राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में सर्वाधिक जोर ग्राम विकास एवं कुटुंब प्रबोधन पर


भोपाल, 14 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के समापन अवसर पर संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैय्याजी जोशी ने पत्रकारों से संवाद के दौरान तीन दिवसीय बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णयों की जानकारी दी | प्रमुख बिंदु निम्नानुसार हैं –

पिछले कुछ समय से गांव और किसान अनेक प्रश्नों से जूझ रहे हैं। संघ का विचार है कि किसान को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए। किसानों के प्रश्नों को समझकर उनके अनुकूल नीति सरकार को बनानी चाहिए। 

किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है, अतः किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके, इस हेतु सरकार को नीति बनानी चाहिए । 

संघ प्रयास करेगा कि किसान जैविक खेती की ओर लौटें। संघ ने इस दिशा में कुछ योजना बनाई है। ग्राम विकास के क्षेत्र में कार्य करने के लिए संघ 30-35 आयुवर्ग के व्यक्तियों को अपने साथ जोड़ेगा।

चूँकि भारत में लगभग 60 प्रतिशत समाज गांव में बसता है। वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीण परिवेश के समक्ष अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं, जिनमें से समरसता सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में शाखाओं के माध्यम से गांवों में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

व्यक्ति के निर्माण में उसके परिवार की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। बच्चों को संस्कार और जीवनदृष्टि परिवार से मिले तो उनका विकास ठीक प्रकार होता है। परिवार समाज जागरण का केंद्र बनें, इसके लिए संघ के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए संघ ने कुटुंब प्रबोधन का काम अपने हाथ में लिया है। समाज में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए कुटुंब प्रबोधन के कार्य को बढ़ाने की आवश्यकता है। 

रोहिंग्या गंभीर प्रश्न है। यह विचार करना चाहिए कि आखिर म्यांमार से उन्हें निष्कासित क्यों किया जा रहा है? म्यांमार से अन्य देशों की सीमाएं भी लगती हैं, परंतु उन देशों में रोहिंग्या मुसलमानों को प्रवेश क्यों नहीं दिया गया? यह भी देखना होगा कि पूर्व में आए रोहिंग्या भारत में किन क्षेत्रों में बसे हैं? उन्होंने अपने रहने के लिए जम्मू-कश्मीर और हैदराबाद को चुना है। जो रोहिंग्या अब तक भारत आए हैं, उनके व्यवहार से यह नहीं लगता कि वह यहाँ शरण लेने के लिए आए हैं। शरणार्थियों के संबंध में सरकार को नीति बनानी चाहिए, जिसमें उनको शरण देने की नीति, स्थान और अवधि तय हो। एक कालावधि के बाद शरणार्थियों को वापस भेजने की व्यवस्था बने। 

भारत ने सदैव शरणार्थियों का स्वागत किया है। परंतु, जिनको शरण दी जा रही है, पहले उनकी पृष्ठभूमि को देखना चाहिए। मानवता के नाते विचार करने की भी एक सीमा होती है। जो लोग रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन कर रहे हैं, उनकी पृष्ठभूमि भी देखने और समझने की आवश्यकता है।

संघ चाहता है कि पहले समस्त बाधाएं समाप्त हों, फिर राम मंदिर का निर्माण हो। बाधाओं को समाप्त करने की दिशा में सरकार को प्रयास करना चाहिए। वर्तमान में कारसेवकपुरम् में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही हैं, जैसे ही बाधाएं समाप्त होंगी,मंदिर निर्माण प्रारंभ हो जाएगा।

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जिस उद्देश्य के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है, उस उद्देश्य की पूर्ति तक आरक्षण रहना चाहिए। आदर्श स्थिति तो यह होगी कि आरक्षण प्राप्त करने वाले समाज को ही यह तय करना चाहिए कि उसे कब तक आरक्षण की आवश्यकता है?

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में जिन विषयों पर विचार किया गया है, मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में उन्हें अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।


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