शाहीन बाग सत्ता लोलुपों का भस्मासुर अवतरण - डा. राधेश्याम द्विवेदी

शाहीन बाग एक प्रायोजित प्रयोग

भारत में विगत पांच छः साल से जब से नरेन्द्र मोदी जी सरकार सत्ता में आई है तब से मुस्लिम एकाधिकार समाप्त हो गया है। सत्ता के लोलुप दल सत्ता हथियाने के लिए दिल्ली के शाहीन बाग में प्रायोजित प्रयोग कर रहे हैं। इसके लिए विपक्षी , मुस्लिम तथा साम्यवादी दल पूरे देश का माहौल खराब कर मोदी सरकार को बदनाम करने का कुचक्र रच रहे है। वे संशोधित नागरिकता कानून का बहाना लिए हुए हैं तथा अपने महिलाओं व बच्चों को आगे करके पुलिस कार्यवाही को किये जाने से अवरोध बनाये हुए हैं। यह संविधान प्रजातंत्र तथा आजादी के नाम पर भस्मासुर की भांति समाज के ताने बाने को नष्ट कर रहे हैं। इस कुत्सित स्वरुप को कुचलना ही होगा तभी भारत का कल्याण तथा अंतर्राष्ट्रीय पहचान बन पायेगी। 

भारत की एकता-अखण्डता के लिए खतरा 

शाहीन बाग से नागरिकता कानून और एन आर सी के विरोध के नाम पर जो नंगा नाच चल रहा है वह भारत की एकता और अखण्डता के लिए खतरा ही बनता जा रहा है। प्रधान मंत्री गृह मंत्री के बार बार आश्वासन देने से इन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह कह चुके हैं कि सीलमपुर, जामिया नगर और शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन महज संयोग नहीं हैं बल्कि एक राजनीतिक षड्यंत्र हैं ताकि देश के सौहार्द को नुकसान पहुंचाया जा सके। उन्होंने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर प्रदर्शनों को भड़काने के आरोप लगाए हैं। पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने आरोप लगाया था कि आप और कांग्रेस लोगों को उकसा रहे हैं और उन्हें गलत सूचनाएं दे रहे हैं। शाहीन बाग में प्रदर्शन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि नोएडा से आने-जाने वाले लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली के लोग चुप असहाय और गुस्से से इस वोट बैंक की राजनीति को देख रहे हैं। दिल्ली सरकार कांग्रेस आप पार्टी तथा साम्यवादी दलों का प्रकानान्तर से समर्थन देने तथा उच्च तथा सर्वोच्च न्यायालय के ढुल मुल रवैये के कारण यह भस्मासुर की तरह विकराल समस्या बनता जा रहा है। चूंकि महिलाये बच्चे व औरतों को आगे करके एक षडयंत्र की तरह उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।इनके एक से एक विडियो आये हैं जिसमें छोटे.छोटे बच्चे लड़कियाँ औरतें आदि यह कहती नजर आयी हैं कि हँस कर लिया था पाकिस्तान लड़ कर लेंगे हिन्दुस्तान। शर्जील इमाम खुलेआम कहता पाया गया कि वह भारत को आसाम से अलग कर देगा। ये भारत की सदियों पुरानी गंगा.जमुनी तहजीब को तार तार कर रहे हैं। ये अजगर के बच्चे जैसे हैं। ये आन्दोलन नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी ताकत खींच कर बढ़ा कर यह चेक कर रहे हैं कि क्या ये इतने लम्बे हो गए हैं कि पूरे हिन्दुस्तान के बहुसंख्यकों समूचे निगल जाएगे के नहीं। ये लोग अभी कुछ समय पहले ही इसी तरह अफगानिस्तान पाकिस्तान और बांग्लादेश समूचा निगल चुके हैं। महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मणों से लेकर कश्मीर के पंडितों का हाल भी अभी ताजा ही है। सदियों पहले हिन्दुओं का नरसंहार करने वाले आततायी की तलवार की देखरेख करते हुए केरल में यही लोग कह रहे थे कि हमने अपनी तलवार अभी समन्दर में नहीं फेंकी है। अभी भी उस पर धार लगाई जा रही है। गजवा ए हिन्द् आपके लिए मजाक की बात होगी आप सोचते होंगे कि कट्टर हिन्दुओं की यह चाल है। लेकिन ये लोग इसी सपने को रोजाना दिन में पाँच बार हिल हिल कर रटते हैं। 

प्रदर्शन की आड़ में राजनीति की कोशिश 

दिल्ली में 8 फरवरी को सम्पन्न चुनाव को अपने पक्ष में प्रभावित कर ही लिया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इनके विरुद्ध कोई भी सख्त कानून नहीं अपना सकती है अपितु उन्हें प्रदर्शन व धरना के लिए प्रकारान्तर से समर्थन ही दे रही है। ऐसे में इस प्रदर्शन की आड़ में राजनीति भी खूब हो रही है। कई विपक्षी पार्टियों ने इस प्रदर्शन को प्रायोजित बता दिया है। भाजपा के दिल्ली प्रमुख मनोज तिवारी ने कहा है कि ये प्रदर्शन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है। वह लोग अराजकता फैलाने में भरोसा रखते हैं। प्रदर्शनकारियों का यह भी दावा है कि कई नेता वहां गए, लेकिन किसी को भी इस प्रदर्शन को हाईजैक नहीं करने दिया गया है। यहां कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, किरन वालिया और आसिफ मोहम्मद खान के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के अमानतुल्ला खान भी आ चुके हैं। स्वरा भास्कर और मोहम्मद जीशान अय्यूब जैसे बॉलीवुड स्टार भी यहां आ चुके हैं. 

रोड ब्लॉक आवागमन बाधित 

15 दिसंबर 2019 के जिस दिन से ये प्रदर्शन शुरू हुआ है, उस दिन से ही कालिंदी कुंज ब्रिज और शाहीन बाग के बीच की सड़क को दिल्ली पुलिस ने बंद कर दिया है. ओखला बर्ड सेंचुरी, मेट्रो स्टेशन के राउंड अबाउट पर, कालिंदी कुंज ब्रिज, आम्रपाली रोड, जीडी बिरला मार्ग, विश्वजी सड़क और अपोलो अस्पताल के पास बैरिकेडिंग लगा दी गई है। इसका नतीजा ये हुआ है कि अपोलो अस्पताल से नोएडा, फरीदाबाद से नोएडा और नोएडा से सरिता विहार जाने वालों को डायवर्जन से होकर गुजरना पड़ रहा है। डीएनडी फ्लाईवे, मथुरा रोड, अक्षरधाम रोड आने जाने वालों के लिए वैकल्पिक मार्ग बन गए हैं, जो सुबह-शाम में पीक आवर के दौरान खचाखच भर जाते हैं और जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। फरीदाबाद और नोएडा को जोड़ने वाली बसों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वह शाहीन बाग से होकर नहीं गुजर पा रही हैं। ओखला बर्ड सेंचुरी पर भारी भीड़ देखी जा सकती है, क्योंकि शाही बाग की वजह से बंद रोड से बचने के लिए बहुत से लोग मेट्रो का सहारा ले रहे हैं। बहुत से लोगों ने कहा है कि वह रोज इतनी लंबी दूरी तय कर-कर के और पैसे खर्चते-खर्चते थक चुके हैं। स्कूल की बसे तथा एम्बुलेंसें आदि भी नहीं निकलने पा रही हैं। दिल्ली पुलिस का मानना है कि आश्रम वाली रोड बंद होने से सबसे अधिक दिक्कतें हो रही है, जहां से पीक आवर्स में रोजाना करीब 3.5 लाख गाड़ियां गुजरती हैं। 

जनता कफर्यू के लिए अवरोधक 

एक तरफ देश में प्रधानमंत्री की सलाह के बाद रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की तैयारी हो रही है। वहीं, शाहीन बाग में बैठीं महिलाओं का कहना है कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक धरना नहीं छोड़ेंगी। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही महिलाओं ने कहा कि वे जनता कर्फ्यू का हिस्सा नहीं बनेंगी। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी महिलाओं की संख्या 20 कर दी गई है। शाहीन बाग की दादी के नाम से मशहूर आसमा खातून ने आईएएनएस कहा, हम यहां से तब तक नहीं हिलेंगे, जब तक सीएए का काला कानून वापस नहीं लिया जाता। भले ही मुझे कोरोना वायरस संक्रमण हो जाए। मैं शाहीन बाग में मरना पसंद करूंगी, लेकिन हटूंगी नहीं। शाहीन बाग की दूसरी दादी बिलकिस बानो ने एजंसी से कहा, अगर प्रधानमंत्री को हमारी सेहत की इतनी ही चिंता है तो आज इस काले कानून को रद्द कर दें फिर हम भी रविवार के दिन को जनता कर्फ्यू में शामिल हो जाएंगे। देश दुनिया में कोरोना का कहर लगातार जारी है। भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 400 के पार हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च रविवार के दिन देशवासियों से जनता कर्फ्यू की अपील की है। वहीं शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी धरना रोकने के लिए राजी नहीं हैं। शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 22 मार्च को केवल दबंग दादियां ही मंच के पास बैठेंगी और सभी लोग प्रदर्शनस्थल से दूरी बनाकर रहेंगे। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि 22 मार्च को प्रधानमंत्री द्वारा घोषित जनता कर्फ्यू का समर्थन करेंगे। वहीं प्रदर्शनकारी दादियों का कहना है कि वे शाम 5 बजे पतंग उड़ाकर कोरोना की लड़ाई में शामिल होकर डॉक्टर, पुलिस व अन्य अधिकारियों को धन्यवाद देंगे। वहीं उनका कहना है कि पंतग के ऊपर सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में नारे लिखे जाएंगे। उसके बाद पहले की तरह प्रदर्शनस्थल पर 22 मार्च के रात 9 बजे वापस लौट आएंगे। 

संविधान व न्यायालयों की अवमानना 

21वीं सदी के भारत में नफरत की राजनीति का कोई मतलब नहीं है,केवल विकास की राजनीति मायने रखती है। प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी असंतोष जाहिर किया है। लेकिन ये लोग अदालतों की भी नहीं सुनते। वे उस बात को स्वीकार नहीं करते जो अदालतें कहती हैं और संविधान की बात करते हैं। जिन लोगों ने बटला हाउस मुठभेड़ पर सवाल उठाए थे वे अब टुकड़े टुकड़े नारा लगाने वालों को बचा रहे हैं।

लेखक परिचय -

डा.राधेश्याम द्विवेदी ने अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से बी.ए. और बी.एड. की डिग्री, गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी),एल.एल.बी., सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से शास्त्री, साहित्याचार्य तथा ग्रंथालय विज्ञान की डिग्री तथा विद्यावारिधि की (पी.एच.डी) की डिग्री उपार्जित किया। आगरा विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास से एम.ए.डिग्री तथा’’बस्ती का पुरातत्व’’ विषय पर दूसरी पी.एच.डी.उपार्जित किया। बस्ती ’जयमानव’ साप्ताहिक का संवाददाता, ’ग्रामदूत’ दैनिक व साप्ताहिक में नियमित लेखन, राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, बस्ती से प्रकाशित होने वाले ‘अगौना संदेश’ के तथा ‘नवसृजन’ त्रयमासिक का प्रकाशन व संपादन भी किया। सम्प्रति 2014 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा मण्डल आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद पर कार्यरत हैं। प्रकाशित कृतिः ”इन्डेक्स टू एनुवल रिपोर्ट टू द डायरेक्टर जनरल आफ आकाॅलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया” 1930-36 (1997) पब्लिस्ड बाई डायरेक्टर जनरल, आकालाजिकल सर्वे आफ इण्डिया, नयी दिल्ली । अनेक राष्ट्रीय पोर्टलों में नियमित रिर्पोटिंग कर रहे हैं।

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