अपनी भाषा, बोली और अपने शब्दों का उपयोग न करने या उन्हें प्रचलन में न रखने पर वे मृत हो जाते हैं. ‘भाषा किसी भी व्यक्ति एवं समाज की पहचा...
क्या हम हर घर, हर परिवार में ऐसा एक प्रयोग कर सकते हैं कि सप्ताह में कम से कम एक दिन सभी लोग आपस में आधा घंटा अंग्रेजी के एक भी शब्द का प्रयोग किए बिना केवल अपनी मातृभाषा में बात करें? यदि मातृभाषा का शब्द याद नहीं है तो किसी अन्य भारतीय भाषा का समानार्थी शब्द चलेगा, पर अंग्रेजी नहीं. क्या यह संभव है? मोबाइल या इंटरनेट जैसे शब्द आधुनिक हैं, इन्हें इसी रूप में प्रयोग करने में आपत्ति नहीं हो सकती. पर ‘हिलकोरे’ तो अंग्रेजों के भारत में आने के पहले से पड़ते थे. भोजन तो पहले से ही स्वादिष्ट होता था. वह ‘टेस्टी’ क्यों हो रहा है, ‘डिम्पल’ कब से पड़ने लगे, विचार करना चाहिए.

मध्यप्रदेश समाचार
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