जिला चिकित्सालय में गोली से घायलों का नहीं किया जा रहा उपचार

भोंती थानान्तर्गत डबिया गोविन्द गाँव के निवासी वन्वेंद्र सिंह एवं कप्तान पाल जो कि २८ फरवरी को गोलीबारी का शिकार हुए थे उनका उपचार जिला चिकित्सालय में नहीं किया जा रहा है | उनका न तो प्राथमिक उपचार किया जा रहा है न ही शरीर में मौजूद छर्रों तक को २८ फरवरी से अभी तक नहीं निकाला गया है | जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों के द्वारा लापरवाही किस हद तक बरती जा रही है उसका यह एक उदाहरण मात्र है | 

घायलों में से एक वनेंद्र सिंह के पिता ने क्रांतिदूत को फोन पर चर्चा के दौरान बताया कि उनका २२ वर्षीय पुत्र वनेंद्र सिंह अपने एक साथी कप्तान पाल के साथ २८ फरवरी को पास के ही गाँव पिपारा सामान लेने मोटरसाइकल से गया हुआ था | पिपारा से सामान लेकर लौटते समय डिरोली निवासी गिरन पाल अपने दो बेटों त्रिलोक एवं प्रमोद के साथ बीच रोड पर खड़ा हुआ था | वनेंद्र ने उन्हें साइड से खड़ा होने को कहा तो गिरन और उसके दोनों बेटों ने वनेंद्र एवं कप्तान को गाली देना प्रारंभ कर दिया | जब उन्हें गाली देने से मना किया तो गिरन एवं उसके बेटे समीप ही अपने घर से एक १२ बोर की बन्दूक निकाल ले आये और उन पर गोलियाँ चलाने लगे | इस गोलीबारी में वनेंद्र सिंह को कंधे, हाथ एवं पैर में छर्रे लगे तो वहीँ कप्तान पाल को गाल एवं हाथ में छर्रे लगे | गोलीबारी कर आरोपी घटना स्थल से भाग गए | 

जब घटना की जानकारी घायलों के परिजनों को लगी तो वह उन्हें लेकर भोंती थाने पहुंचे एवं प्राथमिकी दर्ज कराई | इसके बाद भोंती पुलिस ने घायलों को शिवपुरी जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया | जिला चिकित्सालय में घायलों को २८ फरवरी की रात को भर्ती तो कर लिया गया परन्तु उनका उपचार नहीं किया जा रहा है | घायलों घायल वनेंद्र सिंह के पिता ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान बताया कि घायलों के शरीर में अभी भी छर्रे मौजूद है और घायलों के परिजन जब चिकित्सालय में मौजूद चिकित्सकों से इलाज करने को कहते है तो उन्हें यहाँ से वहां भटकाया जा रहा है |

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