पाकिस्तान में जबरिया धर्म परिवर्तन, रोहिंग्या के लिए दर्द और अपने सहोदरो की खबर तक नहीं ? - संजय तिवारी

जिनसे भारत का दूर दूर तक कोई नाता नहीं उन रोहिंग्या मुसलमानो को भारत में शरण देने की वकालत करने वालो को अपने भारतीय शरणार्थी सहोदरो के लिए पीड़ा क्यों नहीं हो रही। वे तो सभी मूलतः भारतीय ही हैं। अधिकाँश हिन्दू हैं। महिलायें हैं। बच्चे हैं। जवान हैं। वृद्ध हैं। भारत विभाजन का संत्रास झेल रहे हैं। सब केवल भारतीय होकर रहना चाहते हैं। उनके पक्ष में कोई आवाज न तो सड़क पर उठ रही है न संसद में। कथित आभासी दुनिया भी मौन है। हिन्दू संवत्सर , राम नवमी और हिंदुत्व की गाथा प्रसारित करने वाले हाथ शांत हैं। बहुत ही दुखद है। प्रगतिशील युग में हमारे पड़ोस के देश में पांच सौ हिदुओ को जबरन इस्लाम कबूल करा कर मुसलमान बना दिया जाता है और भारत में एक आवाज नहीं उठती है। यही इसका उलटा हुआ होता , मुसलमानो की घरवापसी का आयोजन होता तो हमारे चैनलों पर सेक्युलर जमात छाती पीट रही होती। 

500 हिदुओ को बनाया गया मुसलमान 

खबर सच्ची है और प्रामाणिक भी। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मातली जिले में 25 मार्च को 50 परिवारों के 500 लोगों का सामूहिक रूप से जबरन धर्म परिवर्तन करवा दिया। इनमें से अधिकांश वे थे, जो भारत में शरण लेने आए तो थे। परंतु लांग टर्म वीजा नहीं मिलने के कारण उन्हें पाक लौटना पड़ा था। इस्लाम कबूल करने वाले इस आयोजन का वीडियो पाक के हिंदू एक्टिविस्ट और मानवाधिकार संगठन से जुड़े लोगों ने जुटाया है। इसमें साफ नजर आ रहा है कि जो लोग कलमा पढ़ रहे थे, उनके चेहरों पर खुशी नहीं थी। वे बच्चों और पर्दों में बैठी महिलाओं के साथ मजबूरी में इस्लाम कबूल कर रहे थे।

संयुक्त राष्ट्र संघ में बहस होती रही 

दरअसल अपनी राजस्थान की सीमा के उस पार धर्म परिवर्तन का यह पूरा सिलसिला उस दौर में चला जब पांच दिन पहले जिनेवा में यूएन मानवाधिकार परिषद के 37 वें सत्र में सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों और जबरन धर्म परिवर्तन पर चिंता जताई जा रही थी। सत्र का मकसद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सिंध के अल्पसंख्यकों के हालात बताने का था। इसका संचालन मुस्लिम कनेडियन कांग्रेस के फाउंडर व लेखक तारिक फतेह कर रहे थे। मुख्य वक्ता के रूप में वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस की चेयरपर्सन रूबिना शेख ने कहा कि कट्‌टरपंथी लोग हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं।

खबर के मुताबिक़ मातली की माशाअल्लाह शादी हाल नज्द मदरसा में 25 मार्च को 500 हिंदुओं को इस्लाम कबूल कराया गया। बड़े से शामियाने में सभी परिवारों को एकत्र किया गया। इनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे। मंच पर पीर मुख्तयार जान सरहदी, पीर सज्जाद जान सरहदी और पीर साकिब जान सरहदी ने कलमा पढ़ा जिसे सभी हिंदुओं को दोहराने को कहा गया। इन लोगों ने पर्दे में बैठी महिलाओं व बच्चों के भी नाम लेकर उन्हें इस्लाम कबूल करने काे कहा। सभी हिंदू कलमा दोहराते रहे। फिर वहां मौजूद लोगों ने उन्हें नए मुस्लिम बनने की मुबारकबाद दी।

मुशर्रफ की पार्टी का अभियान 

धर्म परिवर्तन का आयोजन पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ की पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के पदाधिकारियों ने किया था। पार्टी के हैदराबाद डिविजन के उपाध्यक्ष जाहिद खान देसवाली, डिप्टी इंफार्मेशन सेक्रेटरी इकबाल आबिदी, नोमान मरी, आना हुसैन जाफरी व शहजाद अहमद अब्बासी ने तंडो गुलामअली, तंडो अलायार कस्बों से हिंदुओं पर दबाव बना कर इस्लाम कबूल कराया है।

भारत सरकार का ढीलापन 

अंतर्कथा यह है कि यह सब तब हो रहा है देश में भी और राजस्थान में भी हिंदुत्व की वकालत करने वाली सरकार है। इस धर्मपरिवर्तन और हिन्दुओ पर अत्याचार की कहानी कोई नयी नहीं है लेकिन ताज्जुब इस बात पर हो रहा है कि हिदुत्व की रक्षा का ढिंढोरा पीटने वाली हमारी सरकारें क्या कर रही हैं। यह हकीकत है कि राजस्थान में पिछले तीन सालों में 1379 हिंदू विस्थापितों को पाकिस्तान लौटना पड़ा। इनमें से 964 को तो इंटेलिजेंस एजेंसी ने ही डिपोर्ट कर दिया था। ऐसे लोगों का पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन हो रहा था। स्थानीय मीडिया ने 23 मार्च को 'राजस्थान से डिपोर्ट हिंदू विस्थापित इस्लाम कबूल करने को मजबूर, सिंध में 500 लोगों का होगा जबरन धर्म परिवर्तन’ शीर्षक से में खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद कई मीडिया ग्रुप ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 24 मार्च को जोधपुर दौरे पर आईं तब उन्होंने विस्थापितों के लिए काम करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदूसिंह सोढ़ा से बात की। मुख्यमंत्री ने उसी वक्त गृह सचिव दीपक उप्रेती को फोन लगाकर सोमवार की मीटिंग तय की। मंत्री राजेंद्र राठौड़ और सीएम के मुख्य सचिव तन्मय कुमार को मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए थे। सोमवार को जयपुर में मंत्री की मौजूदगी में यह बैठक हुई जिसमें अप्रैल में अभियान चला कर विस्थापितों की समस्याएं हल करने की रूपरेखा बनाई गई।

25,000 विस्थापित

राजस्थान में लॉन्ग टर्म वीजा के लिए 15000 विस्थापित दिल्ली और संबंधित जिलों के एसपी ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं। राजस्थान में 5000 विस्थापित ऐसे हैं जिनका धार्मिक वीजा हरिद्वार, द्वारका जैसी जगहों का होता है। उन्हें जोधपुर संभाग में रहने की इजाजत दिए जाने का इंतजार है। राजस्थान में बड़े स्तर पर 2005 में नागरिकता दी गई थी, उसके बाद से 5000 विस्थापित नागरिकता के इंतजार में है। 

संजय तिवारी
राष्ट्रीय अध्यक्ष - भारत संस्कृति न्यास, नयी दिल्ली
वरिष्ठ पत्रकार   


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