31 दिसम्बर के बाद आएगा भूकम्प ? श्री रामगोपाल की फेसबुक पोस्ट



31 दिसम्बर के बाद क्यों आ सकता है भूकम्प ? आइये समझने की कोशिश करते है

हो सकता है आप पता ना हो पर नोटबंदी के पचास दिन जो मोदी जी ने माँगे थे उनके बाद पूर्व UPA सरकार का एक सबसे बड़ा घोटाला सामने आ सकता है । अगर ये घोटाला सामने आया तो लगभग पूरी कोंग्रेस पार्टी जेल में होगी । जानते हैं क्या है पूरा मामला ….

बता दें कि कांग्रेस ने अगर ये घोटाला किया है तो उनकी हालात इस वक़्त अंदर ही अंदर बहुत ख़राब होगी और नोटबंदी को रद्द कराने अगर थोड़ा सा भी चांस कोंग्रेस के पास है तो सहारा है केवल सुप्रीम कोर्ट। शायद आप इस बात से अनजान हों लेकिन कोंग्रेस ने अपने धुरंधर वकीलों की पूरी फ़ौज सुप्रीम कोर्ट में खड़ी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में एक नहीं दो नहीं कांग्रेस के दर्जनों वकील नोटबंदी के खिलाफ डाली गयी याचिकाओं की पैरवी कर रहे हैं। सवाल ये उठता है कि नोटबंदी के खिलाफ याचिकाएं कौन और क्यूँ डाल रहा है और इन याचिकाओं की पैरवी आखिर कांग्रेसी सांसद ( वक़ील) ही क्यों कर रहे हैं, क्या नोटबंदी की पैरवी करने के लिए देश में केवल कांग्रेस के वकील ही बचे हैं ? सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी, विवेक तनखा, के.टी.एस. तुलसी जैसे धुरंधर कांग्रेसी वकील नोटबंदी का आदेश रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जी जान लगा दी है । आख़िर क्या वजह ?

विपक्ष की बात करें तो उनके बयानों से ऐसा लगता है सब भ्रष्टाचार के समर्थन में आ गए हैं। कोई नेता कह रहा है कि नोटबंदी तो सबसे बड़ा घोटाला है, कोई कह रहा है कि नोटबंदी से देश बर्बाद हो गया है, कुछ लोग कह रहे हैं कि नोटबंदी की वजह सेसैकड़ों लोग मर गए। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने यहाँ तक कह दिया कि नोटबंदी इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है, वह यह बात संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा और वहां मोदीजी बैठ नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि मोदी उनके सामने आने से डर रहे हैं, एक बार मोदी उन्हें मिल गए तो वे उन्हें पकड़कर समझा देंगे।

राहुल गाँधी ने अपने बयान में अपनी ही पार्टी की पोल भी खोल दी है उन्होंने ये तो माना कि उनकी सरकार में भी काफ़ी घोटाले हुए हैं और इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि नोटबंदी घोटाला हमारे घोटालों से भी बड़ा है पर राहुल कुछ भी कहें पर जो संकेत और हक़ीक़त सामने आ रही है उससे लगता है नोटबंदी देश में हुए एक सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश कर सकती है और यह घोटाला आपने अनुमान से भी बहुत बड़ा हो सकता है और इससे देश की राजनीति में सचमुच भूकंप आ सकता है कोंग्रेस समेत पिछली सरकार में रहे लगभग सभी लोगों के पैरों तले जमीन खिसक सकती है और ये इतना बड़ा हंगामा हो सकता है कि पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी उसमें समा सकती है।

