यह युद्ध अवश्यंभावी है ! - सुजश कुमार शर्मा

SHARE:

माफ करना मेरे भाई ! हम कुछ भी नहीं कर सकते कुछ भी तो नहीं कुछ भी नहीं। हमारे बीच से ही कुछ सम्मोहित मुर्दे से लोग हमारे मंत्रावेशित विचा...



माफ करना मेरे भाई !
हम कुछ भी नहीं कर सकते
कुछ भी तो नहीं
कुछ भी नहीं।

हमारे बीच से ही कुछ सम्मोहित मुर्दे से लोग हमारे
मंत्रावेशित विचारों के एक ऐसे कुंड के इर्द-गिर्द खड़े हैं
जिससे उठते धूम में नहीं दिखती है किसी की शहादत
नहीं समझ आता कुछ, बस अपनी ही बातों पर अड़े हैं।

हममें से ही कुछ लोग वैचारिकता के नाम पर
बुझा रहे अखंडता की धधकती यज्ञ वेदी को
अपने स्वार्थ के लिए बाँट रहे हैं अपनों को
पाट रहे हैं प्रेम की शाश्वत बहती नदी को।

वे बिखरा देते हैं राष्ट्र के समर्पित पुष्पों को
गिरा देते हैं पंचामृत और यज्ञ के पवित्र जल
हर बार अट्टहास करते हैं राक्षसों की भाँति
और नोचते हैं ऋषि-सैनिकों को पल-प्रतिपल।

और हम, दरअसल डरपोक, कमजोर, बेबस, लाचार लोग
नहीं कर पाते कुछ, जीते हैं अपनी परिधि, अपनी कुटी में
भयभीत कुटुंब के साथ नजरें चुराते, सुकून की जड़ी-बूटी ले
अब रहा नहीं शेष, तपोबल हमारे नेत्र और मध्य-भृकुटि में।
क्योंकि हमारा ही भाई, कोई सहधर्मी ऋषि, कोई महर्षि
हमारे ही आँखों के सामने कर दिया जाता है क़तल
हम अधकटे शापित लोग, फिर से कटने की प्रतीक्षा में
रहते हैं मूक, बेचैन अपनी नपुंसक अहिंसा पर अटल।

हममें से फिर कोई होता है दरिंदगी का शिकार
हममें से फिर कुछ लोगों का खो जाता है ‘विवेक’
हममें से ही फिर किसी की छोटी हो जाती है ‘उमर’
और उधर, फिर किसी राजा का होता है राज्याभिषेक।

और हम रहते हैं धर्मभूमि के इसी यज्ञस्तंभ से बँधे
अपनी गूँगी शांति और विकलांग तेज में जीवित
एक मृत से भी बदतर यह अशुद्ध जीवन हवन
हाय ! कितना खोखला, ओह ! कितना घृणित।

कोसती है आत्मा हमारी, मगर क्या ! आखिर क्या !
क्या करते हैं हम सभ्य, सुसंस्कृत, शांत लोग
बिखरी ‘उमर’ की दूब-पत्तियाँ उठाते और बिनते
इस राष्ट्र के मरघट में बुद्धिजीवी प्रशांत लोग।

हम कहीं जाकर आयोजित करते हैं श्रद्धांजलि सभाएँ
कहीं कुछ लिख देते हैं, कहीं कुछ महज बोल देते हैं
कहीं निकाल लेते हैं कैंडल मार्च, कहीं मौन जुलूस
और उठती ऊर्जा को यूँ ही हवाओं में घोल देते हैं।

बस, हो जाती है इतिश्री हमारी जिम्मेदारियों की
बस, हो जाता है अखंडता का यज्ञ संभव-शुभ-पूर्ण
वाह ऋषिभूमि ! वाह इस भू का यह अनुष्ठान !
और शांति के हवन का यह प्रसाद, यह चूर्ण !

देखते हैं भाई ! कब तक इस तरह शांत रहेंगे हम
इस अहंकार की वेदी पर, नफरत की खूनी धारा में
इस अलगाव की चिंगारी, इस घृणा की ज्वाला में
कहाँ तक सुरक्षित रह पाएँगे आतंक के अंगारा में।

इस आग में किसी दिन हम भी हो जाएँगे भस्म
फिर कैंडल मार्च, फिर मातमपुरसी की वही रस्म
फिर नारे, जुलूस, विरोधों के चौक और गली
निकाली जाएँगी रैली और फिर-फिर श्रद्धांजलि।

मेरे भाई ! हम एक ऐसी दुनिया में साँस ले रहे हैं
जो सुंदर थी, जिसे बनाना था सुंदर से भी सुंदर
मगर अब यह नरक से भी हो गई है बदतर
इस नरक की अग्नि में सब कुछ होम अंदर ही अंदर।

