कुछ अपनी कुछ पराई, चिन्ता में भी मुस्कुराओ भाई |
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----अनवारे इस्लाम
तुमको ज़िद्द है अगर पर कतरने की तो,
शौक़ हमको भी ऊँची उड़ानों का है,
बाँधकर हम परों में सफ़र उड़ चले,
इम्तिहान आज फिर आसमानों का है
----शरद जोशी
आजादी के बाद यह देश न ब्राह्मणों का रहा, न हरिजनों का, पूरा देश ठेकेदारों, सप्लायर्स और इंजीनियरों का हो गया ! इसलिए नदियों की मात्र यह उपयोगिता रह गई कि उन पर पुल बनवाये जाएँ ! बाँध का महत्व नदी की धारा से ज्यादा हो गया !
सुराही शायरी का विषय हुई, मटकों में नल लग गए, पानी बोतलों में कैद हो धंधा बन गया ! बहता था तब कृषि से जुड़ा था, कैद हुआ तो उद्योग हो गया !
----अब मेरी बारी है
खराब सडकों पर बढ़ती कारें बेलगाम,
साथ ही बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम !
कार में कमाई, पेट्रोल में कमाई, सड़कों का महज नाम,
अर्थात गुठलियाँ भी हो गईं आम !!
सरकार की तो दसों घी में - है ना चौकस काम !!!
घोडा तो होगा ही महंगा जब महंगी हुई लगाम !
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अरे कोई तो रोको भेडिया धसान,
अन्यथा प्रदूषण बना देगा हर जगह शमशान !!
कारों का धुआं, ओ टूटी सडकों की धूल,
उठा देगा अर्थी, करा देगा पिंड दान !!
कारों की संख्या घटाओ, एसी हटाओ,
जिन्दा रहना है तो हरियाली बढाओ,
साईकिल चलाओ !!
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काव्य सुधा
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