श्री तोगड़िया का स्थान लेने वाले विश्व हिन्दू परिषद के नए कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार की प्रतिभा को दर्शाता उनका प्रथम साक्षात्कार |



विश्व हिन्दू परिषद के इतिहास में पहली बार उसके पदाधिकारी मतदान के माध्यम से चुने गए, तो स्वाभाविक ही पूरे देश में चर्चा होनी ही थी | 

अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री प्रवीण भाई तोगडिया जो कि अभी तक विहिप के सर्वाधिक मुखर और आक्रामक चेहरा रहे थे, वे चुनाव से पहले कह रहे थे - "मुझे जिम्मेदारी मिले न मिले, क्या फर्क पड़ता है ? मैं तो कैंसर सर्जन हूं, फिर से लोगों का उपचार करना प्रारम्भ कर दूंगा” | लेकिन चुनाव के बाद उनके स्वर बदल गए और उन्होंने विद्रोह के स्वर मुखरित करते हुए अहमदाबाद जाकर अनिश्चितकालीन उपवास करने की घोषणा कर दी | 

ऐसे में विहिप से जुड़े असंख्य हिन्दूनिष्ठों का मन खिन्न होना स्वाभाविक है | कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर अब तक अचर्चित रहे ये आलोक कुमार कौन हैं, जिन्होंने अब तोगडिया जी का स्थान लिया है | संघ व संघ से जुड़े अन्य विविध संगठनों में लो प्रोफाईल रहकर काम करना आदर्श कार्यकर्ता की पहचान रहती है | जिसे संगठन का चेहरा बनाया जाता है, केवल वही मुखर होता है तथा जनसामान्य भी उसे ही जानता मानता है | यही कारण है कि आलोक कुमार जी का नाम अभी तक ज्यादा जन चर्चा में नहीं आया | 

जबकि वास्तविकता यह है कि वे वर्ष 1973 - 74 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं तथा एक जमीनी कार्यकर्ता के रूप में उनकी पहचान है | 1993 से 1995 के बीच वे दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे हैं | भारत प्रकाशन के एमडी हैं और इसी नाते पांचजन्य और आर्गेनाइजर में अक्सर उनके लेख प्रकाशित होते रहे हैं | वे बीजेपी प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भी रह चुके हैं | क्रांतिदूत ने भी उनके अंग्रेजी आलेखों का अनुवाद प्रकाशित किया है, जिनसे उनकी उद्भट बौद्धिक क्षमता का पता चलता है – 


इतना ही नहीं तो श्री आलोक कुमार की विशेष पहचान “दधीचि देहदान समिति” के संरक्षक के रूप में भी है | वे इसके संस्थापक सदस्य भी हैं और इस संस्था की प्रेरणा से अब तक मृत्यु के बाद 200 लोग देह दान कर चुके हैं | श्री आलोक कुमार के माता-पिता ने भी अपना देह दान किया था | 

वर्तमान में श्री आलोक कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत सह संघ चालक का दायित्व निभा रहे थे | जहाँ श्री तोगड़िया के तेवर बहुत आक्रामक रहे थे, श्री आलोक कुमार मृदुभाषी हैं |

4 सितंबर 1952 को उत्तर प्रदेश में बदायूं जिले के बिसौली गांव में जन्मे श्री आलोक कुमार दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं तथा एक वकील के रूप में वे लम्बे समय से विश्व हिंदू परिषद सहित अनेक हिंदूवादी संगठनों के केस लड़ते रहे हैं | 

न्यूज़ 18 ने श्री आलोक कुमार से लिया साक्षात्कार प्रकाशित किया है, जिसमें उन्होंने जिस बेबाकी से सभी शंकाओं का समाधान किया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि विश्वहिन्दू परिषद आने वाले दिनों में उत्तरोत्तर प्रगति ही करने जा रही है – 

सवाल: क्या प्रवीण तोगड़िया के जाने और उनके उपवास सत्याग्रह से विश्व हिंदू परिषद पर कोई असर पड़ेगा?

आलोक कुमार: मुझे नहीं लगता कि कोई असर पड़ेगा. मुझे लगता है कि चुनाव परिणाम के बाद तोगड़िया जी थोड़ा गुस्से में हैं. इसलिए वह यह सब कर रहे हैं. इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा.

सवाल: क्या उन्हें मनाने की कोशिश हो रही है?

आलोक कुमार: कई बार जब गुस्सा ठंडा हो जाता है तब मनाना अच्छा रहता है. वह हमारे पुराने साथी हैं. पर मैं स्पष्ट कर दूं अभी तो हम मनाने जैसी कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं. 

सवाल: तोगड़िया ने कहा है कि मंदिर के नाम पर सत्ता में आने वाले लोग अब दबाव डाल रहे हैं कि मैं मंदिर के लिए संसद में कानून पास करने की मांग छोड़ दूं. क्या विहिप से तोगड़िया की विदाई के बाद राम मंदिर को लेकर संगठन की सोच और अप्रोच में कोई बदलाव आएगा?

