भांग और हर्र – दो दिव्य औषधियां – डॉ. विक्रम अनंत



लेखक डॉ. विक्रम अनंत भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में शोध वैज्ञानिक हैं तथा कॉफ़ी बोर्ड के निदेशक हैं |
भांग का नाम लेते ही हमारी कल्पना में या कोई नशेडची आता है | लाल लाल आँखों वाला, नशे में धुत्त एक इंसान | लेकिन क्या आप जानते हैं कि भांग के बीजों का तेल एक दिव्य औषधी भी है, जिससे कैंसर जैसे जघन्य रोगों को भी पुर्णतः ठीक किया जा सकता है। इसमें गामा लेनोइक एसिड्स के अलावा ओमेगा 3 ओमेगा 6 ओमेगा 9 जैसे महत्वपूर्ण फैटी एसिड्स पाए जाते हैं जो दिल की सेहत के साथ डायबिटीज,ऑस्टियोपोरोसिस, घने वालों के लिए, तथा त्वचा संबंधी रोगों को पुर्णतः ठीक कर सकता है।
इतना ही नहीं तो भांग के तने से हेम्प फाइबर नामक एक रेशा निकाला जाता है जिससे बहुमूल्य कपडे बनाये जाते है जिनकी कीमत विश्व बाज़ार में बहुत ज्यादा है। इसी के साथ भांग में कई एल्कलॉइड पाए जाते है जिनसे दिमागी बिमारियों सम्बन्धी दवाईया, दर्द निवारक दवाएं, तथा कैंसर रोधी दवाएं भी बनाई जाती हैं।
भांग के तेल को वाणिज्यिक रूप में निकाल कर विदेशी आय का साधन बनाया जा सकता है। इसकी खेती को घनात्मक दिशा देकर यह कार्य निष्पादित किया जा सकता है । हिमाचल प्रदेश में अनेक ऐसी दुर्लभ वनस्पतियाँ हैं, जिनके गुण धर्म पहचानने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को शोध हेतु प्रेरित किये जाने की आवश्यकता है | जरूरत है तो केवल राजनैतिक इच्छा शक्ति की | आज की स्थिति तो यह है कि हिमाचल प्रदेश की अनेक वनस्पतियों को विदेशों में कौड़ियों के भाव बेच कर फिर आयातित किया जा रहा है |
त्रिफला अर्थात हर्र, बहेड़ा आंवला को हमारे यहाँ अमृत कहा गया है | आईये इनमें से एक हर्र की उपयोगिता जानें –

सभी दुःखो को हरने वाली हरड़ :
हरीतकी सदा पथ्या मातेव हितकारिणी।कदाचित कुप्यते माता नोदरस्था हरीतकी॥

हरीतकी (हरड़) सदा ही पथ्यरूपा (जिसका कभी परहेज ना करना पड़े) है, माता के समान हित करने वाली है। माता कभी-कभी कोप कर सकती है किन्तु सेवन की गयी हरड़ कभी कुपित नहीं होती, सदा हित ही करती है।

हरड़ एक दिव्य औषधि है, जो सदियों से इस्तेमाल में लायी जा रही है। 

हरड़ के अद्भुत गुण :

नमक के साथ हरड़ खाने से पेट सदा साफ रहता है। हरड़ के चूर्ण में एक चौथाई भाग ही नमक मिलाना चाहिए इससे अधिक में दस्तावर हो सकता है।

घी के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से कभी हृदय रोग नहीं होता।

सुबह शहद के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से शरीर का बल और शक्ति बढ़ती है।

मक्खन-मिस्री के साथ हरड़ के चूर्ण का सेवन करने से स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ती है अतः विद्यार्थियों का इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।

पंचगव्य के साथ हरड़ का चूर्ण सेवन करने से आयु बढ़ती है।

हरड़ नेत्र के लिए सबसे फायदेमंद होती है, इसका सेवन करने के लिए पहले हरड़ को भुनले, फिर बारीक़ पीस लेने के बाद इसका अच्छी तरह से लेप बनाकर के आँखों के चारो और लगा ले। ऐसा करने से आँखों की सूजन और जलन जैसी परेशानिया दूर होती है। 

कब्ज के लिए : बवासीर और कब्ज के लिए हरड़ का चूर्ण बहुत ही लाभकारी होता है। इसके लिए हरड़ में थोड़ा सा गुड मिलाकर गोली बना ले, छाछ में भुना हुआ जीरा मिलाकर ताजी छाछ के साथ सुबह शाम लेने से बवासीर के मस्सों का दर्द और सूजन कम होने लगती है।