हमारा प्रेम, प्रेम के तमाम प्रतीक और संप्रत्यय
हमारा भाईचारा, मानवता और एकता का लय
हमारा संविधान, शास्त्र, हमारी संस्कृति का गौरव
सारा कुछ स्वाहा, सब भस्मीभूत, सब कुछ विलय।

इस तंत्र के यज्ञ में बस आहुतियाँ ही आहुतियाँ हैं
यह यज्ञ कुंड जाने कितनों के खून से जल रहा है
यह धरती जाने कितनी लाशों को ढोए फिर रही है
यह युग आतंक की शक्ल में मनुष्यता को छल रहा है।

यह युग लाशों का युग है, त्रासदियों का युग है
यह विडंबनाओं का युग, यह यंत्रणाओं का युग
यह युग, यह समय, युद्ध को पुकारता काल है
यह झूठी संधियों की बेला, गुप्त मंत्रणाओं का युग।

मनुष्य जाति को समूल लड़ने-मरने के लिए
आमंत्रित करता, यह विकट समय हावी है
यह विचित्र समय, हमें निगल जाएगा
यह रुक नहीं सकता, यह युद्ध अवश्यंभावी है।

इस भावी युद्ध ने निगल लिया शांति का हवि
इस भावी युद्ध ने बुझा दिया लोकतंत्र का हवन
इस युद्ध ने छिन लिया रुद्राक्ष, अक्षसूत्र, कमंडल सारे
इस युद्धाग्नि के समक्ष उच्चारित मंत्र से काँपता गगन !

यह उच्चारित मंत्र गूँज रहा रक्ताभ कर्णों में हमारे
‘राम नाम सत् है, राम नाम...
त्राहि माम, त्राहि माम
त्राहि माम !’

[ उमर : दिनांक 10.05.2017 को काश्मीर में आतंकी हमले में शहीद उमर फैयाज।

विवेक : बस्तर में माओवादी हमले में शहीद विवेक शुक्ला। दोनों शहीद नवोदय (जेनवी) के विद्यार्थी रहे हैं। ]

लेखक परिचय -
प्रकाशित कृतियाँ- काव्य संग्रह ‘कुछ के कण’ शिवांक प्रकाशन, नई दिल्ली
उपन्यास ‘प्रार्थनाओं के कुछ क्षणगुच्छ’ शिल्पायन प्रकाशन, नई दिल्ली
काव्य संग्रह ‘तुम आई हो !’ अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद खंड काव्य ‘आखिर क्या है सत्य?’ डायमंड बुक्स, नई दिल्ली

उपलब्धियाँ - काव्य संग्रह ‘कुछ के कण’ के लिए भारत सरकार, रेल मंत्रालय द्वारा ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’ वर्ष 2014 से सम्मानित।
उपन्यास ‘प्रार्थनाओं के कुछ क्षणगुच्छ’ के लिए भारत सरकार, रेल मंत्रालय द्वारा ‘प्रेमचंद पुरस्कार’ वर्ष 2016 से सम्मानित।
कविता ‘तुम आई हो !’ के लिए वक्ता मंच, रायपुर द्वारा ‘रचनाकार सम्मान-2017’ से सम्मानित। विभिन्न संस्थाओं द्वारा समादृत।

स्थायी पता - सुजश कुमार शर्मा, पुत्र- श्री शरद शर्मा, बाह्मण पारा राजिम जिला – गरियाबंद (छत्तीसगढ़), पिन-493885
ई-मेल - sujashkumarsharma@gmail.com मोबाइल - 9752425671, 7869511716

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,11,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,90,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1126,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,911,शिवपुरी समाचार,331,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : यह युद्ध अवश्यंभावी है ! - सुजश कुमार शर्मा
यह युद्ध अवश्यंभावी है ! - सुजश कुमार शर्मा
https://4.bp.blogspot.com/-xoOaVNvLDe0/Wjt3id8hhfI/AAAAAAAAJck/VZIDr12vXnYSgSPgZpHhFw-2Rt-JkNF8wCLcBGAs/s1600/sujash%2Bkumar%2Bsharma.jpg
https://4.bp.blogspot.com/-xoOaVNvLDe0/Wjt3id8hhfI/AAAAAAAAJck/VZIDr12vXnYSgSPgZpHhFw-2Rt-JkNF8wCLcBGAs/s72-c/sujash%2Bkumar%2Bsharma.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2017/12/This-war-is-inevitable.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2017/12/This-war-is-inevitable.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy