जनता की अदालत में कांग्रेस पार्टी पर आरोप पत्र


२०१४ में हुए आमसभा चुनाव में जबरदस्त धुलाई के बाद, और उससे भी ज्यादा, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की करारी शिकस्त ने कांग्रेस की चूलें हिला दीं | और उसके बाद, बदली हुई रणनीति के तहत, आजकल कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष श्री राहुल गांधी लगातार मंदिरों की यात्रा कर रहे हैं, उनके जनेऊ धारी चित्र कांग्रेस प्रवक्ता जारी कर रहे हैं | ऐसे में अटल जी बहुत याद आ रहे हैं | उनके कहे वे शब्द काबिले गौर हैं –

इनकी करनी को देखो, कथनी पर मत जाओ,
इनकी सीरत पहचानो, सूरत पर मत जाओ !

ये कुर्सीपरस्त आज क्या कह रहे हैं, क्या स्वांग रच रहे हैं, इससे प्रभावित होने के पूर्व, भूतकाल में किये गए कृत्य स्मरण रखने की जरूरत है | 

तुष्टीकरण –

यह कोई ढका छुपा तथ्य नहीं है कि यूपीए शासनकाल में कांग्रेस पार्टी और यूपीए की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया (एंटोनिया मेनो) गांधी सर्वशक्ति सम्पन्न थीं | यह भी सब जानते हैं कि वह एक कैथोलिक ईसाई है, जिन्होंने राजीव गांधी के साथ विवाह के बाद भी अपना धर्म नहीं बदला | यह कोई ख़ास बात नहीं है, किन्तु यह अवश्य काबिले गौर है कि उनके सलाहकार और नजदीकी कौन रहे ? अहमद पटेल, ए के एंथोनी, ऑस्कर फर्नांडिस, अब्दुल रहमान अंतुले, ई अहमद, वाईएस राजशेखर रेड्डी (एक ईसाई), डॉ. शकील अहमद, शफी कुरेशी, जॉन दयाल, मोहम्मद हामिद अंसारी और अंबिका सोनी (नाम पर मत जाईये, ये भी एक ईसाई ही हैं) । नजदीकी लोगों की फेहरिस्त देखकर हैरत में आने के स्थान इसके कारण पर विचार किया जाना चाहिए | 

उनकी आस्था ईसाई धर्म में है, और उनकी मान्यता है कि उनका धर्म भारतीय हिंदू धर्म से श्रेष्ठ है, इसलिए वह खुद को गैर-हिंदूओं की कंपनी में अधिक सहज महसूस करती है। यही वह कारण है कि उन्होंने खुद को ईसाई और मुस्लिम सलाहकारों के घेरे में रखा | और यही कारण है कि कांग्रेस शासन के दौरान, हिंदुओं की स्थिति बद से बदतर होती गई । हिन्दू प्रतीकों को अपमानित करने का कोई अवसर नहीं चूका गया | हिन्दू संत लक्ष्मणानंद जी की ह्त्या, साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार कर दी गई यातनाएं, कांची कामकोटि के निर्दोष शंकराचार्य श्री जायेंद्र सरस्वती की झूठे आरोपों में गिरफ्तारी, बाटला हाउस काण्ड में सशस्त्र बलों को कमजोर और हतोत्साहित किया जाना, राम सेतु के विध्वंश की योजना का निर्माण, जैसे अनेक उदाहरण इसके प्रमाण हैं ।

इतना ही नहीं तो रोबोट प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह का "मुस्लिम-फर्स्ट" कार्यक्रम, जिसके तहत केवल आंध्र प्रदेश में मुसलमानों के लिए 500 करोड़ रु., आंध्र प्रदेश में मुस्लिम लड़कों और लड़कियों के लिए 140 करोड़ की छात्रवृत्तियां, केवल मुस्लिम छात्रों को इंजीनियरिंग और अन्य उच्च शिक्षा के लिए प्रति वर्ष 200,000 करोड़ का प्रावधान, और सबसे बढ़कर आतंकवादियों के बच्चों को भी पेंशन की पात्रता घोषित की गई ! मुस्लिम वोटों को हासिल करने के लिए, एक उर्दू टेलीविजन चैनल को बढ़ावा देने के लिए पंचवर्षीय योजना में 550 करोड़ रु. आवंटित किये गये । 

http://timesofindia.indiatimes.com/NEWS/India/Efforts_on_to_promote_Urdu_channel_Govt/articleshow/811680.cms।

