केरल चर्च का ब्लैकमेल काण्ड - कन्फेशन करने वाली गृहिणी को पादरियों ने बनाया शिकार !



कैथोलिक संस्कार का एक अहम हिस्सा है – कन्फेशन, जिसमें पुरुष और महिलाएं बपतिस्मा के बाद किए गए अपने पापों को स्वीकार करते हैं और उसके बाद ईश्वर का प्रतिनिधि पादरी उन्हें ईश्वर के नाम पर पाप मुक्त कर देता है । गंभीर पापों के लिए साल में कम से कम एक बार कैथोलिक अनुष्ठान आयोजित होता है, जिसमें आमतौर पर एक कन्फेसनल बॉक्स या बूथ में अकेले घुटने के बल बैठकर महिला या पुरुष अपने पापों का उल्लेख करते हुए ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करते हैं | इस संस्कार को पेनेंस, रिकन्सीलेशन या कन्फेशन आदि कई नामों से जाना जाता है । 

कैथोलिक अनुयाईयों के लिए इस संस्कार का उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना और स्वयं को पाप मुक्त होकर ईश्वर की कृपा प्राप्त करना होता है। अपराधी अपने द्वारा किये गए ऐसे कार्यों के लिए दुःख व्यक्त करता है, जिनसे ईश्वर नाराज हो सकता है और पादरी को चर्च द्वारा यह अधिकार दिया गया है कि वह उन पापों से उस व्यक्ति को बाईबिल के निर्देशों के अनुसार मुक्त होने का तरीका बताये । 

कैथोलिक चर्च अपने अनुयाईयों को सीख देता है कि कबूलनामे के लिए तीन "कृत्यों" की आवश्यकता होती है: पापों पर ह्रदय से दुःख व्यक्त करना, अपने पापों का प्रकटीकरण ('कबुल करना'), और 'तपस्या', यानी पापों से मुक्त होने के लिए कुछ करना। कन्फेशन के इस तरीके में सदियों से कोई बदलाव नहीं हुआ है । यह अलग बात है कि जिन्हें चर्च ईश्वर का प्रतिनिधि घोषित करता है, वे कितने उसके योग्य हैं ? 

इसका सबसे बड़ा प्रमाण मिला है केरल के मलंकर आर्थोडोक्स सीरियन चर्च में, जहाँ एक नहीं बल्कि आठ ईसाई पादरीयों पर आरोप लगा है कि उन्होंने कन्फेशन के आधार पर एक गृहिणी को ब्लैकमेल कर उसका यौन शोषण किया । यह हैरतअंगेज समाचार आजकल सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हो गया है, भले ही प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया में चुप्पी है | महिला के पति और एक अन्य के बीच की चर्चा कि वाईस क्लिप के बाद यह मामला सार्वजनिक हुआ और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। 

चर्च को लिखे एक पत्र में, कोट्टयम जिले के तिरुवल्ला के इस व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी के कन्फेशन को पादरियों ने ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल किया । रिपोर्टों के अनुसार, चर्च ने आरोपों के बाद पांच पुजारियों को छुट्टी पर भेज दिया है । 

घटना कुछ इस प्रकार से है कि एक प्रीस्ट ने शादी से पहले उसके साथ छेड़छाड़ की थी। बाद में, विवाह के बाद, जब उसने इसे एक अन्य प्रीस्ट के सम्मुख इसे स्वीकार किया, तो उसने उस महिला को ब्लैकमेल किया। उसने महिला को धमकी दी कि वह उसके पति को सबकुछ बता देगा। वायरल हुई ऑडियो क्लिप में पीड़ित पति का कहना है, कि प्रीस्ट ने ब्लैकमेल कर उसकी पत्नी के साथ न केवल यौन संबंध बनाए, बल्कि उसके फोटो भी खींच लिए | उन तस्वीरों का उपयोग कर महिला के साथ बार बार दुराचार किया गया | मन भर जाने के बाद उस प्रीस्ट ने महिला को दूसरे प्रीस्ट को सोंप दिया । 

महिला के पति का यह भी कहना है कि उसके ऊपर शिकायत वापस लेने के लिए चर्च के भीतर की बड़ी हस्तियां दबाव बना रही है। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, चर्च की कार्यकारी समिति के सदस्य और ट्रस्टी फादर एम ओ जॉन ने कहा है कि पांच पादरियों पर लगे आरोप की जाँच के लिए एक जांच पैनल बनाया गया है, जिसमें चार सदस्य कोट्टायम के मुख्य चर्च से हैं तो एक पादरी दिल्ली के है। 

प्रारंभ में तो स्थानीय मलयालम मीडिया ने इस बड़े सेक्स स्कैंडल को पूरी तरह दबा ही दिया था, किन्तु सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का हो गया । यद्यपि शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में आठ लोगों का उल्लेख किया, किन्तु चर्च ने केवल पांच प्रीस्ट के खिलाफ ही कार्रवाई की । किन्तु सबसे हैरत अंगेज तथ्य यह है कि इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद, अब तक इस मुद्दे पर कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं किया गया है।
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