क्या है अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का मामला ?




रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी आजकल सुर्ख़ियों में है | सवाल उठता है कि आखिर यह मामला क्या है ? एक थे इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक, जिन्होंने अपनी आत्महत्या के पूर्व लिखे सुसाईड नोट में आरोप लगाया था कि उनके लाखों रुपये का पेमेंट तीन लोगों ने नहीं किया, इसलिए वे सुसाईड कर रहे हैं | अन्वय नाईक के साथ उनकी मां ने भी आत्महत्या कर ली | सुसाईड नोट में अर्नव गोस्वामी पर 83 लाख रुपये, फिरोज शेख पर चार सौ लाख रुपये तथा नीतेश शारदा पर पचपन लाख रुपये बकाया होने की बात कही गई थी | 

मजे की बात यह कि पुलिस ने 2018 में मामले की जांच की और 2019 में संबंधित अदालत के सामने मामले को बंद करने का अनुरोध करते हुए रिपोर्ट सौंपी । अदालत ने भी 2019 में ही उस क्लोजर रिपोर्ट को मंजूर कर लिया । इसके बाद से ना तो अभियोजन ना ही शिकायतकर्ता ने सत्र अदालत या उच्च न्यायालय में क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी। 

फिर अब अकस्मात ऐसा क्या हो गया कि वह पुराना केस दुबारा शुरू किया गया ? क्या पुलिस को कोई नए साक्ष्य प्राप्त हुए ? ऐसा कुछ भी नहीं हुआ | केवल मृतक के एक परिजन ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री को आवेदन दिया और सरकार ने आनन फानन में केस दुबारा शुरू करने का फैसला कर लिया | 

उसके बाद रायगढ़ पुलिस की एक टीम ने बुधवार सुबह मुंबई में लोअर परेल इलाके में गोस्वामी को उनके घर से गिरफ्तार किया था। गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नितेश सारदा को मुंबई से करीब 90 किलोमीटर दूर रायगढ़ के अलीबाग में मजिस्ट्रेट पिंगले के सामने पेश किया गया और पुलिस ने उन्हें पुलिस हिरासत में दिए जाने की मांग की | आखिर क्यों ? पुलिस अपनी हिरासत में क्या सलूक करना चाहती थी अर्नब से ? 

उनके इस आग्रह पर अदालत ने जो टिप्पणी की, उसने पुलिसिया कार्यवाही की बखियां उधेड़ दीं | केस डायरी और अन्य संबंधित दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनयना पिंगले ने बुधवार को कहा कि गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी ‘‘पहली नजर में गिरफ्तारी गैर कानूनी प्रतीत होती है।“ 

केस डायरी और अन्य संबंधित दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनयना पिंगले ने यह भी कहा कि अभियोजन मृतक और आरोपी व्यक्तियों के बीच संपर्क को साबित करने में असफल रहा है। 

मजिस्ट्रेट ने आदेश में कहा कि अगर पुलिस के मामले को स्वीकार किया जाए तो अन्वय नाईक ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों द्वारा बकाये का कथित तौर पर भुगतान नहीं करने के कारण यह दुखद कदम उठाया । फिर सवाल उठता है कि अन्वय नाईक की मां कुमोदिनी नाईक ने खुदकुशी क्यों की। यहाँ तक कि अभियोजन ने इस सवाल का भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया है कि क्या कुमोदिनी नाईक ने खुदकुशी की थी? 

अदालत ने आगे कहा कि मामले को फिर से खोलने के पहले अलीबाग पुलिस ने मजिस्ट्रेट की अनुमति नहीं ली। जांच अधिकारी ने 15 अक्टूबर 2020 को केवल एक रिपोर्ट के जरिए मजिस्ट्रेट को सूचित किया कि मामले में कुछ नये साक्ष्य मिले हैं। लेकिन ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं दिखता, जिसमें मजिस्ट्रेट ने मामले को फिर से खोलने की अनुमति दी हो । अभियोजन पक्ष अन्वय नाईक तथा गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों के बीच कड़ी साबित करने में नाकाम रहा है । और ना ही पुलिस मामले में 2018 में पिछली जांच टीम द्वारा की गयी छानबीन की तथाकथित खामियों का उल्लेख कर पायी है । 

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसे ठोस सबूत पेश नहीं किए गए हैं जिसके कारण यह अदालत गिरफ्तार किए गए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे।’’ 

उसके बाद मजिस्ट्रेट ने आरोपियों की कंपनियों द्वारा बकाये का कथित रूप से भुगतान नहीं करने के कारण इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में बुधवार देर रात गोस्वामी और अन्य दो आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। 

अदालत की कार्यवाही यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पूरा मामला कूट रचित है, बदले की भावना और पूर्वाग्रह से प्रेरित है | 



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