बाअदब बामुलाहिजा होशियार - मुम्बईया फिल्मों में ओसामा और अफजल को हीरो के रूप में देखने को हो जाईये तैयार !



1980 के दशक में गुजरात में अनेकों दंगे हुए ! इन दंगों का एक खलनायक था लतीफ़, जोकि वास्तव में कुख्यात माफिया था !
गुजरात के अमदाबाद में पला-बढ़ा अब्दुल लतीफ कच्ची उमर से ही अवैध शराब बेचने लगा था। वह स्कूल की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी नहीं शराब का कारोबार बढ़ाने की तैयारी करता था। उसे शराब के धंधे का चस्का तब लगा जब वह जुएं के फड़ों में शराब की सप्लाई करना शुरू क‌िया।
जुंए के फड़ों में शराब की सप्लाई करते-करते प्रदेश के राजनीतिक लोगों से हुई और फिर इसके बाद लतीफ एक बार अहमदाबाद के नगर निगम चुनावों में भाग लिया तो पांच सीटें जीत गया। इसके बाद फिर उसने अपने राजनीतिक रसूक का इस्तेमाल करते हुए शराब के धंधे को पूरे गुजरात में फैला दिया।
अब्‍दुल लतीफ धंधे में रोड़ा बनने वाले लोगों को अपहरण और हत्या तक कर देता। 80 के दशक में गुजरात में लतीफ के नाम की तूती बोलती थी। धीरे- धीरे लतीफ के खिलाफ हत्या और अपरण के मामले इतने ज्यादा हो गए कि पुलिस को वह 40 से ज्यादा हत्या और अपहरण के मामले में वांटेड अपराधी बन गया।
उसने सुपारी लेकर लोगों को गोली मारने, हवाला कारोबार, जमीन की व्यापार और हथियारों की तस्करी तक की है। वह गरीब मुस्लिम युवकों की नौकरी लगवाता था और उनका अपने गैरकानूनी कामों में उपयोग करता था ।
1993 में हुए मुंबई धमाकों में दौऊद इब्राहीम के सहयोगी के रूप में भी लतीफ की भूमिका संदिग्‍ध मानी गई। उसके बाद वह दुबई के रास्ते पाकिस्तान भाग गया ! किन्तु जब 1995 में उसने भारत लौटने की हिम्मत की, उसे दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया । 14 दिन की हिरासत के बाद उसे गुजरात की साबरमती जेल में बंद कर दिया। 1997 में लतीफ जेल से फरार हो गया, किन्तु कुछ ही समय बाद पुलिस ने उसे नरोदा पाटिया इलाके में हुए एक एनकाउंटर में मार गिराया।
यह तो हुआ 80 से 95 तक का लतीफ़ ! अब आज के लतीफ़ की बात करते हैं ! कहा जा रहा है कि इस बार लतीफ़ को खलनायक से नायक बनाने जा रहे हैं श्रीमान शाहरुख खान जी ! उसे विलेन से हीरो बनाने की साजिश रची गई है ! शाहरुख की नई फिल्म रईस इसी मवाली के जीवन पर आधारित है ! और लतीफ़ का किरदार निभाने वाले शख्स का नाम है - शाहरुख खान !

कोई अचम्भा नहीं होगा कि आने वाले दिनों में मुम्बई का बॉलीवुड ओसामा बिन लादेन और अफजल गुरू को भी महिमामंडित करता दिखाई दे । यह अलग बात है कि अभिनेता शाहरुख और निर्देशक राहुल ढोलकिया ने इस का खंडन किया है ! यह भी अलग बात है कि काले चश्मे का फ्रेम में शोभायमान तथाकथित श्रीमान किंग खान वास्तविक लतीफ के समान ही जलवा बिखेर रहे हैं । शायद यूपी चुनाव में गुल खिलाने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों को किसी आतंकी की मदद बेहद जरूरी लगती है, जिन्दा नहीं तो मुर्दा ही सही ! आखिर मुर्दे नामुरादों को ज़िंदा रखने के लिए अपने शाहरुख भाई हैं न ?

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें