समाज को किधर ले जा रही है यह नेता प्रजाति ? - हरिहर शर्मा



अभी कुछ माह पहले २ जनवरी २०२० को ही एक समाचार अखबारों की सुर्खियाँ बना था – पूर्व विधायक हेमंत कटारे के भाई योगेश कटारे ने कांग्रेस के जिला महामंत्री इकबाल खान को गोली मार दी | महज अलाव से आग तापने को लेकर हुए विवाद में राजधानी भोपाल के भारती निकेतन में चलाई गई गोली इकबाल खान के पेट में ही लगती, अगर उन्होंने एन समय पर पिस्तौल की नली को न पकड़ लिया होता | गोली उनके हाथ में लगी और जानलेवा हमले का मुक़दमा कायम होने के बाद योगेश फरार हो गए | 

स्मरणीय है कि  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री स्व. सत्यदेव कटारे की दुखद मृत्यु के बाद उक्त योगेश के भाई हेमंत सहानुभूति की लहर पर सवार होकर भिंड जिले की अटेर विधानसभा से विधायक बने थे | किन्तु उसके बाद उन्होंने जो गुल खिलाये उससे एक २१ वर्षीय पत्रकारिता छात्रा का भविष्य ही अंधकारमय हो गया| 

उक्त पत्रकारिता की छात्रा ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया, किन्तु सरकार किसी की भी हो, नेता – नेता भाई – भाई का सिद्धांत चला और वह छात्रा ही ब्लैक मैलिंग के आरोप में फंस गई | हमने लिखा भी कि अगर हेमंत पाक साफ़ थे तो पांच लाख देने गए ही क्यों गए थे ? 


छात्र के साथ साथ हेमंत पर भी मुक़दमा कायम हुआ और वे अंडर ग्राउंड रहने को विवश हुए | किन्तु जैसे जेल में पेरोल मिलता है, उसी प्रकार प्रभावशाली लोगों को अपराध के बाद त्यौहार मनाने के लिए भूमिगत जीवन से बाहर आने की भी छूट मिलती है | सो देश की संवेदनशील न्यायपालिका ने 6 मार्च २०१८ तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी | 

इस सब काण्ड के बाद इतना अवश्य हुआ कि हेमंत जी का भिंड के जिस सभ्भ्रांत परिवार में विवाह होने वाला था, वह रुक गया | इस घटना के बाद भी २०१९ में कांग्रेस ने पुनः हेमंत जी को ही अटेर से टिकिट दिया, उन्हें किन्तु हार का मुंह देखना पड़ा व भाजपा के अरविंद भदौरिया विजई हुए । 

अंततः २१ फरवरी २०१९ को उनकी शादी भी धूमधाम से भिंड के ही कांग्रेस नेता वीरेंद्र की भतीजी से हो गई । हेमंत की बारात में करीब पांच हजार से ज्यादा बाराती थे। यह विराट बारात भिंड के नजदीक लाडमपुरा गांव गई थी। इस शादी में शामिल होने के लिए सैंकड़ों गावों के लोग ट्रालियों और अन्य वाहनों से भिंड पहुंचे थे। करीब एक से दो हजार बाराती तो अपने निजी हथियार लेकर आए और जमकर हर्ष फायर किए गए। क़ानून तो नेताओं के ठेंगे पर रहता ही है | इस दौरान सड़क पर कई बार जाम भी लगा। 

उधर हेमंत कटारे पर केस दर्ज कराने वाली युवती प्रिन्शु सिंह ने भी मई २०१९ में जहर खाकर जान दे दी | कांग्रेस ने एक बार फिर इस उपचुनाव में भी हेमंत जी को मेहगांव से टिकिट दिया है | खास बात यह है कि जिन ज्योतिरादित्य जी ने पहले उन्हें जिताने की खातिर पसीना बहाया था, आज वे विरोध में हैं | सिंधिया जी और हेमंत जी की तो इतनी नजदीकी थी कि हाईकोर्ट ने यहाँ तक पूछा कि जब हेमंत पर मुक़दमा कायम किया है तो इन्वेस्टीगेटिंग एजेन्सी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 120 बी के तहत आरोपी क्यों नही बनाया ?

नतीजा जो भी हो, हमारा सवाल यह है कि हम लोग आखिर आदर्श जन प्रतिनिधि किसे मानेंगे ? कब तक केवल पार्टी या धन बल - बाहू बल या जाति देखकर वोट करेंगे ? हद तो यह है कि जब हम ऐसे सवाल उठाते हैं, तो गालियाँ खानी पड़ती हैं, मुझे भी जाति द्रोही तक कहा जाता है !
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