आलोक कुमार: राम मंदिर बनेगा, हर हाल में बनेगा. इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद की सोच और अप्रोच में कोई बदलाव नहीं आ सकता. इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस शुरू हो गई है. हमारे वकील हमको कहते हैं कि हमारा कानूनी पक्ष बहुत मजबूत है, इसलिए हम फैसले की प्रतीक्षा करेंगे. यदि हमारे पक्ष में फैसला नहीं आता है तो हम भारत की संपूर्ण जनता से अपील करेंगे कि वह अपने सांसदों से कहे कि संसद में कानून पास करके राम मंदिर बनवाओ. हम कानून पास कराने के पक्ष में हैं.

सवाल: विश्व हिंदू परिषद दलितों को लेकर अचानक कैसे प्रेम जाग उठा. खास तौर पर डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर. चुनाव वाले दिन आप लोगों ने सबसे पहले आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी. जबकि डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था.

आलोक कुमार: विश्व हिंदू परिषद भारत में जन्म लेने वाले सभी धर्मों का संगठन है. बौद्ध पंथ भी भारत का उतना ही है जितना वैदिक धर्म. इसलिए बाबा साहेब ने कुछ ऐसा काम नहीं किया जो देश को नुकसान पहुंचाता हो. उन्होंने जो जातियों को नष्ट करने की बात कही थी, वह आज भी प्रासंगिक है. उन्होंने कहा था कि केवल वोट की समता नहीं होनी चाहिए. शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक समता भी होनी चाहिए. हम इन सब कामों को श्रद्ध से आगे बढ़ा रहे हैं. इसलिए हम वही कर रहे हैं जो बाबा साहेब ने कहा था.

सवाल: तो फिर सहारनपुर और कासगंज का क्या है जहां दलितों के साथ अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं. घोड़ी और बैंड के साथ बारात तक नहीं निकालने दी जा रही है.

आलोक कुमार: हम समाज के सभी वर्गों से लगातार बात कर रहे हैं. दो तरीके हैं. एक कानून का स्ट्रांग पहलू है. दूसरा यह कि समाज में भी है जागृति आए कि जातीय विद्वेष और छोटा बड़ा नहीं होना चाहिए. इसलिए हम लोग समाज के सभी वर्गों से लगातार बातचीत करके उन्हें जागरूक कर रहे हैं. अभी मेरे पास कासगंज की डिटेल नहीं है, इसलिए किसी एक घटना पर कमेंट तो नहीं करूंगा. लेकिन ऐसे मामलों में विहिप सरकार से बातचीत करेगी. जो लोग रोक रहे हैं उनसे भी बातचीत करेंगे कि वे क्यों रोक रहे हैं.

सवाल: दलित संगठनों का आरोप है कि RSS और उससे जुड़े संगठन आरक्षण खत्म करना चाहते हैं. आपका क्या मानना है?

आलोक कुमार: विश्व हिंदू परिषद का स्पष्ट मत है कि सामाजिक विषमता मिटाने के लिए अभी आरक्षण की आवश्यकता है. 

सवाल: दलितों को लेकर आप लोगों का प्रेम 2019 के लिए तो नहीं है?

आलोक कुमार: हम इस काम को पहली बार नहीं कर रहे हैं. समरसता का काम हमने आज शुरू किया होता तो आरोप लग सकता था. उडुपी की कॉन्फ्रेंस में श्री गुरुजी की उपस्थिति में देश के सभी धर्माचार्यों ने कहा था कि अस्पृश्यता हिंदुत्व के खिलाफ है तब तो कोई चुनाव नहीं था. तब से हम इस काम को लगातार करते रहें हैं. अभी साल भर पहले सर संघचालक उज्जैन गए थे, वहां पर उमेश नाथ जी हैं, बहुत बड़े संत हैं, वह वाल्मीकि हैं. उनके आश्रम में गए थे. चुनाव तो आते रहेंगे चुनाव जाते रहेंगे.

सवाल: विश्व हिंदू परिषद में आप नया क्या करने वाले हैं.

आलोक कुमार: ईमानदारी से कहूंगा कि मुझे नया करने की कोई जरूरत नहीं. हमारी पहली प्राथमिकता समरसता के लिए व्यावहारिक काम करने की है. आर्थिक बराबरी, सामाजिक बराबरी और शैक्षणिक बराबरी का काम करना है. जहां निर्णय लिए जाते हैं उन संस्थाओं में वंचितों की भागीदारी के लिए काम करना है.

सवाल: हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में 11 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने असीमानंद समेत 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. क्या कहना है आपका?

आलोक कुमार: हमें बहुत संतोष है कि असीमानंद और उनके साथियों को न्याय मिला है. कांग्रेस सरकार के राज में हिंदुत्व आंदोलन को बदनाम करने के लिए जो 'भगवा आतंकवाद' शब्द इजाद किया गया था वह झूठ साबित हुआ. भगवा आतंकवाद जैसी कोई चीज थी ही नही. कांग्रेस राज में वोट बैंक के लिए यह सब गढ़ा गया था. असीमानंद और बाकी हिंदू शक्तियों को फसाने के लिए जो ध्यान लगाया गया, उससे वास्तविक अपराधी बचके छूट गए. इससे अगर किसी को फायदा हुआ और मदद मिली तो वह पाकिस्तान को मिली. भारत में तो इससे कोई खुश नहीं था. आज न्याय मिला है.
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