केवल इतना ही नहीं है, अकेले कर्नाटक में करीब 207,000 हिंदू मंदिर हैं जिनसे सरकार को लगभग 72 करोड़ कुल आय होती है। मजे की बात यह है कि इनमें से, सरकार मंदिरों के रखरखाव पर सिर्फ 6 करोड़ खर्च करती है; जबकि हिंदू भक्तों से एकत्रित बाकी राशि बेरहमी से मुस्लिम मदरसों और ईसाई चर्चों पर खर्च की जाती है; चर्चों पर 50 करोड़ रूपए और मदरसों पर 10 करोड़ रूपये। (श्री श्री रवि शंकर, 2003 में इंडिया टुडे)

धर्मनिरपेक्ष भारत में हिंदू मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण, देश में धार्मिक स्वतंत्रता का एक बड़ा उल्लंघन है। अकेले आंध्र प्रदेश में, तिरुपति देवस्थानम से मंदिर के राजस्व का 85 प्रतिशत - एक बहुत अधिक रुपये 3,100 करोड़ रुपए - राज्य के खजाने में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं, जो मुस्लिम और ईसाई कारणों पर स्वतंत्र रूप से खर्च किये जाते हैं।

उडीसा में घर वापिसी अभियान चलाकर धर्मान्तरित आदिवासियों को पुनः हिन्दू धर्म में दीक्षित करने वाले स्वामी लक्ष्मणंद सरस्वती और उनके चार शिष्यों की ह्त्या में कांग्रेस के स्थानीय राज्यसभा सदस्य का प्रोत्साहन रहा, यह आरोप लगातार चर्चित रहा । मुंबई पुलिस आयुक्त ने 12 फरवरी, 2009 को रहस्योद्घाटन किया कि 26/11 के मुंबई हमले में पाकिस्तानी हमलावरों के अलावा 14 से 16 भारतीय मुस्लिम भी शामिल थे, लेकिन यूपीए सरकार लगातार देश को गुमराह करते हुए कहती रही है कि सभी जिहादी पाकिस्तानी थे।

ढोंग –

२०१३ में उत्तराखंड गंगा की भयावह बाढ़ से प्रभावित हुआ | क्रुद्ध गंगा ने जो भी रास्ते में आया उसे नेस्तनाबूत कर दिया । रात के अंधेरे में अनेक निर्दोष काल के गाल में समा गए | गंगा की इस क्रुद्ध गर्जना को भी तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह पूरे दस दिनों तक एक मूक दर्शक की तरह देखते रहे ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक तो हर बार की तरह खुद होकर सेवा कार्य में जुट ही गए, गुजरात के तत्कालीन मुख्य मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ के पुनर्निर्माण हेतु सहायता का प्रस्ताव दिया, किन्तु उसे स्वीकार नहीं किया गया | संभवतः कांग्रेस, भाजपा शासित गुजरात को भारत का अंग ही नहीं मान रही थी | इससे भी बड़ी बात है वह घटना, जिसने उन दिनों पूरे भारत को हैरत में डाल दिया | जिस समय यह घटना घटी, उस समय कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी विदेश में छुट्टियां मना रहे थे | राहत सामग्री से लदे हुए ट्रक, दिल्ली स्थित कांग्रेस पार्टी मुख्यालय २४ अकबर रोड के बाहर इस इंतज़ार में तीन दिन खड़े रहे कि कब राहुल जी आयें और कब वे हरी झंडी दिखाकर उन्हें रवाना करें | २१ सितंबर से इंतज़ार करते ये ट्रक अंततः २४ सितंबर को राहुल जी ने हरी झन्डी दिखाकर रवाना किये | कांग्रेस के लिए लोगों का जीवन नहीं,प्रदर्शन महत्वपूर्ण है | 

बाद में जो कुछ हुआ वह और भी अधिक हास्यास्पद और गंभीर है | ये ट्रक अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाए । उन्हें ऋषिकेश में ही रुकना पड़ा, ड्राईवरों के पास कोई दिशानिर्देश ही नहीं था। यहाँ तक कि उनके पास ईंधन खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे, अतः उन्हें ट्रक में भरी राहत सामग्री बेचने को विवश होना पड़ा ।
http://www.ndtv.com/video/player/news/after-grand-photo-op-congress-trucks-for-uttarakhand-stall/280779


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