क्या काँग्रेस के होने जा रहे है प्रशांत किशोर ?

 


आगामी विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी की हालिया बैठकों में इलेक्शन स्ट्रेटिजिस्ट प्रशांत किशोर की मौजूदगी और पार्टी में उनके रोल को लेकर बहस तेज हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर "कुछ संशय" है लेकिन "कोई विरोध नहीं है"।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी चुनावी रणनीतिकार के करीबी संपर्क में है और कहा जा रहा है कि गांधी परिवार और खासकर प्रियंका गांधी पीके को पार्टी में एंट्री देने का मूड बना चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए वर्ष 2014 में चुनाव अभियान की कमान संभालने वाले किशोर जेडीयू, टीएमसी होते हुए कांग्रेस के दर पर दोबारा पहुंचे हैं। वो 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम कर चुके हैं। उन्होंने ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बरक्स कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच गठबंधन का फॉर्म्युला तैयार किया और 'यूपी के लड़के' का नारा दिया। ध्यान रहे कि राहुल गांधी को उनके नाना और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के इलाहाबाद के होने से जोड़कर बताया जाता है। वैसे भी गांधी परिवार उत्तर प्रदेश से ही चुनाव मैदान में उतरता रहा है। खुद राहुल गांधी अमेठी से सांसद बना करते थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वो यह सीट बीजेपी की तेज-तर्रार नेता स्मृति इरानी के हाथों गंवा बैठे और अभी केरल के वायनाड से सांसद हैं।

बहरहाल, प्रशांत किशोर के 'यूपी के लड़के' का क्या हुआ था, यह सबको पता है। बीजेपी को 403 सीटों वाली विधानसभा में 312 सीटों के साथ तीन चौथाई बहुमत मिला जबकि सपा 47 और कांग्रेस पार्टी 7 सीटों पर सिमट गई। प्रशांत किशोर कहते हैं कि उनके 'राजनीतिक सहयोगी' (Political Aid) वाले अपने करियर में यह अब तक का एकमात्र हार है। खैर, पीके फिर से कांग्रेस का हाथ थामने जा रहे हैं। उन्होंने ताजा दौर की बातचीत के लिए सोनिया, प्रियंका और राहुल समेत पार्टी के अन्य शीर्ष नेतृत्व के साथ छह बैठकें कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि उनके पास कांग्रेस के उद्धार के लिए 600 पन्नों का प्रजेंटेशन है जिनमें 50-55 पेज पार्टी नेताओं को दिखा चुके हैं।

प्रशांत किशोर को पार्टी के साथ जोड़ने की यह पहली कोशिश नहीं है इसके पहले भी पीके को पार्टी के साथ जोड़ने की कोशिश हुई लेकिन बात आगे बढ़ी नहीं। प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने को लेकर अभी जो खबरें आ रही हैं उसमे दावा किया जा रहा है कि गांधी परिवार ने यह मन बना लिया है कि उनको कांग्रेस के एक पदाधिकारी के रूप में देखना चाहते हैं न कि सिर्फ चुनावी रणनीतिकार के रूप में। खबर यह भी सामने आ रही है कि गांधी परिवार के बाद पार्टी के भीतर वह पहली पंक्ति वाले नेताओं में होंगे। ऐसा होता है तो न केवल जी-23 बल्कि पार्टी के दूसरे वफादार नेताओं को भी इसे हजम करना उतना आसान नहीं होगा। राजनीति है तो ऐसा संभव भी है बिहार में पीके के साथ क्या हुआ यह उदाहरण सामने है।


एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें