नीरव मोदी विराट तस्कर ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा कीट



मुझे नीरव मोदी प्रकरण में सबसे अधिक हैरत इस बात से हो रही थी कि आखिर उधारी के पैसों से कोई व्यक्ति दुनिया का शीर्षस्थ धनवान कैसे बन सकता है | किन्तु जब जाने माने लेखक श्री गौरव प्रधान @DrGPradhan के ट्वीट और पोस्ट देखे तब ज्ञान चक्षु खुले | नीरव मोदी प्रकरण महज बेंक धोखाधड़ी या सरकार को चूना लगाने भर का नहीं है, इसके तार बेल्जियम के हीरे तस्करों से भी जुड़े हुए हैं | नीरव मोदी और उसके मामा गीतांजलि जेम्स के मालिक मेहुल चाकोसी ने बहुत चतुराई के साथ बैंकों से प्राप्त उधारी के पैसे, ब्लैक मनी लाउन्डर्स और बेल्जियम के हीरे तस्करों का गठजोड़ किया और देखते ही देखते दुनिया के १०० सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार हो गया | 

दरअसल नीरव मोदी को स्थापित करने के पीछे लन्दन के कुख्यात नीलामी घराने “क्रिस्टी एंड सोथबी” का हाथ है, किसी जमाने में जिसका मुख्य कार्य ईस्ट इंडिया कंपनी के जासूसों द्वारा भारत से चुराई गई उन प्राचीन भारतीय मूर्तियों और पांडुलिपियों की नीलामी करना था, जो लम्बे समय से ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों के गोदामों में धुल खा रही थीं । यह कार्य आज भी जारी है, हालांकि इसका स्वरुप अब बदल गया है | पहले जो कार्य ईस्टइंडिया कम्पनी के लोग करते थे, वह काम अब मूर्ती चोर और तस्कर करते हैं और इन्हें ठिकाने लगाने का कार्य आज भी “क्रिस्टी एंड सोथबी” के ही जिम्मे है | 

दुनिया के सबसे बड़े हीरे व्यापारियों में से कुछ लोग, ब्लैक मनी के गोरख धंधे में भी शीर्ष पर हैं | इस काले धन का उपयोग ये लोग आईपीएल क्रिकेट टीमों को खरीदने, बॉलीवुड फिल्में बनाने और यहां तक ​​कि आतंकी गतिविधियों का वित्तपोषण करने में बखूबी करते हैं । स्विस लीक, पनामा पेपर्स, और पेराडाईज पेपर्स आदि में यही सब बेनकाब हुआ है | 

ब्लैक मनी लॉन्डरिंग सूची में अनेक प्रमुख गुजराती हीरा व्यापारी भी हैं, जिनकी जड़ें पालनपुर में हैं और वे बेल्जियम में बस गए हैं और जैसा कि चर्चा है, नीरव मोदी भागकर बेल्जियम ही पहुंचा है | हीरे तस्करों का यह गिरोह, भारत में आतंक फैलाने में भी सहायक होता है । 

आईये अब इन तस्करों की कारगुजारियों पर एक नजर डालते हैं – 

2012 में ढाई मिलियन कैरेट के हीरों का विशाल भण्डार जिम्बाब्वे से गायब हो गया था | बैसे तो उसकी कीमत लगभग 200 मिलियन डॉलर आंकी गई थी, किन्तु इसे तराश कर भारतीय बाजारों में दोगुना से भी ज्यादा कीमत में बेचा गया | विक्रेताओं और उनके जिम्बाब्वे के सहयोगियों को हुए अपार मुनाफे का सहज अनुमान लगाया जा सकता है | नुक्सान हुआ तो जिम्बाब्बे का हुआ | 

2013 में चीन ने इन गुजराती हीरा व्यापारियों को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर उन्हें जेल में डाल दिया। बाद में उनकी रिहाई कैसे खरीदी गई, उसकी अलग ही एक मनोरंजक कहानी है | नीरव मोदी तो हीरा व्यापारियों और ब्लैक मनी लॉन्ड्रिंग कॉकस का सिर्फ एक मोहरा है। 

इन तस्करों के विराट स्वरुप की बानगी और भी है – 

मई 2014 में इन ब्लेकमनी धारक महान डायमंड डीलरों में से आठ को जर्मनी के लिकटेंस्टीन बैंक में जमा उनकी ब्लैक मनी को आयकर विभाग द्वारा क्लीन चिट दे दी गई ? अब आप समझ ही गए होंगे कि नीरव मोदी तो इस अंतरराष्ट्रीय हीरे की तस्करी के विशाल हिमशैल का एक छोटा सा खंड भर है। 

2008 में हुए 26/11 के आतंकी हमले के छः माह पूर्व वित्तीय खुफिया यूनिट को आतंकवादियों की गतिविधियों और सूरत के हीरे उद्योग के बीच हुए विदेशी लेनदेन के बीच सम्बन्ध की जानकारी मिली थी । यहाँ भी बेल्जियम का ही नाम उजागर हुआ था, जहाँ भागकर नीरव मोदी पहुंचा है | 

क्या आप जानते हैं कि 26/11 के मुंबई हमले के दौरान हीरा उद्योग के सदस्यों की वार्षिक बैठक उसी ताजमहल और ओबेरॉय होटल में चल रही थी, जिस पर हमला हुआ | हीरा ट्रेडिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक वर्दाशिन भी उस मीटिंग में भाग ले रहे थे | हैरत की बात यह है कि इनमें से किसी को खरोंच तक नहीं आई, सब सकुशल बाहर आ गए | 

हीरा कारोबार से जुड़े लोग अच्छी प्रकार जानते हैं कि मुंबई की उपनगरीय रेलवे लाइन के प्रथम श्रेणी डिब्बों पर ज्यादातर पंचरत्न बिल्डिंग के हीरे व्यापारियों का कब्जा रहता है। सवाल उठता है कि 2006 के मुंबई विस्फोटों में मुंबई के 12 हीरा व्यापारियों को निशाना क्यों बनाया गया ? 

क्या आप जानते हैं कि 2003 में मुंबई के ज़वेरी बाज़ार में हुए जुड़वां विस्फोट में बेल्जियम से सम्बन्ध रखने वाले गुजराती हीरा व्यापारियों को ही लक्षित किया गया था ? 2003 का जवेरी बाजार हो अथवा 2006 के धारावाहिक ट्रेन विस्फोट या 2008 के मुंबई हमले, निशाना हीरा व्यापारी ही बने । आखिर क्यों ? 

जैसा कि हमने ऊपर उल्लेख किया, वित्तीय खुफिया इकाई 26/11 के मुम्बई हमले के छः माह पूर्व से ही सूरत-मुंबई के हीरा उद्योग को संदिग्ध आतंकवादी गतिविधियों के लिए ट्रैक कर रही थी। क्या सूरत डायमंड इंडस्ट्री डेविड हेडली द्वारा वित्तपोषित थी ? 

यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि पठानकोट आतंकी हमले में शामिल गुरदासपुर के पुलिस अधीक्षक सलविंदर सिंह ने एनआईए को पूछताछ में बताया कि ड्रग तस्करों द्वारा ड्रग कार्टल को सीमा पार करवाने के बदले उन्हें भुगतान हमेशा हीरों की शक्ल में किया गया था | 

क्या आपको पता है कि गीतांजली समूह, डिबेर्स कंपनी का एक हिस्सा है, जिसकी स्थापना अफ्रीका में उपनिवेश स्थापित कर उसे लूटने के लिए, ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियंत्रित रोड्स andओपनहेमर्स द्वारा की गई थी ? आजकल यह नल्लामाला के जंगलों में भारतीय राजा के छिपे खज़ाने को ढूँढने में व्यस्त है ? 

पीएनबी घोटाले के व्हिसिल ब्लोअर हरि प्रसाद के अनुसार नीरव मोदी की गीतांजलि जेम्स, टाईम्स ऑफ़ इण्डिया समूह में भी साझीदार है, शायद यही कारण है कि उन्होंने इस कहानी पर ब्लैक औउट ही रखा है क्योंकि उनके साझा वित्तीय हित है। क्या इसका यह मतलब नहीं निकलता कि टाइम्स ऑफ इंडिया समूह भी ईआईसी डिबेर्स का हिस्सा है ? 

ईस्ट इंडिया कंपनी की हाउस ऑफ़ रोड्स एंड ओपनहेमर्स ने अफ्रीका में उपनिवेश स्थापित किया और इसके संसाधनों का लूट लिया। नीरव मोदी इस लुटेरी कम्पनी का महज एक पोस्टर गे है।
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