गृह मंत्रालय के पूर्व सचिव आरवीएस मणि ने उजागर किया कांग्रेस का अनैतिक चेहरा ! महाराष्ट्र को बनाया गया था “हिंदू आतंक की फर्जी कहानी” गढ़ने की प्रयोगशाला !


मुंबई। गृह मंत्रालय के पूर्व सचिव, आरवीएस मणि ने नौकरशाही में काम करने के तरीके पर सवाल उठाकर देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है | आरवीएस मणि ने सनसनीखेज दावा किया कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को फंसाने की साजिश महाराष्ट्र में रची गई थी | साथ ही 'हिंदू आतंकवाद' शब्द की ईजाद भी महाराष्ट्र में ही हुई थी । 

मणि ने अपनी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक “हिंदू टेरर - इनसाइडर अकाउंट ऑफ मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स” के मराठी संस्करण ‘हिंदू दहशतवाद नावाचे थोतांड‘ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, यह बात कही । यह कार्यक्रम 19 दिसंबर को मुम्बई आतंकी हमले के दस वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर ताज होटल में आयोजित हुआ | पुस्तक का लोकार्पण आरवीएस मणि के साथ रिटायर्ड जनरल डी.बी. शेखतकर ने किया | प्रख्यात पत्रकार व लेखक श्री अरुण कर्मारकर ने पुस्तक का अनुवाद किया है। 

कर्मारकर ने पुस्तक का अनुवाद कर मराठी पाठकों को सुलभ कराने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि इस सनसनीखेज पुस्तक में भारत के खिलाफ रचे जा रहे खतरनाक षडयंत्रों पर से पर्दा उठाया गया है, जिसकी ओर मुख्यधारा की मीडिया द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा । 

कर्मारकर ने आगे कहा कि हिंदू आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति कतिपय कांग्रेसी नेताओं और स्वार्थी प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगाँठ से हुई । पुस्तक में यह रहस्योद्घाटन किया गया है, कि किस प्रकार कांग्रेस द्वारा अपने स्वयं के लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने का पाप किया गया है । 

किन्तु समूचे कार्यक्रम के दौरान आकर्षण का प्रमुख केंद्र आरवीएस मणि का भाषण था, जिसमें उन्होंने भारत की सुरक्षा एजेंसियों की अंदरूनी कार्यपद्धति को उजागर किया | उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके अपहरण की साजिश रची गई, और सस्ते राजनीतिक अंक हासिल करने के लिए, विभिन्न कुख्यात झूठी कहानियों को सच साबित करने के लिए विवश करने हेतु उन्हें जलती सिगरेट से जलाया गया । 

मणि ने तत्कालीन संप्रग सरकार के काले इतिहास के पन्नों को उजागर करते हुए कहा कि उन्हें गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और इशरत जहां मामले में गृह मंत्री अमित शाह को फ्रेम करने के लिए मजबूर किया गया, हलफनामा बदलने के लिए सिगरेट से दागा गया | इतना ही नहीं तो मुंबई हमले के आतंकवादी अजमल कसाब को बचाने के लिए, उनसे सौदेबाजी की कोशिश की गई । आरवीएस मणि ने बताया कि किस तरह से हिंदुओं को अपमानित करने और भगवा आतंकवाद शब्द को स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र को साजिशन एक प्रयोगशाला बनाया गया। उन्होंने आगे कहा कि पुस्तक में देश के वफादार, सच्चे और साहसी सैन्य अधिकारी कर्नल श्रीकांत पुरोहित की शख्सियत का वर्णन है, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे ज्यादा खतरे में डालकर गलत तरीके से फंसाया गया था। 

आरवीएस मणि ने उस अपमानजनक षडयंत्रों का खुलासा किया है, जिसके द्वारा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सुनिश्चित किया कि हिंदू आतंक की फर्जी कहानियाँ सार्वजनिक चर्चा में आये, जबकि वास्तविक आतंकवादियों से संबंधित साक्ष्य दबा दिये जाएँ। 

गृह मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी द्वारा किए गए इस खुलासे से राष्ट्र के सम्मुख वह सनसनीखेज तस्वीर सामने आई है, जिसमें राजनैतिक स्वार्थों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ताक पर रख दिया जाता रहा, जिसके परिणामस्वरूप 26/11 के मुंबई हमले सहित कई अन्य आतंकवादी हमले हुए । मणि ने एक अत्यंत गंभीर आरोप लगाया है कि उस समय उन्हें विशेष रूप से निर्देशित करते हुए कहा गया कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में पीएम मोदी की भूमिका स्थापित करने हेतु " मैडम" प्रतिबद्ध थीं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की नौकरशाही में एक उच्च पदस्थ महिला अधिकारी के बारे में भी बताया, जो 26/11 को होटल ताज पर हुए हमले के समय वहां मौजूद थी, किन्तु महज 6-7 घंटे में ही मुक्त होने में 'सफल' हो गई, जबकि अन्य बंधक एनएसजी ऑपरेशन के बाद लगभग 72 घंटे में मुक्त कराये जा सके । 

समारोह के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त जनरल दत्तात्रेय शेखतकर ने चेतावनी दी कि देश के 9 बड़े राज्य आतंकवाद से ग्रस्त हैं। गुजरात से पश्चिम बंगाल तक आतंकवाद के फैलाव ने देश की भावी पीढ़ी का जीवन भी दांव पर लगा दिया है । 

स्मरणीय है कि जनरल शेखतकर ने ही महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री स्वर्गीय आरआर पाटिल को दुर्भाग्यपूर्ण मुंबई हमले के बारे में पूर्व सूचना दी थी, जिसकी लापरवाही पूर्वक उपेक्षा की गई । पुस्तक “हिंदू दहशतवाद नावाचे थोतांड”, का प्रकाशन परम मित्र प्रकाशन द्वारा किया गया है। 

साभार : वीएसके भारत

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