प्रख्यात विचारक रामचंद्र गुहा ने अगले दो दशक तक बताईं कांग्रेस की संभावना शून्य !



रामचंद्र गुहा पिछले कुछ बरस में सामाजिक-राजनीतिक विषयों के ऐसे हस्ताक्षर बन गए हैं कि कइयों के लिए उनका कहा पत्थर की लकीर है। उनकी क़िस्सागोई-शैली पर रीझे बैठे लोगों की कोई कमी नहीं है। गुहा ने अपनी ताज़ा क़िताब ‘डेमोक्रेट्स एंड डिसेंटर्स’ में कम-से-कम अगले दो दशक तक कांग्रेस की पुनर्वापसी की संभावनाओं पर पूर्ण विराम लगाया है और राष्ट्रीय परिद्रश्य पर भारतीय जनता पार्टी की और अधिक बुलंदी की संभावना जताई है । यहाँ तक कि गुहा ने अंग्रेज़ी के एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में राहुल गांधी को यह सलाह भी दे डाली है कि वे राजनीति से संन्यास ले लें, विवाह कर लें और अपना परिवार पालें।

गुहा वन-विज्ञान और पर्यावरण के प्रख्यात अध्येता और इतिहासविद हैं, उन्होंने भारत आगमन के पूर्व के गांधी और गांधी के आगमन के बाद के भारत, दोनों की विषद मीमांशा भी की है । स्मरणीय है कि गुहा स्वयं को नेहरू के समाजवाद का पुजारी मानते हैं, अतः उनके द्वारा भारत के राष्ट्रीय-कैनवस पर अगले बीस साल तक कांग्रेस की अनुपस्थिति और भाजपा की अंगद-उपस्थिति की घोषणा मायने रखती है। एक ज़माने में गुहा इस बात का ज़िक्र बहुत शिद्दत से करते थे कि जब वे छह साल के थे तो नेहरू जी उनके घर आए थे। लेकिन उन्होंने बहुत साफगोई से यह भी लिखा है कि नेहरू किस तरह संगीतकार पॉल रोबेसन की पत्नी, सरोजिनी नायडू की बेटी और माउंटबेटन की पत्नी एडविना का अतिरिक्त ख़्याल रखा करते थे! किस तरह एडविना के लिए तो नेहरू ने भारत के हितों तक की अनदेखी की! गुहा भारत के पर्यावरण के विनाश के लिए भी उन बांधों को उत्तरदाई मानते थे, जिन्हें नेहरू निर्माण के मंदिर मानते थे । गुहा ने यह भी लिखा है कि अगर प्राथमिक शिक्षा पर नेहरू ने ध्यान दिया होता तो आज देश की शैक्षणिक नींव इतनी कमज़ोर न होती। 

गुहा लिखते रहे हैं कि हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए अगर कोई दोषी है तो वे हैं राजीव गांधी। सोनिया से उन्हें यह मलाल है कि उन्हें अपनी सास इंदिरा, अपने पति राजीव और अपने बेटे राहुल से इतना मोह क्यों है? गुहा का कहना है कि परिवार के प्रति इस मोह ने कांग्रेस की राजनीति चौपट कर दी है। पूरे देश में विपक्ष-शून्यता देखने वाले गुहा कह रहे हैं कि कांग्रेस विरोध की आवाज़ खोती जा रही है। उनके हिसाब से कांग्रेस गंगा-पट्टी से गायब हो चुकी है, बीमारी के चरम पर है और धीमी मौत मर रही है। 

2013 की गांधी जयंती पर वॉल स्ट्रीट जरनल को गुहा ने एक इंटरव्यू दिया। तब 2014 के आम चुनावों में सात महीने बचे थे। संवाददाता जोआन्ना सुग्डेन से गुहा ने कहा, ‘‘कांग्रेस की राजनीति में ऐसे लोग हैं, जो ढांेगी हैं, झूठ बोलते हैं, रहस्यमयी हैं, पाखंडी हैं और गांधी की शिक्षा का हर दिन उल्लंघन करते हैं।’’ अपने लेखन और बातों में गुहा ने बार-बार दोहराया है कि नेहरू-गांधी परिवार ने महात्मा गांधी के बुनियादी सिद्धांतों के उलट काम किया है। वे इंदिरा गांधी को एक ऐसा तानाशाह मानते हैं, जिनके अधिनायकत्व का प्रशिक्षण लोकतांत्रिक व्यवस्था में हुआ। वे राजनीति में वंशवाद के लिए भी इंदिरा गांधी को ही सबसे बड़ा दोषी करार देते हैं। अपनी क़िताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में गुहा ने तफ़सील से यह दलील दी है। 

साभार आधार - नया इण्डिया 

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