरू करने वाले गैंगस्टर एक्ट और रासुका में जेल की हवा खा चुके अन्ना दिसंबर 2008 में माया के हाथी पर सवार हुए ! इस पर मायावती जी का कहना था कि वो सुधर गए हैं और उन्हें मौका दिए जाने की ज़रूरत है ! अब देखना है कि भाजपा से विदा होने वाले दयाशंकर सिंह जी पर मायावती कब मेहरवान होती हैं !

अहसान फरामोश मायावती 

शायद आपको जानकर हैरत होगी कि जब श्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी की ह्त्या की गई, उसके बाद मायावती उनके अंतिम दर्शन को भी नहीं गईं ! इतना ही नहीं तो उनकी हत्या के मुख्य आरोपी विजय सिंह को बसपा में भी सम्मिलित कर लिया था, जो निचली अदालत से सजा सुनाई जाने के बाद सपा टिकिट पर फर्रुखाबाद सदर सीट से विधायक बन गया था |

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