देश की राजधानी दिल्ली में करीब दो दर्जन सड़कों के नाम ऐसे विदेशी लोगों के नाम पर है जिन्हें आम जनता जानती तक नहीं है। जैसे सिमोन बोलिवर ...
दूसरी महत्वपूर्ण बात कि इजराईल में इस लड़ाई को इतनी अहमियत दी जाती है कि इस प्रकरण को वहां पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। हर साल वहां हाफिया दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हाफिया में भारतीय सैनिको की शहादत की याद में एक स्मारक भी बनाया गया है । वहां युद्ध में मारे गए सैनिको का अंतिम संस्कार करके उनकी अस्थियां भारत भेज दी गई इजरायल के स्कूली बच्चों की पाठ्यक्रम में इस तरह की कहानी पढ़ाई जाती है। इजरायल स्थित भारतीय दूतावास वहां हर साल 12 सिंतबर को विशेष कार्यक्रम आयोजित करता है। हालांकि इस युद्ध के 30 साल बाद इजरायल अस्तित्व में आया था मगर इसके बावजूद भी दोनों देश इन वीर सैनिको की शहादत को भूले नहीं है।

मध्यप्रदेश समाचार
पिछले माह पेज देखे जाने की संख्या
विज्ञापन 2011
/fa-clock-o/ सप्ताह की लोकप्रिय पोस्ट $type=list
-
सिकन्दर लोदी (1489-1517) के शासनकाल से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 'चमार' नाम की किसी जाति का उल्लेख नहीं मिलता | आज जिन्हें हम ...
-
जब लोग कहते हैं कि विश्व में केवल एक ही हिन्दू देश है तो यह पूरी तरह गलत है यह बात केवल वे ही कह सकते हैं जो हिन्दू की परिभाषा को नहीं जानते...
-
भावी मेट सकहिं त्रिपुरारी मार्कंडेय ऋषि की आयु ब्रह्मा द्वारा महज 12 वर्ष निर्धारित थी, किन्तु वे चिरजीवी हुए | उनके द्वारा...
-
( इस लेख का उद्धेश्य किसी वर्ग विशेष की भावनायें आहत करना नहीं बल्कि भगवान बुद्ध के नाम से जातिवाद की गन्दी राजनीति करने वालों की वास्तव...
COMMENTS