समय की मांग - शिक्षा जगत को कुण्डली मारकर बैठे तक्षकों से मुक्त करना - विमल जे सोनी



70 के दशक में इंदिरा गाँधी बहुत से चुनाव हार गयी ! ऐसा लगा कि मानो देश से अब कांग्रेस खत्म हो जाएगी ! 77 के चुनाव में तो खुद इंदिरा गाँधी बुरी तरह हार गयी थी ! ऐसे में इंदिरा गाँधी को वामपंथीयो की जरूरत पड़ी !

एक और बात थी कि जहाँ एक ओर लालू. ममता, शरद पवार. मुलायम सिंह जैसे लोग मलाईदार रेलवे, ट्रांसपोर्ट, रक्षा, गृह आदि मंत्रालय की मांग करते थे, जिसमे खूब पैसा कमा सके, बहीं मदद के बदले, वामपंथियो ने रखी तमाम युनिवर्सिटीज में चांसलर, एनसीईआरटी, सीबीएससी, भारत इतिहास शोध संस्थान जैसे तमाम संस्थाओ में मुख्य पोजीशन की मांग ! स्वाभाविक ही इंदिरा जी को यह फायदे का सौदा लगा और इसके साथ ही शुरू हुआ देश के इतिहास के साथ खिलवाड़, ताकि देश के युवाओ को वामपंथ के तरफ ले जाया जा सके, और दुनिया भर में ठुकराया गया बामपंथ, भारत में परवान चढ़ सके !

यह अलग बात है कि इंदिरा गाँधी की सत्ता पिपासा का खामियाजा देश को कई पीढ़ियों तक भुगतना पड़ेगा ! वामपंथियो ने इतिहास को विकृत किया, बच्चों की किताबो में मनचाहे बदलाव किये, स्नातक और स्नातकोत्तर तक के पाठ्यक्रम को बदल दिया ! नतीजा ये हुआ कि दिल्ली विश्वविद्यालय, जेनयू, अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी, कोलकाता की जादवपुर युनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी वडोदरा की एमएस युनिवर्सिटी सहित तमाम शिक्षण संस्थाओ में वीसी से लेकर प्रोफेसर तक भरे गए वामपंथी और माओवादियों ने देश की नई पीढी को भारत की मूल संस्कृति से न केवल दूर किया, वरन उसका विरोधी ही बना दिया !

कितने आश्चर्य की बात है कि घोर हिन्दू विरोधी पेशे से वकील तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और एक एनजीओ माफिया शबनम हाश्मी को कांग्रेस सरकारों ने 12वी तक किताब पब्लिश करने वाली संस्था एनसीईआरटी की काउन्सिल में सर्वोच्च पद पर बैठा दिया ! आखिर शैक्षणिक गतिविधि और वकालत के व्यवसाय का क्या तालमेल ?

कांचा इलाया जिसने देश को महिषासुर शहीदी का सिद्धांत दिया, उसे भी एनसीईआरटी की काउन्सिल में रखा गया ! युनिवर्सिटीज के लिए इतिहास लिखने का दायित्व दिया गया, घोर माओवादी और घोर हिन्दू विरोधी रोमिला थापर और रामचन्द्र गुहा को ! इन दोनों ने भारत के इतिहास को महाविकृत कर दिया, और इतिहास से हिन्दू शूरवीरो को पूरी तरह से हटा दिया !

इसी गंदे साजिश के तहत जेएनयु में रोमिला थापर और अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में इरफ़ान हबीब को बैठा दिया गया जिन्होंने घोर हिन्दू विरोधी पाठ्यक्रम बनाया और माओवादी विचार फैलाया !

जितने भी अच्छे रिसर्चर हुए उन्हें और उनके रिसर्च पेपर को गायब कर दिया गया, आज जेएनयु से आरसी मजूमदार, जदुनाथ सरकार, एसआर राव जैसे सच्चे इतिहासकारों के रिसर्च पेपर गायब है ! इनकी किताबो को पाठ्यक्रम से भी हटा दिया गया !

आज मोदी जी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है - देश के शिक्षा जगत पर कुंडली मारे इन वामपंथी आतंकियों को एक एक करके हटाया जाए !!

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