जैसा कि अब साफ़ हो चुका है RBI के आँकड़ों के अनुसार 1000 और 500 रुपये कीमत के 14.5 लाख करोड़ रुपये जारी किये थे, लेकिन नोटबंदी के बाद एक अनुमान के मुताबिक़ ये लेख लिखे जाते तक लगभग 12 लाख करोड़ रुपये से कुछ ज़्यादा जमा हो चुके हैं। नोटबंदी के बाद 32 दिन बीत चुके हैं और अभी भी पुराने नोट जमा करने के kewal 18 दिन बाकी हैं। अब आप सोचिये, क्या अब केवल 2 लाख करोड़ रुपये ही जमा होने बाकी हैं।

अब आप ज़रा सोचिये, अगर बैंकों में 14.5 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा जमा हो गए तो क्या होगा ? अगर 20 लाख या फिर 25 लाख करोड़ रुपये जमा हो गए तो क्या होगा ? इस पांच लाख या 10 लाख करोड़ रुपये का हिसाब कौन देगा ? क्या RBI देश की जनता को ये बताएगा कि जब उसने केवल 14.5 लाख करोड़ रुपये जारी किये थे तो देश में 20 लाख करोड़ रुपये कैसे जमा हो गये ? अगर 20 लाख रुपये जमा होते हैं तो ये काग़ज़ों में 6 लाख करोड़ का घोटाला होगा और अगर 25 लाख करोड़ जमा होते हैं तो 11 लाख करोड़ रुपये का घोटाला सामने आएगा। बता दें कि अगर तीन लाख करोड़ का घोटाला भी सामने आता है तो ये देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला होगा ।

कौन होगा इस घोटाले का जिम्मेदार – सोनिया, मनमोहन या रघुराम राजन या कोई और ??? कोंग्रेस वाले कहेंगे कि बैंक वालों ने नक़ली नोट जमा कर लिए हैं लेकिन ये तो बकवास होगा क्यूँकि बैंक वाले चेक करने के बाद ही नोट जमा करते हैं और ऐसा होना असम्भव है फिर दूसरा प्रश्न यह उठेगा कि क्या RBI ने एक ही सीरियल नम्बर के कई नोट छाप रखे थे ? यदि हाँ तो ऐसा क्यों किया गया था ? किसके इशारे पर किया गया था? क्या ये सब राजनीतिक फायदे के लिए किया गया था ? अगर ऐसा ही हुआ था तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ? तो क्या इस सबका जिम्मेदार पूर्व कांग्रेस सरकार होगी? क्या इसके जिम्मेदार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होंगे? क्या इसके जिम्मेदार पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी होंगे? क्या इसके जिम्मेदार सोनिया गाँधी भी होंगी? ग़ौरतलब है कि उस समय की UPA सरकार सोनिया गाँधी के ही इशारों पर चलती थी और ऐसा सब कहते हैं कि मनमोहन सिंह तो उनके हाथों का रिमोट कंट्रोल थे।

तो क्या कांग्रेसी के सभी सांसदों/नेताओं को इस सबसे बड़े घोटाले के एक्सपोज होने का डर सता रहा है ?

लेकिन ज़्यादा समय नहीं बचा है ये पहेली अब जल्दी ही या सिर्फ एक हफ्ते में ही सुलझ जाएगी कि रिज़र्व बैंक में कितना रूपया जमा होगा। 

मोदी जी चुप हैं लेकिन अगर बैंकों में 14.5 लाख करोड़ रुपये से एक भी रुपये ऊपर ज़्यादा जमा हुए तो वे पूर्व की UPA सरकार और उसके नेताओं से पूछेंगे कि ये रुपये कहाँ से आ रहे हैं। मोदी जी ही क्यूँ पूरा देश इसपर उबल पड़ेगा और सारी जनता सवाल करेगी कि आपने तो 14.5 लाख करोड़ रुपये ही छापे थे। ये ज़्यादा कहाँ से आ गए ? सवाल बड़ा है पर देखते हैं आख़िर में क्या होता है । ये भी बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक़ लगभग एक लाख करोड़ रुपए को या तो जला दिया गया है या इधर उधर फेंक दिया गया है हालाँकि हो सकता है वो जाली नोट हों ।

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