अब तो आंदोलन बन चुके है मोदी - संजय तिवारी

सड़क से संसद तक ये कौन लोग है जो नोटबंदी के विरोध में लामबंद हो रहे है ? ये कौन लोग है जिनको काले धन की जमाखोरी बहुत पसंद है ? ये कौन लोग है जिनको देश की सफाई ठीक नहीं लग रही ? ये कौन लोग है जो कोयला घोटाले से लेकर टू जी तक की करोडो की लूट के आरोप के चलते सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के साथ खड़े हो गए है ? ये कौन है जिन्हें लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में टिकट की नीलामी नज़र नहीं आती ? ये किसका विरोध कर रहे है और क्यों कर रहे है ? केवल कानाफूसी में करोडो करोड़ो की दलाली और जमाखोरी की चुगली करने वाले ये सभी लोग किसके खिलाफ लामबंद हुए है? ममता बनर्जी तो गरीबो की मसीह कही जाती रही है। वह सबसे पहले आवाज़ मुखर कराती है तो ताज्जुब भी होता है और गुनाह भी, कि किस तरह वेश बना कर ये लोग सत्ता शीर्ष तक पहुचते है। मायावती जी के बारे में लिखना जरूरी नहीं लगता क्योकि उत्तर प्रदेश के हर आदमी की जबान पर इनके धन की चर्चा सामान्य तौर पर होती रहती है। इनके दल के टिकट कैसे मिलते है और कितने में मिलते है इस बारे में इन्ही के लोग सब कुछ मीडिया के सामने कई बार कह चुके है। मुलायम सिंह जी की पार्टी के बारे में भी कुछ छिपा नहीं है। कांग्रेस का तो बंटाधार ही भ्रष्टाचार के कारण हुआ है। जाहिर है इनकी इस बार की यह एकता बहुत कुछ उगल देगी, इसको ये अभी समझ नहीं रहे है। 

दरअसल इन्हें अभी भी आभास नहीं है कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी केवल भारत के प्रधानमन्त्री ही नहीं है बल्कि वह अब सचमुच एक आंदोलन बन चुके है। इस आंदोलन में देश उनके साथ है। नौजवान उनके साथ है। व्यवसायी उनके साथ है। गरीब उनके साथ है। जो लोग संसद से अब सड़क पर आकर नोटबंदी के विरोध की जुगत में लगे है वे वास्तव में क्या करना चाह रहे है, यह बात देश भली प्रकार से समझ रहा है। देश को मालूम हो चुका है कि प्रधानमन्त्री के इस फैसले ने उन लोगो की कमर तोड़ दी है जो रातोरात करोड़पति बन जाते थे। देश को मालूम है कि इस कदम ने आतंकवाद और अलगाववाद की सियासत करने वालो के सारे रास्ते बंद कर दिए है। ये वही लोग है जो इस मुद्दे पर जनता को बरगला कर, उकसा कर देश का माहौल अस्थिर करना चाहते है। इनमे कई ऐसी शक्तियां है जो इनको मोटी फंडिंग करने को तैयार है ताकि उनकी लूट खसोट और आपराधिक गतिविधियो को रोक न लगने पाए। 

सच तो यह है की यह पूरी सियासत एक ख़ास किस्म के तुष्टिकरण के लिए रची जा रही साज़िश है जो देश को झुलसा कर छोड़ेगी। अभी तक भ्रष्टाचार और काले धन पर सरकार को बार बार घेरने और विफल रहने की दलीलें देकर विरोध करने वाले सभी आज यदि एक साथ खड़े होकर काले धन पर रोक का विरोध कर रहे है तो जाहिर है इसके पीछे भी बड़ी शक्तियां काम कर रही होंगी। 

मायावती, ममता बनर्जी , मुलायम सिंह , राहुल गांधी और अरविन्द केजरीवाल सरीखे लोगों को जनता ठीक से समझती है। पश्चिम बंगाल का शारदा घोटाला अभी भी सभी को याद है। उत्तर प्रदेश में मायावती जी और मुलायम सिंह जी के बारे में भी जनता कुछ भूल नहीं पायी है। इस समय भी उत्तर प्रदेश में जो हालात है वह सभी के सामने है। नियुक्तियों से लेकर निर्माण कार्यो तक में रिश्वतखोरी और गड़बड़ियों की भरमार है। उत्तर प्रदेश की हालत इन लोगो के कारण बदतर हो चुकी है। आर्थिक कदाचार और जातिवाद से इतने बड़े प्रदेश को इन दोनों पार्टियों ने बर्बाद कर रखा है। यहाँ एक बड़ी मज़ेदार बात देखने को मिल रही है कि जिस जनता दल यू के नेता नितीश कुमार ने मोदी के इस कदम का समर्थन किया है उसी के बाकी लोग भी इन तेरह पार्टियों में शामिल है जो नोटबंदी का विरोध कर रही है। इन लोगो को अभी भी समझ में यह बात क्यों नहीं आ रही कि इस नोटबंदी के बाद हुए उपचुनाव में जनता ने बीजेपी को ही बहुमत दिया है। फिर भी ममता बनर्जी का यह कहना कि देखे मोदी को कौन वोट देता है, समझ से पर है। इस पूरे विरोध के पीछे कोई न कोई ताकत तो जरूर है। 

लेखक भारत संस्कृति न्यास नयी दिल्ली के अध्यक्ष है

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