एक दीप अदृश्य नायकों के लिए भी - ध्रुव उपमन्यु



मित्रो अब मसला राष्ट्र का है राजनीति और धर्म का नहीं | यदि इस समय हमारे आराध्य देव भी मर्यादा तोड़ते नजर आएंगे तो उनकी पीठ भी पुलिस की लाठी के लिए तैयार रहना चाहिये | मै विशेष परिस्थितियों में भी घर से निकलते समय अपने आप से सवाल करता हूँ, क्या मेरी पीठ तैयार है पुलिस का डंडा खाने के लिए ? और जब उत्तर आता है हां । तो ही में निकलता हूं ओर जब मेरा कोरा पारा पत्रकार अहम दिखाते हुए ऐंठता है तो मै अपने आप से कहता हूं, बैठ घर पर ।

यह युद्व काल है इस समय राष्ट्र से बढ़ कर कोई नहीं, कोई भी नहीं हमारे देवता भी नही | यही हमारे धर्म ने हमें सिखाया है | इस समय कानून का पालन करना ही देश भक्ति है | हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें कायराना देशभक्ति का मौका मिला है और ऐसा मौका शायद ही इस जन्म में दुबारा मिलेगा | न कुछ करना, न कहीं जाना, सिर्फ घर पर रहना | इसलिए ईश्वर से प्रार्थना करें उन लोंगो के स्वास्थ्य के लिए, जो हमारी ख़ातिर अपनी जान जोख़िम में डाल कर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं | 

मैं पिछले चार महीने से विधुत विभाग से उपभोक्ताओं को लेकर लगभग लड़ते हुए एक विषय पर काम कर रहा हूँ, मेरी चप्पलें घिस गई विद्युत विभाग के कार्यालयों वाणगंगा, कस्टम गेट ओर चाबी घर के चक्कर लगा लगा कर, पर इस युद्ध काल मे विधुत विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों का काम के प्रति समर्पण को देख कर मैं उनके आगे नतमस्तक हो गया हूं | कितने शिद्दत से वे हमारे लिए लगातार काम कर रहे हैं | कल्पना कीजिए विना बिजली के हमारे सारे काम कैसे अवरुद्ध हो जायेंगे | वो लागातार काम कर रहें हैं | ऊपर से उनको इस के लिए कोई श्रेय भी नही मिल रहा | ऐसे कई अनसीन हीरो हैं जो बिना किसी प्रशंसा के अपना काम किये जा रहे है हमारे लिए | हमें उनकी मेहनत पर पानी नही फेरना है । आज टोटल लॉक डाउन है आइये हम रात्रि में दीप जलाये न केवल स्वयं के लिए अपितु तमाम अदृश्य नायको के स्वास्थ्य और साहस के लिए उनकी मंगलकामनाओं के लिए, जो इस संकट कालीन समय में अपना राष्ट्र धर्म निभा रहे हैं ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है) 

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