राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा जी को ललकारने वाले घनश्याम तिवाडी की तथाकथा !



आजकल राजस्थानी मीडिया में खांटी भाजपाई घनश्याम तिवाडी छाये हुए हैं | उन्होंने एक प्रकार से मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाते हुए आज अर्थात अंग्रेजो भारत छोडो आन्दोलन के अगस्त क्रांति दिवस 9 अगस्त से प्रदेश में नयी राजनीतिक शक्ति के गठन के लिए “लोकसंग्रह अभियान” का प्रारम्भ कर दिया है ! इसकी घोषणा उन्होंने स्वयं 8 अगस्त 2017 को एक प्रेस वार्ता में की | इस अभियान के दौरान वे पूरे प्रदेश का दौरा कर आम जनता से सम्पर्क, संवाद व विचार-विमर्श करेंगे ! तिवाड़ी के इस ऐलान के बाद राजस्थान भाजपा में खलबली मच गई है। क्योंकि तिवाड़ी न केवल पार्टी के दिग्गज ब्राह्मण नेता है, अपितु अन्य समाजों में भी उनकी खासी मान्यता है। करीब दो-तीन साल से वे दीनदयाल वाहिनी के नाम से पूरे प्रदेश में दौरे कर जनसम्पर्क कर रहे है । आईये उनकी पृष्ठभूमि पर एक नजर डालते हैं –

19 दिसम्बर 1947 को सीकर के नजदीक खूड़ के एक प्रतिष्ठित और समृद्ध ब्राह्मण परिवार में जन्मे श्री तिवाड़ी के पड़दादा अत्यंत समृद्ध थे व उनका मुख्य व्यापार आसाम में था | राजस्थान के शेखावाटी से सबसे पहले आसाम जाने वालों में यह परिवार था। आज भी गुवाहाटी के प्रमुख व्यवसायिक केंद्र फ़ैन्सी बाज़ार में, इनके परिवार द्वारा बनाया गया तिवाड़ी मार्केट विद्यमान है, जहाँ इनके परिजन व्यापार करते है। 

इनके परिवार की सम्पन्नता का प्रमुख उदाहरण है कि जब राजस्थान में अकाल पड़ा तो इनके पड़दादाजी ने सीकर के राव राजा कल्याण सिंह के आग्रह पर अकाल राहत कार्य के रूप में ख़ुद के पैसों से 4 चौक की तीन हवेलियों का निर्माण प्रारम्भ किया, जो लगभग चार वर्ष तक चला और इसमें सीकर के सैंकड़ों लोगों का अकाल के समय में जीवन निर्वहन हुआ। ये हवेलियाँ आज भी सीकर के शीतला के बास में विद्यमान है।

इनका ननिहाल भी अत्यंत संपन्न था | इनके नानाजी के पास खूड़ में 2000 बीघा ज़मीन थी। जब ये मात्र 6 वर्ष के थे तभी इनकी माँ का देहावसान हो गया । तत्पश्चात इनकी परवरिश नाना और नानी के पास ही हुई व 6 मामाओं ने लाडप्यार से इनकी देखभाल की।

यह वह दौर था जब समाज में पढ़ाई-लिखाई पर उतना ज़ोर नहीं दिया जाता था, किन्तु इन्होने सीकर से जयपुर जाकर राजस्थान विश्वविद्यालय से LLB का अध्ययन किया । पढ़ाई पूरी करने के बाद सीकर के सबसे प्रतिष्ठित वक़ील मदनलालजी सोनी के मार्गदर्शन में इन्होने वकालत प्रारम्भ की ।

1980 में सीकर से पहला चुनाव लड़ने के लिए इन्होने अपनी साँवली और दूजोद की पैतृक जमीन बेची और उन पैसों से चुनाव लड़ा। उसके बाद लगातार दस वर्षों तक श्री तिवाडी ने सीकर विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया | वे राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में २००३ से २००८ तक शिक्षा मंत्री रहे। वर्तमान में वे सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

किस्मत के धनी श्री घनश्याम तिवाडी ने जहाँ हाथ डाला वहां उनपर लक्ष्मी की कृपा हुई । इनके जयपुर का वर्तमान आवास जिस श्याम नगर विस्तार में है, आज से 25-30 साल पहले वहां जंगल हुआ करता था । उस समय वहां जमीन की दर महज 10 रुपये से 100 रुपये प्रति वर्ग गज थी । आज ये जगह करोड़ों की हो गयी है! घर के पूर्व में मेट्रो आ गयी, उत्तर में elevated road आ गयी, और पश्चिम में द्रव्यवती नदी है। इसी प्रकार इन्होंने अन्य ज़मीनें भी जो सीकर या जयपुर में लीं वे पहले शहरों से दूर थीं किन्तु अब समय के साथ 25-30 वर्षों में शहर बढ़ता हुआ इन ज़मीनों के पास आ गया है और उनकी क़ीमत बढ़ गयी है ! अब इसे इनकी समझदारी या दूरंदेशी कहें या भाग्य ?

खैर मुख्य बात यह कि इस प्रभावशाली और भाग्यवान इंसान ने आज वसुंधरा राजे जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को कांग्रेस से कहीं ज्यादा सांसत में डाल दिया है ! इनका दावा है कि इनके पास वसुंधरा जी और उनके सुपुत्र से सम्बंधित ऐसे दस्तावेज हैं, जिन्हें देखकर वकौल इनके ये खुद सदमे में आ गए थे, कि कोई व्यक्ति ऐसा भी कर सकता है | 

प्रेसवार्ता में इन्होने आशंका जताई कि मुख्यमंत्री के इशारे पर इनके घर पर सरकारी विभागों द्वारा छापा पड़ सकता है ! श्री तिवाडी का कथन है कि ऐसी स्थिति में सरकारी मुलाजिमों को मुख्यमंत्री और उसके बेटे के कारनामों से जुड़े वे दस्तावेज़ भी इनके काग़ज़ों के साथ मिल जायेंगे। अगर कोई अधिकारी इन काग़ज़ों के मिलने के बाद भी इन्हें दबाने की कोशिश करता है तो उसे भुगतना होगा । उनके शब्दों में –

जिस समय इन अधिकारियों में से कुछ जन्मे भी नहीं होंगे उस समय देश में आपातकाल लगा था। वो आपातकाल मैंने देखा है और भोगा है। उस आपातकाल के सामने इनके haressment के काम बचकाने हैं। इस प्रकार के बचकाने कामों से न मैं उत्पीड़ित होऊँगा, न घबराऊँगा। मैं पूरी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ूँगा और जो वास्तव में बेईमान हैं उनको प्रदेश से भगा कर रहूँगा। मेरे परिवार के लोग भी इनके haressment के कारण अपना आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक काम छोड़ने वाले नहीं हैं। वे भी इनसे लड़ेंगे और मैं भी इनसे लड़ूँगा और विजय सत्य की होगी।

भाजपा की भाजपा से लड़ाई दर्शक दीर्घा में बैठे आमजन के लिए सचमुच रोमांचक और दिलचस्प होने वाली है ! काश भाजपा नेतृत्व समय रहते इसे रोक पाए | किन्तु फ़िलहाल लगता तो नहीं है !

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