शिव का विश्व, विश्व के शिव (एक) - संजय तिवारी



ईसा और इस्लाम से पहले भारत के बाहर की दुनिया मे होती थी केवल शिव की पूजा। बात कथा की नही है। हकीकत है। उतनी ही जितनी कि सूर्य, चंद्रमा, धरती, आकाश, वायु और जल की उपस्थिति है। यह जानकारी आपको चौंका सकती है, या इस पर आपको शायद विश्वास न हो लेकिन पूरी प्रमाणिकता के साथ लिख रहा हूँ। अवश्य पढ़िए।

धरती पर सबसे ऊंचा शिवलिंग तुर्की के बाबलिन शहर में आज भी है। इसकी ऊँचाई 1200 फुट है। मक्का में दो शिवलिंग हैं। एक मक्केश्वर महादेव और दूसरा जमजम कूप में। जो जमजम कूप में शिवलिंग है उसकी पूजा खजूर की पत्तियों से होती है।

स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में स्वर्ण आच्छादित विशाल शिवलिंग मौजूद है। ब्राजील में हजारों शिवलिंग हैं। हेद्रपॉलिस नगर में 300 फुट ऊंचा शिवलिंग है। यूरोप के कॅरिथ शहर में शिव पार्वती का विशाल मंदिर है। मैक्सिको, कंबोडिया, जावा, सुमात्रा ,इंडोचायना जैसे देशों में शिवलिंग भारी संख्या में मौजूद है। खास बात यह है कि ईसा और इस्लाम के उद्भव से सैकड़ो साल पूर्व के शिलालेख भी इन शिव लिंगो के साथ मौजूद हैं जो यह भी प्रमाणित कर रहे हैं कि इस्लाम और ईसाइयत से पहले पश्चिम की दुनिया बहुत अच्छे से संस्कृत भाषा को जानती थी और दैनिक कामकाज में इसका उपयोग भी होता था।

इस पूरे विज्ञान को समझने का अब समय आ गया है। इस बार की महाशिवरात्रि से पूर्व लिखे जा रहे इस आलेख के एक एक शब्द की प्रामाणिकता सिद्ध है। इस सृष्टि में यह धरती नौ खंडों में विभाजित है। हालांकि आधुनिक कथित भूगोल महाद्वीपों की संख्या इससे कम बताता है। धरती के नौ खंडों का सीधा नियंत्रण शिव के पास है। शिव के नौ रुद्र इन नौ खंडों के अलग अलग अधिपति हैं । प्रत्येक खंड में 108 शैव क्षेत्र हैं। इसी प्रकार कुल नौ खंडों के लिए अलग से 108 शैव क्षेत्र है। ब्रह्मांड का नियंत्रण 12 राशियों में निहित है। ये 12 राशियां नौ खंडों को भी नियंत्रित करती हैं। तात्पर्य यह कि धरती यानी इस मर्त्यलोक के अधिपति शिव अपने नौ रुद्र रूप एवं 12 राशि रूप के माध्यम से समग्र पृथ्वी को 108 खंडों में और फिर नौ खंडों को अलग अलग 108 खंडों में ज्योति स्तंभ के माध्यम से नियंत्रित करते है।

क्रमशः
(शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक -
शिव का विश्व, विश्व के शिव का अंश )

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