नवजात शिशु के लिए : अगर नवजात शिशु के भौहें नहीं हो, तो उन्हें हरड़ को लोहे पे घिसकर, सरसो के तेल के साथ मिलाकर शिशु के भौहें पर लगाये और धीरे-धीरे मालिश करते रहने से वह उगने लगते है। इसके साथ ही एक सप्ताह तक बच्चो को हरड़ पीसकर खिलाये जाने से उससे कब्ज की शिकायत नहीं होगी।

दमा में राहत : यदि जिन लोगो को दमे की परेशानी है, तो वो रात के समय में हरड़ को चूसे या आवलें के रस में हरड़ मिलाकर सेवन करने से भी इस बीमारी से राहत मिलती है।

अपचन की शिकायत : हरड़ का सेवन पाचन क्रिया को सही रखने में असरदारी होता है, इसके लिए खाना खाने से पहले हरड़ के चूर्ण में सोंठ का चूर्ण मिलाकर साथ लेने से भूख आसानी से खुल जाती है, और भूक लगने लगती है। इसके साथ ही सोंठ, गुड़ या सेंधा नमक मिलाकर खाने से भी पाचन सही रहता है।

चक्कर आना : अगर आपको अचानक चक्कर आने की शिकायत है, तो पीपल या मघा (जिसे गरम मसाले मे मिलाते है), सौंठ यानि सुखी अदरक, सौंफ और हरड़ 25-25 ग्राम लेले। अब 150 ग्राम गुड में इन सभी को मिलाकर गोल आकार की गोली बनाए। 1-2 गोली दिन मे 3 बार लेने से चक्कर आना, सिर घूमना बंद हो जाएगा।

हरड़ का सेवन लगातार करने से शरीर में थकान महसूस नहीं होती और स्फूर्ति बनी रहती है।

हरड़ के टुकड़ों को चबाकर धीरे धीरे खाने से भूख बढ़ती है।

हरड़ के सेवन से खांसी व कब्ज जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं खांसी के लिए इसे भून कर प्रयोग किया जाना चाहिए।

हरड़ को पीसकर उसमे शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।अगर शरीर में कही भी घाव हो जांए तो हरड़ से उस घाव को भर लेना चाहिए।

एक चम्मच बड़ी हरड़ के चूर्ण में दो किशमिश के साथ लेने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।

हिचकी जैसे असमान्य रोग आने पर हरड़ पाउडर व अंजीर के पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लेने से लाभ होता है।

छोटी हरड़ को पानी में भिगो दें। रात को खाना खानेके बाद चबा चबा कर खाने से पेट साफ़ हो जाता है और गैस की समस्या कम हो जाती है।

हरड़ को भून कर खूब बारीक पीस लें और लेप बना कर आंखों के चारो ओर लगाएं। इससे हर प्रकार के नेत्र रोग ठीक हो जाते हैं।

हरड़ का काढ़ा त्वचा संबंधी एलर्जी में लाभकारी है। हरड़ के फल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसका सेवन दिन में दो बार नियमित रूप से करने पर जल्द आराम मिलता है। एलर्जी से प्रभावित भाग की धुलाई भी इस काढ़े से की जा सकती है।

फंगल एलर्जी या संक्रमण होने पर हरड़ के फल और हल्दी से तैयार लेप प्रभावित भाग पर दिन में दो बार लगाएं, त्वचा के पूरी तरह सामान्य होने तक इस लेप का इस्तेमाल जारी रखें अप्रत्याषित लाभ मिलेगा।

मुंह में सूजन होने पर हरड़ के गरारे करने से फायदा मिलता है।

हरड़ का लेप पतले छाछ के साथ मिलाकर गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।

हरड़ का चूर्ण दुखते दांत पर लगाने से भी तकलीफ कम होती है।

हरड़ स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक होता है जिसके प्रयोग से बाल काले, चमकीले और आकर्षक दिखते हैं। 

हरड़ के फल तथा अंबाला फल को नारियल तेल में उबालकर (पूरी तरह घुलने तक) लेप बनाएं और इसे बालों में लगाएं या फिर प्रतिदिन 3-5 ग्राम हरड़ व् अंबाला पावडर एक गिलास पानी के साथ सेवन करें बाल सदैव काले व् घने होने लगेंगे।

हरड़ का पल्प कब्ज से राहत दिलाने में भी गुणकारी होता है। इस पल्प को चुटकीभर नमक के साथ खाएं या फिर 1/2 ग्राम लौंग अथवा दालचीनी के साथ इसका सेवन करें।

छोटी हरड़ का चूर्ण करके उसका मात्र एक चम्मच नित्य प्रयोग करने से कब्ज नामक बीमारी सदा सदा के लिए दूर हो जाती है। छोटी हरड़ को जंगी हरड़ के नाम से भी जाना जाता है। हरड़ अकेले लेने मात्र से 72 प्रकार के वायु रोगों का समूल नाश हो जाता है तथा मनुष्य दीर्घ आयु तथा नव यौवन प्राप्त करता है।

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