जल समस्या को लेकर शिवपुरी की सड़कों पर उतरा जन सैलाब

आज शिवपुरी की सडकों पर जल समस्या को लेकर पब्लिक पार्लियामेंट के बेनर तले एक स्वतःस्फूर्त रैली निकली | ख़ास बात यह थी कि शिवपुरी की राजनैतिक जमात का कोई भी नामचीन व्यक्ति इस रैली में नहीं था | फिर भी एकदम अनुशासित, कतार बद्ध सैकड़ों युवा, जिनका जोश बता रहा था कि जब समाज जागता है, तो अपना नेतृत्व खुद निर्माण कर लेता है | कुछ हाथों में नारे लिखी तख्तियां तो कुछ के हाथों में पानी की खाली कट्टीयां, जिन्हें छोटे छोटे डंडों से पीटकर ढोल का रूप दे दिया गया था, और उस अनगढ़ थाप पर नारों के साथ जोश से थिरकते कदम | जो नारे लग रहे थे उन्हें अगर स्थानीय शुतुरमुर्ग राजनेता सुन पाते तो समझते कि फिजा में कितनी जबरदस्त आंधी चल रही है, जो उनके बजूद को उड़ा कर ले जा सकती है |

“पानी नहीं तो वोट नहीं, अबकी नोटा पर चोट सही” | यह शुरूआती नारा धीमे हुआ, तो नया नारा शुरू हुआ – “गली गली में शोर है, नगर पालिका चोर है” फिर गूंजा “राम नाम सत्य है, भ्रष्ट प्रशासन मस्त है” | चूंकि आयोजन पूर्णतः गैर राजनैतिक था, अतः किसी भी दल के विरोध में नारे तो नहीं लगे, लेकिन कानाफूसी में दोनों ही दलों की गंभीर आलोचना हो रही थी | लगता है शिवपुरी वासियों का एक बड़ा वर्ग, मतदान न करने का अघोषित मानस बना रहा है | जो जन चर्चा शिवपुरी की फिजा में तैर रही है, उसका लब्बो लुआब इस प्रकार है –

 2009 में यशोधरा जी के ग्वालियर सांसद बन जाने के बाद रिक्त हुई शिवपुरी विधान सभा सीट पर उनकी अनिच्छा के बाबजूद भाजपा ने एक पूर्व कांग्रेस विधायक गणेश गौतम को प्रत्यासी बनाया | स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अथक प्रयास और नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा और अनूप मिश्रा के चुनावी व्यूह रचना के बाद भी गणेश गौतम चुनाव में पराजित हुए | तब से आज तक मुख्यमंत्री महोदय किसी कार्यक्रम में शिवपुरी नहीं पधारे | जनता का एक धडा मानता है कि मुख्यमंत्री के मन में शिवपुरी को लेकर तल्खी है और इसी कारण वे शिवपुरी वालों से बदला ले रहे हैं | किन्तु बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जिनका मानना है कि चूंकि शिवपुरी नगर से ज्योतिरादित्य सिंधिया विगत लोकसभा चुनाव में पराजित हुए थे अतः वे शिवपुरी वालों से नाराज हैं और उन्हें दण्डित कर रहे हैं | शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह उन्हीं का प्रियपात्र है और सीवर लाईन प्रोजेक्ट में एक साथ पूरे शहर को खोदकर शिवपुरी को नरकपुरी इसी मानसिकता के चलते बनाया गया | रही सही कसर इस बात से पूरी हो गई, जब स्वयं ज्योतिरादित्य जी ने अपने नगरपालिका अध्यक्ष को क्लीन चिट देते हुए सारी अनियमितता और लेटलतीफी के लिए मध्यप्रदेश सरकार और अपनी बुआ यशोधरा जी को दोषी ठहरा दिया | एक वर्ग का मानना है कि जो शिवपुरी की नजर में खल नायक बन चुका है, उसका पक्ष लेकर सिंधिया जी स्वयं को ही संदिग्ध बना रहे हैं | और वास्तव में सारी अनियमितताएं उनके ही इशारे पर हुई हैं | वरना क्या कारण है कि सिंध जल आपूर्ति योजना की क्रियान्वयन एजेंसी दोशियाँ कम्पनी कि खिलाफ तो कार्यवाही की बात की जा रही है, किन्तु उन अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों की बात ही नहीं की जा रही, जिन्होंने दोशियाँ कम्पनी से उसकी मन माफिक शर्तों पर एग्रीमेंट किया | 

आज जब पब्लिक पार्लियामेंट की रैली कलेक्टर को ज्ञापन देने गई तो कलेक्टर महोदय ने भी यही दोहराया कि दोशियाँ कम्पनी को एक माह का टर्मिनेशन नोटिस दिया जा रहा है, अगर वह तब तक पेय जल आपूर्ति नहीं कर पाए तो उन्हें हटा कर नगर पालिका स्वयं कार्य निष्पादित करेगी | यह सुनते ही उपस्थित जन समुदाय आक्रोशित हो गया और नगर पालिका के खिलाफ नारे गूंजने लगे | कलेक्टर ने बात संभाली और कहा नए सिरे से टेंडर कॉल किये जायेंगे | कलेक्टर ने भी दोषी अधिकारियों और नगरपालिका के जन प्रतिनिधियों पर कार्यवाही हेतु कोई आश्वासन नहीं दिया | जबकि पब्लिक पार्लियामेंट की मुख्य मांग यही है कि जनधन के गंभीर दुरुपयोग के दोषी उक्त लोगों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमे चलाकर दण्डित किया जाए | क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय भी पूर्व में इस प्रकार के निर्देश दे चुका है | अब देखना है कि अगले एक माह में क्या क्या गुल खिलते हैं ? 

पब्लिक पार्लियामेंट का धरना विगत सत्रह दिन से चल रहा है | इस भीषण गर्मी में भी प्रतिदिन जत्थे चौबीस घंटे की भूख हड़ताल पर बैठते हैं | किन्तु आज दिनांक तक किसी राजनैतिक दल का कोई प्रमुख व्यक्ति इन लोगों से जाकर नहीं मिला | स्थानीय विधायक यशोधरा जी कई बार तो प्रभारी मंत्री भी दो बार आकर जा चुके हैं | कांग्रेस के रहनुमा तो महाराज ठहरे, उन्हें कहाँ फुर्सत रखी है, इन छोटे मोटे मामलों पर ध्यान देने की | इन बड़े लोगों की तो बात छोडिये, दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों के स्थानीय जिलाध्यक्ष भी धरना स्थल पर पहुँचने की जहमत नहीं उठा पाए | जनसमस्याओं को लेकर किये जा रहे एक गैर राजनीतिक आन्दोलन के प्रति राजनीतिक दलों का यह रवैय्या सचमुच संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है | आन्दोलन तो अभी जारी रहने ही वाला है, शिवपुरी बंद और नगरपालिका का पुतला दहन भी आन्दोलन का अगला चरण बनने वाला है | अभी तक आन्दोलन अहिंसक और अनुशासित रहा है, किन्तु जब व्यापक जन समर्थन होता है, तो असामाजिक तत्व भी आन्दोलन में प्रविष्ट हो जाते हैं | कल क्या होगा कौन जानता है ? शिवपुरी 2 मई को भी शांत रहा था, अब तक शांत है, किन्तु समस्याओं की विकरालता के कारण कुछ सिरफिरे शांत फिजा को अशांत भी बना सकते हैं | सावधान नेताओ और प्रशासनिक अधिकारियों |

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