क्या अवैध सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग होकर मृत्यु के द्वारा तक पीढित के पहुंचने तक कार्यवाही नहीं करेगी शिवपुरी पुलिस ?

कुछ माह पूर्व तक अवैध सूदखोरों पर कार्यवाही को लेकर जनता में अपनी छवि को सुधारने में कामयाब हुई शिवपुरी पुलिस के अपने ही मातहतों के द्वारा शिवपुरी शहर में एक अभियान बन चुके अवैध सूदखोरी यानि “डंडाबैंक मुक्त शिवपुरी” को पतीला लगाना प्रारंभ हो गया है जिसके चलत अब शिवपुरी शहर में पुलिस के कुछ कर्मचारियों पर अवैध सूदखोरों को संरक्षण प्रदान करने के आरोप लगना तेजी से प्रारंभ हो गए है | 

ऐसा ही एक प्रकरण आज शहर की सबसे व्यस्ततम गली टेकरी पर घटित हुआ जिसमे एक साड़ी की दुकान पर कार्य करने वाले 18 वर्षीय युवक राजा ओझा ने अपनी पीढ़ा व्यक्त करते हुए बताया कि उसने अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु टेकरी निवासी संजीव राठौर नामक युवक से 6 माह पूर्व 7 हजार रुपये ब्याज पर लिए थे जिसके एवज में राजा क द्वारा एक माह में ही संजीव को 15 हजार रुपये लौटा कर अपना हिसाब चुकता कर लिया गया था | जिसके बाद अभी लगभग 15 दिन पहले ही संजीव के द्वारा राजा पर दवाब बना कर 2500 रुपये बसूल लिए एवं अभी 4-5 दिन पूर्व संजीव के द्वारा पुनः 2500 रुपये की मांग की गयी जिसे न देने पर उसे धमकी दी गयी कि यदि जल्द ही राजा के द्वारा संजीव को 2500 रुपये नहीं दिए गए तो जिले में लगी धारा 144 हटने के पश्चात राजा के साथ कुछ गलत घटित किया जाएगा | राजा ने अपनी पीढ़ा व्यक्त करते हुए यह भी बताया कि पिछले 6 माह से संजीव के द्वारा उसे कार्य नहीं करने दिया जा रहा है जिसके द्वारा वह अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण करता है | अभी कुछ ही दिन पूर्व राजा ने एक साड़ी की दुकान पर कार्य करना प्रारंभ किया था जिस पर आज शाम संजीव ने पहुँच कर किसी अज्ञात लड़के को दुकान पर भेज कर राजा को बुलाया और उसके साथ मारपीट कर डाली एवं धमकी देकर गया कि जल्द ही उसे और रुपये नहीं दिए गए तो उसके साथ और भी बुरा हो सकता है | 

पिटने के बाद राजा ने सूचना अपने परिजनों को दी और राजा अपने माता-पिता के साथ कोतवाली पहुंचा जहाँ शुरुवात में पुलिस के द्वारा उसकी रिपोर्ट लिखने में आनाकानी की, परन्तु वहां उपस्थित कुछ लोगों ने जब पुलिस को कार्यवाही करने को कहा तो पहले आवेदन देकर मामले की जांच करने की बात पुलिस कर्मचारी राजकुमार तोमर के द्वारा कही गयी जिसके उपरांत मामले की जानकारी थाना प्रभारी सुनील मिश्रा की फोन पर क्रांतिदूत के पत्रकार के द्वारा दी गयी तब उन्होंने तोमर को कार्यवाही करने को कहा | यहाँ भी तोमर ने थाना प्रभारी का आदेश पाने के बावजूद मामले में अवैध सूदखोरी की धाराओं को न लगाते हुए मात्र सामान्य सी मारपीट की घटना का जिक्र रिपोर्ट में किया | जिस पर राजा के परिजनों ने तोमर से अनुरोध किया कि कृपया घटना की सम्पूर्ण जानकारी का उल्लेख प्राथमिकी में किया जाए तो पुलिस कर्मचारी तोमर के द्वारा राजा के परिजनों से अभद्रता करते हुए कहा कि तुम्हारे बेटे पिटाई ही तो लगायी है कोई बड़ी घटना तो नहीं घटी है यदि रिपोर्ट लिखनी है तो लिखाओ वर्ना थाने से रफा दफा हो जाओ | फरियादी क प्रति तोमर के ऐसे व्यवहार को देखकर क्रांतिदूत के प्रतिनिधि ने जब तोमर से यह प्रश्न किया कि क्या पुलिस नागरिकों के साथ किसी बड़ी घटना घटित होने तक का इन्तजार कर रही है तब तोमर ने क्रांतिदूत के प्रतिनिधि से भी अभद्रता करते हुए कहा कि आप ज्यादा वकील न बनें और आप भी यहाँ से चुपचाप चले जाएँ | जिसके बाद क्रांतिदूत के संपादक दिवाकर शर्मा ने तोमर से कहा कि क्या आपका यह व्यवहार एक पत्रकार के साथ सही है ? क्या यदि राजा के साथ कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो क्या आप उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार है ? तब तोमर निरुत्तर होकर बगले झाँकने लगे | पुलिस के इस रूखे व्यवहार को देखकर पीढित राजा के परिजन भी मायूस होकर बिना प्राथमिकी दर्ज कराये अपने बेटे को वहां से लेकर निकल जाने को मजबूर हो गए | पर जाते जाते उनकी आँखों में एक भय साफ़ दिखाई दे रहा था जो कुछ देर पहले कोतवाली पहुँचने पर एक बड़ी उम्मीद की माफिक दिख रहा था | यह विश्वास था न्याय के मंदिर में गुहार लगाने पहुंचे एक पीढित को न्याय की उम्मीद का परन्तु वहां मिली जिल्लत से उनका वह विश्वास न सिर्फ टूटा नजर आ रहा था बल्कि उनकी आँखों में खौफ के साथ एक बड़ा प्रश्न था कि क्या यही है वह पुलिस के सूरमा जो शिवपुरी को डंडाबैंक मुक्त कराने का दावा करते है ? 

अब जब इस घटना का पता कल शहर की उस जनता को चलेगा जो यह मान बैठी है कि अतिशीघ्र ही शहर को डंडाबैंक मुक्त किया जाना है उसके दिल पर क्या गुजरेगी ? क्या कहीं शिवपुरी पुलिस के कुछ कर्मचारी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की शपथ को भूल तो नहीं गए है ? सवाल बहुत से मन में उठ रहे है जिनके उत्तर अब जानने बेहद आवश्यक है | शीघ्र ही ऐसे ही सवालों के उत्तर अब क्रांतिदूत के माध्यम से सार्वजनिक करने का क्रम प्रारंभ होगा, क्यूंकि अभी हम अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूले है |
जय हिन्द, जय भारत, वन्दे मातरम

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