प्रेम भक्ति और ज्ञान‚ जो सनातन का तत्व है‚ के आधुनिक चैतन्य वह रससिक्त संत हैं। श्री हरि के विशेष कृपापात्र हैं। ऋषि शिरोमणि नारद जी के मि...
प्रेम भक्ति और ज्ञान‚ जो सनातन का तत्व है‚ के आधुनिक चैतन्य वह रससिक्त संत हैं। श्री हरि के विशेष कृपापात्र हैं। ऋषि शिरोमणि नारद जी के मित्र हैं। श्री राधामाधव के अनुरागी हैं। आधुनिक चैतन्य हैं। भारत की स्वाधीनता संग्राम के योद्धा तो हैं ही , उससे भी बहुत बड़े वह सनातन संस्कृति के संवाहक बनकर ठीक उसी कालखंड में सनातन की स्थापना का युद्ध भी लड़ रहे होते हैं। भाई जी इसमें बहुत हद तक सनातन की रक्षा भी करते हैं। वह तुलसी पद गायक और मानस के प्रचारक हैं। धरती की आलौकिक विभूति हैं। उन्होंने इस धरा धाम पर जो लीलायें की हैं उनका गान शब्द सीमा में संभव नहीं है। भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के भौतिक जीवन को देखना और उनकी आध्यात्मिक क्षमता का मूल्यांकन करना लगभग उसंभव है। उनकी रस निमग्न दृष्टि और उनके रसार्द्र हृदय को बांचना स्वयं में एक अनाधिकार प्रयत्न्न है। उनकी सृजन शैली और रचना धर्म के आधार को स्वयं उन्हीं के शब्दों में समझा जा सकता है –
''लिखता लिखवाता वही‚ करता करवाता वही।
पता नहीं क्या गलत है‚ पता नहीं क्या है सही।।''
पता नहीं क्या गलत है‚ पता नहीं क्या है सही।।''
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