कोई टाइटल नहीं


इतिहास में झांककर देखें तो समझ में आता है कि एक समय था जब सम्पूर्ण विश्व में हिन्दू संस्कृति की विजय पताका फहरा रही थी ! किन्तु जब हिन्दू धर्म के नियंताओं ने अपने द्वार अहिंदुओं के लिए पूर्णतः बंद कर लिए, हिंदुत्व का पराभव प्रारम्भ हो गया ! हम सब जानते हैं कि वैदिक शिक्षा के महान कश्मीरी केंद्र शारदापीठ के प्रमुख संत देवस्वामी ने कश्मीर के सिंहासन के स्वाभाविक उत्तराधिकारी, लद्दाख के राजकुमार रिन्चिना द्वारा हिन्दू धर्म में दीक्षित करने के अनुरोध को बेदर्दी से ठुकरा दिया था, उसी का दूरगामी परिणाम है आज की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ।

बंगाल के काला पहाड़ को कौन भूल सकता है ? बंगाल के सुलतान की बेटी एक सामान्य हिन्दू नवयुवक के प्यार में सब कुछ भूलकर हिन्दू बनने को तैयार थी, किन्तु मठाधीशों ने उसकी अनुमति नहीं दी ! नतीजा यह निकला कि वह नौजवान शहजादी से शादी कर मुसलमान बन गया और इतिहास का सबसे खूंखार आतताई बना, तलवार के जोर पर हजारों हिन्दुओं को मुसलमान बनाया !

हिन्दू मठाधीशों ने व्यवस्था बनाई कि कोई अहिंदू हिन्दू नहीं बन सकता ! जबकि
स्वयं भगवान् शंकर ने अपने आगम में स्पष्ट तौर पर समया दीक्षा, विशेष दीक्षा, निर्वाण दीक्षा और आचार्य अभिषेक के माध्यम से हिंदू बनने की विधि बताई है ! ईश्वर को धन्यवाद कि उसी परंपरा का पालन करते हुए शैव मठ नित्यानंद अधीनम बेंगलुरु द्वारा विगत 10 वर्षों में 10 लाख से अधिक विदेशियों को आधिकारिक तौर पर हिंदू धर्म में दीक्षित कर उन्हें हिंदू नाम प्रदान किये हैं, साथ ही हिंदू रीति-रिवाज, जीवन शैली और पूजा पद्धति की शिक्षा दी है ।

बेंगलुरू में नित्यानंद अधीनम (मठ) आज अब तक की सबसे बड़ी शुभ आध्यात्मिक दीक्षा - शिव दीक्षा - का साक्षी बना ! विश्व भर के 60 से अधिक देशों से आये एक हजार से अधिक लोगों के समूह ने शैव हिन्दू धर्म के प्रथम चरण की दीक्षा प्राप्त की । यह दीक्षा अधीनम में 21 दिन से चल रहे “सदाशिवोहम” कार्यक्रम का हिस्सा है। स्वामी परमहंस नित्यानंद ने सभी प्रतिभागियों के सम्मुख स्थिति, अंतरिक्ष, अनुभव और सदाशिव की असाधारण शक्तियों के प्राकट्य का वर्णन किया। इस प्रकार के कार्यक्रम पूर्व में भी होते रहे हैं, जिनमें लाखों लोगों को दुःख, दर्द और कठिनाइयों से बाहर निकाल कर सशक्त और सुखी जीवन बिताने में मदद की गई है ! ।

स्वामी परमहंस नित्यानंद मदुरै अधीनम के प्रमुख है, जो कि दुनिया की सबसे पुरानी मठ संस्था है, साथ ही वे हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख निकाय महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं । उन्होंने नित्यानंद ध्यानपीठम की स्थापना भी की है, जोकि एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है ! योग और ध्यान के शिक्षण और अनुसंधान में संलग्न इस संगठन की 50 से अधिक देशों में शाखाएं हैं और दुनिया भर में इसके 10 लाख से अधिक अनुयाई हैं ।

स्वामी परमहंस नित्यानंद के सीधे मार्गदर्शन में, बेंगलुरू में 1-21 दिसंबर तक "सदाशिवोहम 2016" के नाम से हिंदू जागरूकता शिविर और अंतर जागृति कार्यशाला का आयोजन हो रहा है ।


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